जलवायु परिवर्तन बना आम के ग्रहण, अबकी जून में मिलेगा जर्दालु और मालदा
मौसम में बदलाव के कारण यह समस्या आ रही है। हालांकि उत्पादन कम न हो इसके लिए किसानों को बताया जा रहा है कि वह लगातार हर दस दिनों के सिचाई करें।
भागलपुर [ललन तिवारी]। भागलपुर की पहचान जर्दालु और मालदा आम जून में खाने को मिलेगा। क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारण देर से फलन शुरू हुआ है। किसान हताश और परेशान है कहीं उत्पादन पर इसका असर न पड़े। पांच से छह हजार हेक्टेयर की खेती में पचास हजार मीट्रिक टन आम की पैदावार होती है। इस बार उत्पादन में पन्द्रह फीसद तक कमी हो जाएगी। सबकुछ ठीक रहता है तो मई में आम खाने को मिलता था। तब जर्दालु आम राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजा था।
कृषि विश्वविद्यालय के उद्यान (फल) एसोसियेट निदेशक डॉ. फिजा अहमद कहते हैं मौसम में बदलाव के कारण यह समस्या आ रही है। हालांकि उत्पादन कम न हो इसके लिए किसानों को बताया जा रहा है कि वह लगातार हर दस दिनों के सिचाई करें। ताकि फल का साइज छोटा न हो। उन्होंने बताया कि मौसम बदलाव के इस दौर में फल व अनाज की जहां नई किस्मों को इजाद पर काम हो रहा है वहीं मौसम अनुकूल खेती की वैज्ञानिक तकनीक का भी विकास किया जा रहा है।
क्यों हो रहा है ऐसा
जलवायु परिवर्तन पर रिसर्च कर रही युवा विज्ञानी डॉ सुवर्णा राय चौधरी कहती हैं कि परिवर्तन का असर मौसम पर सीधा दिखने लगा है। मौसम आगे की ओर शिफ्ट करते जा रहा है। इससे कृषि उत्पादन पर असर होगा।
मौसम में हो रहा बदलाव चिंता का विषय है। मौसम अनुसार ही खेती कर किसानी लाभकारी होगी। विश्व विद्यालय आने वाले वक्त को ध्यान में रख नई किस्मों और तकनीक पर अनुसंधान कर रहा है। - डॉ. अजय कुमार सिंह, कुलपति बीएयू सबौर