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मकर संक्रांति कल, जानिए... बाजार का हाल और क्‍यों खास है यह दिन, क्या है शुभ मुहूर्त Bhagalpur News

मकरसंक्रांति 15 जनवरी को है। बाजार सज चुका है। तिलकूट की बिक्री हो रही है। इस दिन शुभ मुहूर्त पूरे समय रहेगा। पंडित इस दिन को कुछ इस प्रकार खास बता रहे हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Tue, 14 Jan 2020 10:08 AM (IST)Updated: Tue, 14 Jan 2020 10:08 AM (IST)
मकर संक्रांति कल, जानिए... बाजार का हाल और क्‍यों खास है यह दिन, क्या है शुभ मुहूर्त Bhagalpur News
मकर संक्रांति कल, जानिए... बाजार का हाल और क्‍यों खास है यह दिन, क्या है शुभ मुहूर्त Bhagalpur News

भागलपुर, जेएनएन। मकर संक्रांति को लेकर बाजार सज गए है। हालांकि इस बार संक्रांति 15 जनवरी को है। बाजार में अलग अलग स्वाद के तिलकुट उपलब्ध है। शहर के हर नुक्कड़ पर तिलकुट की दुकानें लग गई है।

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ये है शुभ महुर्त : बूढ़ानाथ मंदिर के पुजारी पंडित सुनील कुमार झा ने बताया कि मकर संक्रांति इस बार 15 को है। इन्होंने बताया कि मकर राशि में सूर्य का प्रवेश बुधवार की सुबह 8.24 बजे होगा और दिनभर बना रहेगा। श्रद्धालु दिनभर सहजता से गंगा घाटों से लेकर ताल तलैया में स्नान ध्यान कर पाएंगे। दान पुण्य का भी शुभ मुहूर्त पूरे दिन है। इस समय सूर्य उत्तरायण में होता है। शुभ मुहूर्त में किए गए जप-तप और दान-पुण्य का फल अनंत गुना होता है।

पूजा-पाठ व दान के लिए ये है शुभ मुहूर्त (भागलपुर जिले के गाेवरांय निवासी आनंदमूर्ति आलोक जी महाराज के अनुसार)

-स्नान : ब्रह्म मुहूर्त में 5:30 से 6:30 बजे के बीच करें, घर पर स्नान करते समय तिल और गंगा जल का प्रयोग करें।

-पूजा : 6:30 से 9:11 बजे के बीच स्नान के बाद पूजा-पाठ करें।

-आशीर्वाद : 9:11 से 11:30 तक अपने से बड़ों से तिल और गुड़ के साथ आशीर्वाद लें।

-दान : 10:31 से 11:51 तक चौघडिय़ा मुहूर्त के अनुसार दान का शुभ महूर्त है।

-दान : 11:30 से 12:30 तक अभिजित मुहूर्त के अनुसार दान का शुभ महूर्त है।

कई धार्मिक मान्यताएं हैं

पुरानी मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के साथ मकर के घर जाते हैं, जबकि शनि मकर एवं कुंभ राशि का स्वामी है। इस लिए यह पिता-पुत्र के अनोखे मिलन से भी जुड़ा है। आनंदमूर्ति आलोक जी महाराज के अनुसार मकर संक्रांति का महत्व महाभारत काल में भिष्म पितामह से भी जुुड़ा है। भिष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होन पर ही शरीर का त्याग किया था।

यह है पौराणिक कथा

मकर संक्रांति के दिन काले तिल खाने और दान करने के पीछे हिंदू धर्म में एक पौराणिक कथा है। आनंदमूर्ति आलोक जी महाराज ने बताया कि सूर्यदेव की दो पत्नियां थीं। एक छाया और दूसरी संज्ञा। शनिदेव भगवान सूर्य के पुत्र हैं। उनकी मां का नाम छाया है। वहीं, यमराज भी भगवान सूर्य के पुत्र हैं। उनकी मां संज्ञा है। एक दिन सूर्यदेव ने अपनी पत्नी छाया को पुत्र यमराज के साथ भेदभाव करते हुए देख लिया। सूर्यदेव ने गुस्से में अपनी पत्नी छाया और उनके पुत्र शनि को खुद से अलग कर दिया। इससे रुष्ट होकर शनिदेव और उनकी मां छाया ने सूर्यदेव को कुष्ट रोग का शाप दे दिया।

