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Mohammad Shahabuddin Death: काबा से खजूर मंगाकर खाता था शहाबुद्दीन, भागलपुर जेल में ऐसे तमाम किस्‍से

Mohammad Shahabuddin Death बिहार से राजद के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद शहाबुद्दीन का एक मई 2021 को निधन हो गया। मोहम्‍मद शहाबुद्दीन का भागलपुर से गहरा संबंध रहा था। वे यहां कई वर्षों तक जेल में रहे थे।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Sat, 01 May 2021 09:22 PM (IST)Updated: Sat, 01 May 2021 09:22 PM (IST)
भागलपुर जेल में भी बंद थे मुहम्मद शहाबुद्दीन।

भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। Mohammad Shahabuddin Death:बिहार के सिवान के पूर्व सांसद मुहम्मद शहाबुद्दीन जेल में भी पांच वक्त का नमाज पढ़ना नहीं भूलते थे। 2004 से भागलपुर की जेल में कई बार आ चुके शहाबुद्दीन ने जेल प्रशासन के समक्ष कभी समस्या नहीं खड़ी की। यह बात भी सच रही कि जेल के अंदर उन्हें सुविधाओं का कभी टोटा नहीं रहा। वाबजूद शहाबुद्दीन का जेल अधिकारियों या दूसरे बंदियों से कभी खराब वर्ताव भी नहीं रहा। भागलपुर की विशेष केंद्रीय कारा की अतिसुरक्षित टी-सेल में अंतिम बार प्रशानिक आदेश पर रखे गए थे। 

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2016 में माह-ए-रमजान में समर्थकों से मिलना छोड़ दिया था। उनके एक खास करीबी मुहम्मद शहरू को ही मिलने की इजाजत पूर्व सांसद ने दे रखी थी। अंदर से उनकी लिखित पर्ची जेल गेट पर आता तब मिलने शहरू जाते थे। तब रमजान का पाक महीना था। हाजीपुर रोड स्थित मुहम्मद शहरू का चर्चित आवास काबा से उनके लिए अजवा खजूर और सूखे मेवे तब आते थे। पूर्व सांसद तब अजवा खजूर और सूखे मेवे ही खाते थे। बोतलबंद पानी की इजाजत डॉक्टर की सलाह पर मिली थी। दरअसल तब शहाबुद्दीन कमर दर्द से पीड़ित थे। एम्स में पहले उपचार हो चुका था। जेल में उन्हें जमीन पर सोने की सुविधा आम बंदियों जैसी दी गई थी। तब जेल जीवन मे भागलपुर में शहाबुद्दीन पहली बार गुस्से का इजहार किया था।

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जेल अधीक्षक को कहा था कि उनका उपचार कमर की नस में परेशानी आने पर पूर्व में हो चुका है। दवाएं वही की चल रही है। हम जमीन पर नहीं सो सकते। असहनीय दर्द होता है। गुस्से में पूर्व सांसद ने कहा कि सरकार का हुक्म बजाइए मैं नहीं रोक सकता लेकिन मेरी मजबूरी भी आपको समझनी होगी। उन्होंने तब अन्न-जल ग्रहण करने से इनकार कर दिया था। तब कारा मुख्यालय से उनके कमर की परेशानी से अवगत करा बेड मुहैया कराया गया था।

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शहाबुद्दीन जेल से जब भी बाहर रहे या अपने राजनीतिक और बाहुबल वाले काल मे अक्सर काबा आते थे। भागलपुर जेल से मुक्ति के समय पूर्व सांसद के काफिले में सैकड़ों गाड़ियां शामिल हुई थी लेकिन किस गाड़ी में शहाबुद्दीन बैठेंगे यह शहरू ही जानते थे। कोलकाता से क्रीम कलर की पजेरो स्पोर्ट्स गाड़ी मंगा कर पूर्व सांसद के पुराने विश्वस्त चालक को एक दिन पहले भागलपुर बुला लिया गया था। जेल गेट से मुक्त होने के चंद मिनट पूर्व पजेरो गेट के पास लाई गई थी। 

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