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कोसी की धरती पर लहलाएगा मखाना, 125 किमी लंबा होगा कॉरीडोर, तीन कलस्टर की होगी स्थापना

कोसी की धरती पर जल्द मखाना लहलाएगा। इसके लिए 125 किमी लंबा मखाना कॉरीडोर का निर्माण होगा। योजना के तहत इस वर्ष जिले में 50 हेक्टेयर में तीन कलस्टर की स्थापना की गई है। इसके लिए मखाना का नया प्रभेद सबौर मखाना-1 भी उपलब्ध कराया जाएगा।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 04:18 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 04:18 PM (IST)
कोसी की धरती पर लहलाएगा मखाना, 125 किमी लंबा होगा कॉरीडोर, तीन कलस्टर की होगी स्थापना
सुपौल में 125 किमी लंबा मखाना कॉरीडोर का निर्माण होगा। फोटो सांकेतिक।

सुपौल [सुनील कुमार]। मखाना खेती से जुड़े किसानों के दिन अब लौटने वाले हैं। जिले में बिहार बागवानी सोसाइटी के माध्यम से मखाना विकास योजना की नींव पड़ चुकी है। योजना के तहत इस वर्ष जिले में 50 हेक्टेयर में तीन कलस्टर की स्थापना की गई है। तीनों क्लस्टर से जुड़े किसानों को विभाग द्वारा मखाना का नया प्रभेद सबौर मखाना-1 के बीज उपलब्ध कराए गए हैं। कलस्टर के माध्यम से मखाना की खेती फिलहाल कृषि विज्ञान केंद्र राघोपुर की देखरेख में की जा रही है। यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो फिर इस क्षेत्र को कॉरीडोर के रूप में विकसित किया जाएगा। सरकार ने जिले वीरपुर से सलखुआ तक 125 किलोमीटर लंबे क्षेत्र को मखाना कॉरीडोर के रूप में विकसित करने का प्लान तैयार किया है। इसके तहत मखाना उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ-साथ प्रोसेङ्क्षसग व पैकेङ्क्षजग किया जाएगा। इससे किसानों की आमदनी तो बढ़ेगी ही लोगों को रोजगार भी मिलेगा।

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भोला पासवान कृषि महाविद्यालय पूर्णिया को बनाया गया है नोडल सेंटर

कोसी प्रभावित इलाका होने के कारण यहां के बड़े भूभाग में जलजमाव रहता है। जलजमाव वाले खेतों में किसान मखाना का उत्पादन करते हैं। उचित व्यवस्था नहीं रहने के कारण किसानों को उनके उत्पादन का सही मूल्य नहीं मिल पाता है। ऐसे क्षेत्रों का सर्वे कर सरकार ने मखाना विकास योजना की शुरुआत की है। इसके तहत समूह आधारित खेती को बढ़ावा देकर मखाना के रकबा को बढ़ाना है ताकि जलजमाव वाले क्षेत्रों में मखाना की खेती बड़े पैमाने पर की जा सके और स्थानीय स्तर पर ही इसका प्रोसेङ्क्षसग व पैकेजिंग किया जा सके। इसके लिए भोला पासवान कृषि महाविद्यालय पूर्णिया को नोडल सेंटर बनाया गया है जबकि कृषि विज्ञान केंद्र और मखाना अनुसंधान केंद्र दरभंगा द्वारा इसे संचालित करने की योजना बनाई गई है।

50 हेक्टेयर में शुरू हुई मखाना की खेती

समूह आधारित खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र राघोपुर द्वारा तीन कलस्टर की स्थापना की गई है जिसमें सतन पट्टी और सदानंदपुर में 20 हेक्टेयर, किशनपुर में 20 हेक्टेयर तथा राघोपुर के डुमरी गांव में 10 हेक्टेयर कलस्टर को चिन्हित कर किसानों का समूह बनाया गया है इस समूह के माध्यम से यहां मखाना की खेती की शुरुआत की गई है

बोले जिला समन्वयक

राघोपुर कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक सह मखाना विकास योजना के जिला समन्वयक डॉ. प्रमोद कुमार ने बताया कि मखाना कारोबार में कोसी व सीमांचल की हिस्सेदारी विश्व बाजार में 80 फ़ीसद से अधिक है परंतु समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है। विभाग द्वारा जिन तीन कलस्टरों की स्थापना की गई है उसके किसानों को 15 क्विंटल बीज मुफ्त उपलब्ध कराए गए हैं। अगर यह सफल रहता है तो फिर वीरपुर से सहरसा के सलखुआ तक करीब 125 किलोमीटर लंबे जलजमाव वाले क्षेत्र को मखाना कॉरीडोर के रूप में विकसित किया जाएगा। कॉरीडोर विकसित हो जाने से विश्व बाजार का रुख इस इलाके में होगा जिससे यहां के किसानों को मुनाफा अधिक होगा और यहां के लोगों को भी रोजगार मिलेगा।  


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