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मासिक धर्म बंद होने पर हड्डियां हो जाती है कमजोर, जानिए स्वस्थ रहने के लिए क्या करें उपाय

भागलपुर मेनोपोज सोसायटी द्वारा रविवार को मेडिकल कॉलेज में आयोजित कार्यशाला देश के कई हिस्सों से कई चिकित्सक आए। जिन्होंने बेहतर स्वास्थ्य के लिए कई राय दिए।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Sun, 30 Sep 2018 09:53 PM (IST)Updated: Sun, 30 Sep 2018 09:53 PM (IST)
मासिक धर्म बंद होने पर हड्डियां हो जाती है कमजोर,  जानिए स्वस्थ रहने के लिए क्या करें उपाय
मासिक धर्म बंद होने पर हड्डियां हो जाती है कमजोर, जानिए स्वस्थ रहने के लिए क्या करें उपाय

भागलपुर (जेएनएन)। मासिक धर्म बंद होने के पहले से ही महिलाओं को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि मासिक धर्म बंद होने से हारमोन में कई बदलाव आते हैं। विटामिन डी और कैल्शियम की कमी हो जाती है। थोड़ी सी चोट लगने पर भी हड्डी टूटने की संभावना बनी रहती है। भागलपुर मेनोपोज सोसायटी द्वारा रविवार को मेडिकल कॉलेज में आयोजित कार्यशाला कोलकाता से आए हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. विकास कपूर ने कहा।

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डॉ विकास कपूर

उन्होंने कहा कि 45 वर्ष की उम्र से ही महिलाओं को कैल्शियम और विटामिन डी युक्त खाद्य सामग्री का सेवन करना चाहिए। मासिक धर्म बंद होने से हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। 50 से 70 वर्ष की आयु में 50 फीसद महिलाओं की कलाई, कूल्हा आदि की हड्डी थोड़ा सा झटका या चोट लगने पर टूट जाती हैं। योग करें लेकिन भारी सामान नहीं उठाएं। उछल-कूद वाला व्यायाम नहीं करें। वहीं विपाशा सेन ने कहा कि मासिक धर्म बंद होने से हारमोन में बदलाव आने से महिलाओं में तनाव और चिड़चिड़ापन होता है। परिवार के सदस्य पर बोझ लगने लगती हैं। इसलिए ध्यान बटाने के लिए उन्हें जो अच्छा लगे करना चाहिए। मसलन बागवानी, म्युजिक सुनना आदि। हारमोन की दवा भी लाभदायक है। डॉ. शाजिया शफी ने कहा कि मासिक धर्म बंद होने से त्वचा और बालों में रुखापन आ जाता है। लोशन का उपयोग करने से रुखापन में कमी आएगी। बालों को धोते समय भी कंडीशनर का उपयोग लाभदायक है। उन्होंने कहा कि पॉलीसिस्ट ओवेरियन सिड्रॉम होने की संभावना रहती है। इससे अनियंत्रित मासिक धर्म, बीपी, चेहरे पर बाल आना आदि लक्षण हैं। वहीं डॉ. प्रियंका ने कहा कि बच्चादानी कैंसर होने की भी संभावना रहती है। इस अवसर पर अजय पटनायक, डॉ. प्रियंका, डॉ. अनिता सिंह, डॉ. पूनम दीक्षित आदि चिकित्सकों ने भी व्याख्यान दिया। कार्यशाला का उद्घाटन डॉ. अशोक कुमार भगत और डॉ. अनुपमा सिन्हा ने किया।

कार्यशाला में अनिता प्रजापति दीदी द्वारा मन को एकाग्र करने की विधि बताई गई। उन्होंने कहा कि महिलाएं अगर ध्यान करेंगी तो मन शांत रहेगा। डॉ. रंजना झा ने कहा कि पेट में सूजन, दर्द, बार-बार पेशाब आना, थकान, अपच, कब्ज थकान होना, मासिक धर्म में अनियमितता गर्भाशय कैंसर के लक्षण हैं। हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. सोमेन चटर्जी ने भी व्याख्यान दिया। इस अवसर पर सोसायटी की सचिव डॉ. प्रतिभा सिंह, डॉ. वीणा सिन्हा, डॉ. इमराना रहमान, डॉ. अल्पना मित्रा, डॉ. रोमा यादव, डॉ. संजय कुमार सिंह, डॉ. वसुंधरा लाल, डॉ. अर्चना झा, डॉ. लीना नायर सहित कई चिकित्सक उपस्थित थे।


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