RTI : एससी-एसटी एक्ट के ज्यादातर मामले झूठे, होता है दुरुपयोग Bhagalpur News
सीबीआइ की टीम ने सन्हौला के तत्कालीन नाजिर उदय कुमार मंडल के घर छापेमारी कर घंटे उनसे पूछताछ की थी। पूछताछ के दौरान कई मामले उजागर हुए।
भागलपुर [नवनीत मिश्र]। अनुदान लेने के बाद बाद एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज मुकदमे ठंडे पड़ जाते हैं। पुलिस-प्रशासन का आंकड़ा कुछ ऐसा ही कह रहा है। पिछले नौ वर्षों में मात्र 42 मामलों में ही सजा हो पाई है, जबकि एक हजार पांच सौ 79 मामले दर्ज हुए हैं। अधिकतर आरोप गलत साबित हो रहे हैं। सूचना का अधिकार (आरटीआइ) के तहत मांगी गई जानकारी में यह उजागर हुआ है।
आरटीआइ कार्यकर्ता अजीत कुमार सिंह की ओर से मांगी गई सूचना का जवाब गत 19 मार्च को एसएसपी, जिला कल्याण पदाधिकारी और अभियोजन कोषांग के प्रभारी ने दिया है। नियम के मुताबिक एससी-एसटी केस दर्ज कराने के एवज में कल्याण विभाग से 25 हजार रुपये मिलते हैं। राशि मिल जाने के बाद कोई भी व्यक्ति इसे लौटाता नहीं है।
एससी-एसटी के विशेष लोक अभियोजक रमेश चौधरी के आंकड़े के अनुसार 2010 के पहले दिन 445 लंबित कांड थे। इस साल 90 नए मामले दर्ज हुए। 44 मामले निष्पादित किए गए। मात्र एक मामले में एक को सजा हुई। 43 मामले में 66 अभियुक्त रिहा कर दिए गए। जबकि 22 मामलों में आपसी सुलह हो गया। इसी तरह 2018 के पहले दिन लंबित कांडों की संख्या 1070 थी। इस वर्ष 281 मामले दर्ज हुए। 31 केस निष्पादित किए गए। मात्र एक मामले में दो व्यक्ति को सजा हुई। 30 मामलों में 81 व्यक्ति को रिहा कर दिया गया। 17 मामलों में आपसी सुलह हुई।
केस स्टडी : सलेमपुर पीरपैंती के जिच्छो पासवान ने 24 अप्रैल 2017 को एससी-एसटी थाने में मारवाड़ी टोला लेन निवासी के खिलाफ केस दर्ज कराया। लिखित आवेदन में कहा था कि वह मारवाड़ी टोला लेन निवासी रतन कुमार संथालिया के यहां दरबान था। पांच मार्च 17 को मोती लाल जैन निवासी राजेश जैन ने रतन संथालिया के साथ मारपीट की और रुपये छीन लिए। धक्का-मुक्की भी की। 12 अप्रैल 17 को वह राजेश जैन के घर के सामने से गुजर रहा था। दरवाजे पर खड़े राजेश जैन ने उसे रोक कर अपशब्द कहते हुए मारपीट की। जेब से छह सौ रुपये निकालकर कहा भागलपुर छोड़कर चले जाओ, नहीं तो जान से मार देंगे। जांच के दौरान आरोप गलत साबित हुआ।