यमराज ने अपने पिता को ऐसी हालत में देख कठोर तप किया। तप के प्रभाव से भगवान सूर्य को शाप से मुक्ति मिली। इस बीच सूर्यदेव ने क्रोध में शनि के घर माने वाले कुंभ को जला दिया। इससे शनि और उनकी मां को काफी दिक्कतें हुईं। यमराज ने अपने पिता सूर्यदेव से आग्रह किया कि वह शनि और उसकी मां छाया को माफ कर दे। बेटे के आग्रह के बाद सूर्यदेव शनि और उसकी मां छाया के घर गए। जहां उन्‍होंने देखा कि शनि और छाया घर पूरी तरह जल चुका है। घर में सिर्फ तिल ही बचा हुआ था। पिता सूर्यदेव को देख शनि ने उनकी तिल से पूजा की। उस दिन उनकी पूजा से प्रसन्न होकर सूर्य देव ने शानिदेव को आशीर्वाद दिया कि जो भी व्यक्ति मकर संक्रांति के दिन काले तिल से शनिदेव की पूजा करेगा उसके सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाएंगे। उस दिन तिल दान भी किया जाता है। इसलिए इस दिन तिल से सूर्यदेव की पूजा की जाती है और दान भी किए जाते हैं। इस दिन अंग और बंग प्रदेश में अपने से बड़े स्‍वजन खासकर मां, पिता, दादा, दादी 'तिल तिल बो देsभे नि' ऐसा कहकर तिलकूट, तिल, चावल और गुड़ देते हैं। यह एक आशीर्वाद है। जो अपने बच्‍चों को पल पल उन्‍नति की ओर बढ़ने के लिए होता है।

पवित्र नदियों में स्नान का महत्व

संक्रांति के मौके पर लाखों श्रद्धालु गंगा और अन्य पावन नदियों के तट पर स्नान करते हैं। आनंदमूर्ति आलोक जी महाराज ने कहा कि धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जो व्यक्ति मकर संक्रांति के दिन तीर्थराज प्रयाग या गंगा में स्नान करता है उसकी सारी मनोकामना पूरी हो जाती है। कहा जाता है कि गंगा में डुबकी लगाने से दस गुणा अधिक फल मिलता है।

दान का महत्व

आनंदमूर्ति आलोक जी महाराज ने कहा कि मकर संक्रांति के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना बेहद पुण्यकारी माना गया है। इस दिन कृत, तिल, कंबल व खिचड़ी दान का विशेष महत्व है।

खिचड़ी खाने से राशि होती है मजबूत

आनंदमूर्ति आलोक जी महाराज के अनुसार मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने का विशेष महत्व है। इसी वजह से संक्रांति को खिचड़ी पर्व भी कहा जाता है। चावल चंद्रमा का प्रतीक होता है। उड़द दाल शनि और हरी सब्जियों का संबंध बुध से माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने से राशि मजबूत होती है। इसके अलावा इस दिन दही-चूड़ा खाने का भी विशेष महत्व है।

तिल कैंसर के खतरे को करता है कम

डॉ. जितेन्द्र कुमार के अनुसार तिल खाने से कई बीमारियां नहीं होती हैं। तिल में मोनो-सैचुरेटेड फैटी एसिड होता है, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और खून को जमने नहीं देता है। दिल से जुड़ी बीमारियों के लिए भी यह बेहद फायदेमंद है। तिल में सेसमीन नाम का एंटीऑक्सिडेंट पाया जाता है, जो कैंसर कोशिकाओं को बढऩे से रोकता है। इस वजह से यह लंग कैंसर, पेट कैंसर, ल्यूकेमिया, प्रोस्टेट कैंसर, बे्रस्ट कैंसर होने की आशंका को कम करता है। यह तनाव को कम करने के साथ ही हृदय की मांसपेशियों के लिए, हड्डियों की मजबूती के लिए, त्वचा के लिए भी लाभदायक है।

