16 लाख में स्पन मील का बिका कल-पुर्जा
जीरोमाइल चौक के समीप स्पन सिल्क का कल-पुर्जा 16 लाख में बिक गया। अब वहां निजी कंपनी हैंडलूम पार्क स्थापित करेगी। इसके लिए कवायद शुरू हो गई है।
भागलपुर। जीरोमाइल चौक के समीप स्पन सिल्क का कल-पुर्जा 16 लाख में बिक गया। अब वहां निजी कंपनी हैंडलूम पार्क स्थापित करेगी। इसके लिए कवायद शुरू हो गई है। 1970 में छह करोड़ की लागत से जापानी तकनीक से लैस इस मील की स्थापना की गई थी। यहां रेशम व सूती धागा तैयार किया जाता था, लेकिन 1992 में मिल बंद हो गई। अब वहां से बची हुई निशानी को भी हटाने का काम शुरू हो गया है। पिछले दो दिनों से गैस कटर से मशीन व अन्य उपकरणों को काट कर हटाया जा रहा है। 10 दिनों में सारे कल-पुर्जे हटा लिए जाएंगे। मील बंद होने की ये थी वजह
स्पन सिल्क मील में तसर मलवरी, और कोकून से धागे तैयार किए जाते थे। इसकी आपूर्ति स्थानीय बाजार से लेकर देश-विदेश में की जाती थी। हर दिन 150 किलोग्राम धागे तैयार किए जाते थे। बिहार राज्य अर्द्ध सरकारी राजपत्रित कर्मचारी महासंघ के जिला सचिव रामनारायण भानू ने बताया कि उद्योग विभाग इसका संचालन करता था। बीच में इसे एक कमेटी के हवाले कर दिया गया था। कमेटी ने कम कीमत पर धागे को बेचना शुरू कर दिया। इससे मील धीरे-धीरे घाटे में चला गया। 1992 में मील बंद हो गई। उस वक्त 372 लोगो मील में काम कर रहे थे। इसमें से अभी सात लोग काम कर रहे हैं। बकाया भुगतान की मांगा
स्पन मील से उपकरणों हटाने का विरोध कर्मचारियों ने शुरू कर दिया है। उन लोगों का कहना है कि जब तक बकाया वेतन का भुगतान नहीं हो जाता, तब तक उपकरण नहीं ले जाने दिया जाएगा। शुक्रवार को इस पर आगे की रणनीति के लिए महासंघ की बैठक बुलाई गई है। कर्मी राम नारायण भानू ने बताया कि मील बंद होने के बाद वेतन के लिए उन लोगों को सुप्रीम कोर्ट तक जाना पड़ा। कोर्ट के आदेश पर 1997 तक के वेतन का भुगतान किया गया था। इसके बाद का वेतन नहीं मिला है।
सिल्क सिटी रूप में विकसित होगा स्पन मील
जासं, भागलपुर : स्पन सिल्क मील परिसर को सिल्क सिटी और हैंडलूम पार्क के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए बिहार राज्य औद्योगिक विकास निगम (बीएसआइडीसी) ने स्पन मील को निजी कंपनी को लीज पर दिया है। जून के अंतिम सप्ताह में काम शुरू हो जाएगा। बीएसआइडीसी के महाप्रबंधक वरूण कुमार ने बताया कि यहां हस्तकरघा निर्मित कपड़ों की बिक्री होगी। इससे बुनकरों को बाजार भी मिल जाएगा। इसके साथ ही भागलपुर के रेशमी वस्त्रों की मांग देश-दुनिया में बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि मील कर्मियों के बकाया वेतन के भुगतान की प्रक्रिया विभाग के स्तर से चल रही है।