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Malnutrition In Bihar : खगड़िया में 1764 आंगनबाड़ी केंद्र, फिर भी 3000 बच्चे कुपोषित

Malnutrition In Bihar प्रदेश के खगड़िया जिले में 1764 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए इन केंद्रों को स्थापित किया गया था। बावजूद इसके जिले में 3000 बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। ऐसे में कई सवाल उठते हैं।

By Shivam BajpaiEdited By: Published: Sun, 19 Sep 2021 02:12 PM (IST)Updated: Sun, 19 Sep 2021 02:12 PM (IST)
Malnutrition In Bihar : खगड़िया में 1764 आंगनबाड़ी केंद्र, फिर भी 3000 बच्चे कुपोषित
खगड़िया में कुपोषण का कहर-3000 बच्चे ग्रसित।

अमित झा, जागरण संवादाता, खगड़िया। Malnutrition In Bihar : वर्तमान में सरकारी स्तर पर पोषण माह चलाया जा रहा है। हर वर्ष पोषण माह पर कुपोषण दूर करने को लेकर जागरूकता लाने का प्रयास किया जाता है। बच्चों में कुपोषण दूर करने को लेकर खगड़िया में 1764 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। इसके बावजूद जिले से कुपोषण दूर नहीं हो पा रहा है। आइसीडीएस के तहत संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों की सूची के अनुसार जिले में तीन हजार बच्चे कुपोषित हैं, जबकि इन केंद्रों का संचालन मुख्यत: कुपोषण दूर करने के लिए ही किया जा रहा है। इसके अलावा विद्यालयों में एमडीएम के साथ फल और अंडा योजना चलाई जा रही है।

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हालांकि, कोरोना काल में विद्यालयों और आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन लगभग एक वर्ष बंद रहा। परंतु, विद्यालय के बच्चों को एमडीएम खाद्यान्न के साथ राशि खाते पर दी जाती रही है। बावजूद इसके खगड़िया में कुपोषण का ग्राफ बढ़ता दिखाई दे रहा है। सवाल है कि क्या जनजागरूकता और आंगनबाड़ी केंद्र इस दिशा में कमजोर हैं?  जबकि आंगनबाड़ी केंद्र पर भी बच्चों को खाद्यान्न दिया जाता है तो फिर इतने आंकड़े कैसे? चिकित्सक के अनुसार खानपान, पौष्टिक भोजन से कुपोषण दूर किया जा सकता है।

सही पोषण के अभाव में होते हैं कुपोषण के शिकार

चिकित्सक के अनुसार कुपोषण का रिश्ता मां से भी है। कुछ बच्चे बाद में कुपोषित होते हैं। स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डा. ट्विंकल के अनुसार सही पोषण के अभाव के कारण बच्चे कुपोषण का शिकार होते हैं। स्थानीय तौर पर महिलाओं का ऐनिमिक होना सबसे बड़ा कारण है। खून की कमी के कारण गर्भवती के गर्भ में पल रहे बच्चों पर भी गहरा असर पड़ता है। बाद में भी नवजात को मां का दूध सही ढंग से नहीं मिल पाना बच्चों के लिए कुपोषण का कारण बनता है। कुपोषण से बचाव को लेकर सर्वप्रथम गर्भवती के पोषण पर ध्यान देना होगा।

बच्चे कुपोषण का शिकार न हो इसके लिए मां का दूध बच्चे को नियमित देना चाहिए। साथ ही बच्चों को माह के अनुसार आहर अनिवार्य रूप से देना है। बेहतर खानपान के साथ पौष्टिक भोजन फल, हरी सब्जी आदि का उपयोग आवश्यक है। जिससे शरीर को आवश्यक मात्रा में विभिन्न पोषक तत्वों की पूर्ति होती रहे। शरीर में विटामिन की सही मात्रा कुपोषण से दूर रखता है।

उन्होंने कहा कि सही पोषण के अभाव में बच्चे कुपोषण का शिकार होते हैं। महिलाओं का ऐनिमिक होना सबसे बड़ा कारण है। खून की कमी के कारण गर्भवती के गर्भ में पल रहे बच्चों पर भी गहरा असर पड़ता है। बाद में भी नवजात को मां का दूध सही ढंग से नहीं मिल पाना बच्चों के लिए कुपोषण का कारण बनता है।


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