कनकई की तेज धारा में बह गई मस्जिद...किशनगंज में नदियों में उफान, 17 परिवारों के आशियाने उजड़े
बिहार के किशनगंज जिले में नदियां उफान पर हैं। ठाकुरगंज प्रखंड अंतर्गत खारुदह पंचायत के गोगोरिया गांव में जहां एक मस्जिद नदी की तेज धारा में बह गई तो वहीं टेढ़ागाछ में 17 परिवारों के आशियाने उजड़ गए।
जागरण टीम, किशनगंज : किशनगंज में एक मस्जिद कनकई नदी में समा गई। मामला जिले के ठाकुरगंज प्रखंड अंतर्गत खारुदह पंचायत के गोगोरिया गांव का है। यहां कनकई नदी में अपने उफान पर है और ग्रामीण अब परेशान हो चले हैं। इस गांव में मेची नदी और कनकई नदी का संगम स्थल है।
दोनों नदी का जलस्तर का कटाव तेज हो गया है। गांव में बनी एक मस्जिद कनकई नदी मे समा गई, इस मस्जिद का नदी में बह जाने का पूरा वीडियो अब इंटरनेट मीडिया पर तेजी के साथ वायरल हो रहा है।
टेढ़ागाछ में 17 परिवारों के घर नदी में विलीन
जिले के टेढ़ागाछ प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत कनकई, रेतुआ व गोरिया नदी के जलस्तर में उतार-चढ़ाव से कटाव रुकने का नाम हीं नहीं ले रहा है। बीते सोमवार से ही नदी किनारे बसे पक्के और कच्चे घरों का कटाव लगातार जारी है। कटाव की वजह से माली टोला गांव के सनाउर रहमान, सलीम,जमील, अबू आला, जाबूल आलम, मोहन राम, हबेबूल आलम, सादीर, हब्बू आलम, अलीम, स्किल, हाकिम, हसनैन, सादिक, अफसर, एवं अजमल आलम सहित कुल 17 परिवार का घर कनकई नदी के गर्भ में समा चुका है।
विगत वर्षों में इस गांव के लगभग एक सौ परिवार का घर कनकई नदी में समाधि ले चुके है। पूर्व जिला परिषद सदस्य श्यामलाल राम व मोहन राम का कहना है कि जिला पदाधिकारी, जल निस्सरण विभाग, विधायक, सांसद सभी लोग हर वर्ष केवल जायजा लेने का काम किया है। किसी ने मटियारी माली टोला गांव को बचाने को लिए ठोस और कारगर कदम नहीं उठाए हैं। केवल बाढ़ व कटाव के वक्त चंद बांस बल्ले के द्वारा खानापूर्ति किया जाता है। कटाव रोधी कार्य के नाम पर आज तक केवल पैसों का बंदरबांट हुआ है।
अगर सही तरीके से गुणवत्तापूर्ण कार्य किया गया होता तो आज 120 परिवार कनकई नदी में विलीन होने से बच सकते थे। नदी में पानी बढऩे से लोग रोज विस्थापित हो रहे हैं और विस्थापित परिवार जहां तहां शरण लेने को मजबूर हैं। यही हाल रेतुआ नदी के कटाव से विस्थापित परिवारों का भी एक जैसा है। रेतुआ नदी के कटाव से सुहिया एवं कोठी टोला गांव के लगभग बीस परिवार विस्थापित हो चुके हैं।
पीड़ित परिवारों का कहना है कि प्रशासन से मदद की गुहार लगाकर थक चुके हैं। प्रशासन के तरफ से केवल कुछ ही विस्थापित परिवारों को प्लास्टिक का वितरण किया गया है। जिससे कई पीडि़त परिवार दुखी हैं। ग्रामीणों ने जिला पदाधिकारी से मांग किया है कि जल्द राहत कार्य शुरू कर मुआवजा राशि और जमीन मुहैया कराया जाए, जिससे विस्थापित परिवार अपना आशियाना बना सकें।