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TMBU : हिन्दी में तैयार की गई थी संस्कृत की शोध थीसिस, जानें... इसपर VC ने क्या कहा Bhagalpur News

कुलपति ने इस शोध थीसिस के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी। निर्देश दिया कि इसे दोबारा संस्कृत में तैयार कराया जाए। नहीं तो यह प्रस्ताव अस्वीकृत कर दिया जाएगा।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Wed, 07 Aug 2019 09:33 AM (IST)Updated: Wed, 07 Aug 2019 05:05 PM (IST)
TMBU : हिन्दी में तैयार की गई थी संस्कृत की शोध थीसिस, जानें... इसपर VC ने क्या कहा Bhagalpur News

भागलपुर [जेएनएन]। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में शोध की स्थिति संतोषजनक नहीं है। इसका खुलासा पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च काउंसिल (पीजीआरसी) की बैठक में हुआ था। संस्कृत की शोध थीसिस हिन्दी में तैयार की गई थी। कुलपति डॉ. विभाष चंद्र झा ने इस पर आपत्ति की। कहा कि जब शोध संस्कृत में होना है तो थीसिस हिन्दी में क्यों तैयार की गई।

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कुलपति ने इस शोध थीसिस के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी। निर्देश दिया कि इसे दोबारा संस्कृत में तैयार कराया जाए। नहीं तो यह प्रस्ताव अस्वीकृत कर दिया जाएगा। बताया गया कि यह शोध थीसिस लगभग डेढ़ साल से रखी हुई थी। मालूम हो कि पूर्व कुलपति एनके झा के समय भी जब पीजीआरसी की बैठक हुई थी तब इस तरह की शोध थीसिस को सुधारने को कहा गया था। लेकिन इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया। शुक्रवार की बैठक में 300 शोध प्रस्ताव रखे गए। कुलपति ने संबंधित संकाय के डीन और विभागाध्यक्ष को निर्देश दिया कि पांच अगस्त तक सभी का अवलोकन कर लें। जो शोध प्रस्ताव मानकों पर सही उतरता हो, उसे अगली बैठक में रखा जाए।

कई शिक्षक नहीं करा रहे हैं शोध

पीआरओ डॉ. एसडी झा ने बताया कि बैठक में टीएनबी कॉलेज के इतिहास विभाग की शिक्षक डॉ. अर्चना साह की डी.लिट का मामला भी रखा गया। लेकिन इस पर कोई निर्णय करने से कुलपति ने इंकार कर दिया। कुलपति ने कहा कि राजभवन से डी.लिट को लेकर नया प्रावधान तय हो गया है। लेकिन विवि को अभी प्राप्त नहीं हुआ है। इसलिए नए प्रावधान की प्रतीक्षा की जाए। हालांकि कुछ डीन और हेड ने कहा कि क्या नए प्रावधान के इंतजार में पुराने के आधार पर प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है। इस पर कुलपति ने प्रतीक्षा करने की बात कही। बैठक में कई शिक्षकों के शोध नहीं कराने का मामला भी रखा गया। बताया गया कि कई ऐसे शिक्षक हैं जिनके पास सीटें रिक्त हैं लेकिन वे शोध नहीं कराना चाहते हैं। कुलपति ने कहा कि जिनके पास सीटें खाली हैं, उन्हें शोध कराना ही होगा। कहा कि कम से कम 62 वर्ष तक की उम्र वाले शिक्षकों को तो शोध कराना ही होगा।

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