नक्सलियों के आतंक से त्रस्त एक युवक ने किया ऐसा कारनामा, लोगों के बने प्रेरणाश्रोत Banka News
नक्सलियों के आतंक से त्रस्त एक युवक के कारनामे की चर्चा पूरे क्षेत्र में हैं। इनके परिवार के सदस्य नक्सलियों से त्रस्त है। कई की मौंतें हो गई थी। अब इनसे ही नक्सली दहशत में हैं।
बांका [कुंदन कुमार सिंह]। बांका जिले के बेलहर प्रखंड का मटियाकुर गांव कभी लाल आतंक के कहर से कांपता था। इसी गांव के अर्जुन दास को नक्सलियों ने बंधक बना लिया था। उन्होंने उन्हें घने जंगल में 24 घंटे तक भूखे-प्यासे रखने के बाद काफी अनुनय विनय के बाद उन्हें मुक्त किया था। लेकिन नक्सलियों ने उनके चाचा भीम दास की हत्या कर दी थी। उसी समय असुरक्षा व प्रतिशोध की आग में जलते अर्जुन के पुत्र मिथुन कुमार दास ने सेना में जाकर नक्सलियों को मजा चखाने की ठानी थी। उनका मानना था कि सैनिक बनकर ही नक्सलियों से लोहा लिया जा सकता है। उसी सोच के साथ मिथुन ने सीआरपीएफ ज्वाइन कर लिया है।
लाल आतंक के खिलाफ जंग लडऩे के लिए सैनिक बनने में इनकी मां अशोगा देवी ने भरपूर साथ दिया। बड़े भाई मिंटू दास ने कोलकाता जाकर चप्पल बनाने का कारोबार शुरू किया। लेकिन मिथुन अपनी जिद पर अड़ा रहा। उसने प्रारंभिक शिक्षा मुंगेर जिले के संग्रामपुर से ग्रहण की। इंटर की पढ़ाई उसने जमुई एवं बांका से पूरी की। तभी से उन्होंने सेना में भर्ती होने के लिए दौडऩा शुरू कर दिया था। नगण्य संसाधन के बीच भी वह प्रतिदिन दौड़ते थे। ढाई साल पहले उनका चयन सीआरपीएफ में हो गया। प्रशिक्षण के बाद अभी वह उत्तराखंड में तैनात हैं। लेकिन परिजनों के ऊपर लाल आतंक द्वारा ढाहे गए जुल्म को याद कर आज भी उनका रूह कांप उठता है। फिलहाल मिथुन के माता-पिता सैनिक पुत्र के कहने पर मटियोकुर लौट चुके हैं। वहां वे अपनी पैतृक संपत्ति का देखरेख कर रहे हैं। ज्ञात हो कि मटियोकुर हार्डकोर नक्सली बीरबल मुर्मू और रीना दी का भी पैतृक गांव है।