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बिहार के नक्सल इलाके के बंजर भूमि पर महेंद्र ने उगाए हरियाली के फूल, आप भी देखिए आकर्षक बगिया

बिहार के जमुई नक्सल इलाके के बंजर भूमि पर महेंद्र ने पौधरोपण किया है। महेंद्र की बगिया देखकर आसपास के ग्रामीण भी दिखा रहे भी इसमें रुचि दिखाने लगे हैं। इससे पर्यावरण संरक्षण हो रहा है। -डेढ़ वर्ष में तैयार हुआ बगिया

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Wed, 16 Jun 2021 11:32 AM (IST)Updated: Wed, 16 Jun 2021 11:32 AM (IST)
बिहार के नक्सल इलाके के बंजर भूमि पर महेंद्र ने उगाए हरियाली के फूल, आप भी देखिए आकर्षक बगिया
महेंद्र सिंह की कड़ी मेहनत और परिश्रम से बंजर पड़ी भूमि पर पौधरोपण किया गया है।

चंद्रमंडी (जमुई) [अमित कुमार राय]। बिहार झारखंड की सीमा पर बसा चकाई का बोगी इलाका लंबे समय से घोर नक्सल प्रभावित माना जाता है। इसी इलाके के कानरायडी गांव निवासी महेंद्र सिंह की कड़ी मेहनत और परिश्रम से बरसों से बंजर पड़ी दो एकड़ भूमि पर हरियाली का चादर बिछ गई है। मात्र दो वर्ष में महेंद्र ने सागवान, महोगनी, चंदन, गमहार, आम आदि के पौधा लगाकर उसे एक सुंदर बगिया का रुप दे दिया है। महेंद्र बताते हैं कि दो वर्ष पूर्व वे अपने किसी संबंधी के यहां गए हुए थे। इसी दौरान उन्होंने देखा कि उनके संबंधी ने बड़े पैमाने पर कम पूंजी और लागत में ही बंजर पड़ी धरती को हरा-भरा बना लिया है। इसी के बाद उनके मन में पेड़ पौधे लगाने की इच्छा जागृत हुई। उसी वक्त तय किया कि वे भी अपनी बंजर पड़ी जमीन पर बगिया उगाएंगे।

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किंतु गरीबी की आलम में यह आसान नहीं था। पूंजी के अभाव में उनकी इच्छा कमजोर पड़ती जा रही थी। फिर उन्होंने हिम्मत कर अपने सगे संबंधियों से लगभग डेढ़ लाख का जुगाड़ कर अपनी बंजर जमीन पर जोत आबाद शुरू किया। जमीन पेड़ पौधे के लायक तैयार होने के बाद झारखंड के गिरिडीह इलाके से 260 सागवान, 265 महोगनी, 10 चंदन, 25 गमहर, आम सहित अन्य प्रजातियों के पौधे लाकर लगाए गए। महेंद्र लगातार बगिया को सवारने में जुटे रहे। इस दौरान उन्हें पटवन करने में काफी परेशानी हुई लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और लगातार अगल-बगल के तालाबों से अपनी बगिया में पटवन करते रहे। डेढ़ साल में महेंद्र की बगिया हरी-भरी हो गई है। उसमें लगभग 500 से अधिक पेड़ लगे हैं। आज महेंद्र उस नक्सल प्रभावित इलाके में लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बने हैं। उनको देखकर आसपास के आधा दर्जन किसानों ने भी अपने परती जमीन पर पौधारोपण का काम प्रारंभ कर दिया है।

महेंद्र की बगिया को देखकर बगल के काला पत्थर गांव के मानिक कुमार राय, संजय सिंह, बोधी राय आदि भी अपनी बंजर जमीन पर पौधारोपण कर रहे हैं। महेंद्र बताते हैं कि उन्होंने आने वाले समय में बड़े पैमाने पर उस इलाकों को हरा-भरा करने के लिए बंजर पड़ी जमीन को उपयोग करने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही स्थानीय लोगों को भी इसके लिए जागरूक करेंगे जो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा उदाहरण पेश करेगा।


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