बड़ा होने लगता है दिन

22 दिसंबर से 13 जनवरी तक दिन छोटा होता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं। यानी 14 जनवरी से दिन बड़ा होने लगता है। सूर्यास्त देर से होता है। 14 जनवरी से सूर्य की किरणें ज्यादा समय तक धरती पर पडऩे लगती हैं। सूर्य दक्षिण से उत्तर की ओर जाता है। इसके किरणों को बहुत अच्छा माना जाता है।

संक्रांति के दिन पतंगबाजी सेहत के लिए लाभदायक

मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाना सेहत के लिए लाभदायी माना गया है। अमूमन सर्दी के मौसम में लोग अपने घरों में कंबल में रहना पसंद करते हैं, लेकिन उत्तरायण के दिन अगर कुछ देर धूप के संपर्क में रहा जाए तो इससे शरीर के कई रोग स्वत: नष्ट हो जाते हैं।

गुड़ और सुगर फ्री तिलकुट भी खूब बिक रहे

तिलकुट की सोंधी खुशबू से शहर का हर कोना महकने लगा है। दिन भर कारीगर तिलकुट कूटने में व्यस्त हैं। चीनी के साथ साथ गुड़ के तिलकुट भी खूब कूटे जा रहे हैं। पिछले कुछ सालों से गुड़ के तिलकुट की मांग बढ़ी है। कारोबारियों के अनुसार बढ़ी संख्या में लोग गुड़ की तिलकुट को पसंद कर रहे हैं। इसके अलावा सुगर फ्री तिलकुट की मांग भी बढ़ी है।

तिलकुट की कीमत

खोवा तिलकुट - 380 से 420 (प्रति किलोग्राम)

चीनी तिलकुट - 200 से 250 (प्रति किलोग्राम)

गुड़ तिलकुट - 250 से 270 (प्रति किलोग्राम)

तिल लड्डू - 100 से 120 किलो (प्रति किलोग्राम)

तिल पापड़ी - 120 से 150 किलो (प्रति किलोग्राम)

बाजार में उपलब्ध चूड़ा

सामान्य चूड़ा - 60 रुपये (प्रति किलोग्राम)

कतरनी - 120 रुपये (प्रति किलोग्राम)

मोटा चूड़ा- 30 रुपये (प्रति किलोग्राम)

बाजार में बिक रहा गुड़

सूखा गुड़ - 60 से 70 (प्रति किलोग्राम)

फरहरा गुड़- 100 रुपये किलो (प्रति किलोग्राम)

सब्जियों की कीमत

-आलू (नया)  - 20 से 24 रुपये (प्रति किलोग्राम)

-प्याज - 55 से 60 रुपये (प्रति किलोग्राम)

-फूल गोभी (20 से 25 प्रति पिस)

-पत्ता गोभी (40 रुपये प्रति किलोग्राम)

-मटर - 40 से 45 रुपये (प्रति किलोग्राम)

-मूली - 10 रुपये (प्रति किलोग्राम)

-टमाटर - 30 रुपये (प्रति किलोग्राम)

-शिमला मिर्च - 50 रुपये किलो (प्रति किलोग्राम)

-कटहल - 70-80 रुपये (प्रति किलोग्राम)

पांच लाख लीटर दूध व दस टन दही की सप्लाई

सुधा डेयरी ने मकर संक्रांति को लेकर इस साल विशेष तैयारी की है। भागलपुर सुधा डेयरी के प्रबंध निर्देशक हेमेंद्र कुमार ने बताया कि इस साल दस टन दही और पांच लाख लीटर दूध की सप्लाई की जाएगी। 80 ग्राम से लेकर 16 किलो तक दही के पैकेट उपलब्ध हैं। 80 ग्राम दही की कीमत 10 रुपये रखी गई है। पिछले साल तीन टन दही की सप्लाई की गई थी। उन्होंने कहा कि दही और दूध की बुर्किंग सुधा बूथ और गांव की समितियों के माध्यम से की जा रही है।


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