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मधेपुरा पंचायत चुनाव 2021: कामकाज की बात तो होती रहेगी, फ‍िलहाल आश्वासन से काम चला लें, चुनावी प्रचार में तंज

मधेपुरा पंचायत चुनाव 2021 पंचायत चुनाव के दौरान लगातार प्रत्‍याशी चुनाव प्रचार कर रहे हैं। खुद को सबसे ज्‍यादा योग्‍य बता रहे हैं। मतदाताओं को खूब आश्‍वासन दिया जा रहा है। लोग कहते हैं जीतने के बाद कोई काम नहीं होता।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Tue, 12 Oct 2021 07:33 AM (IST)Updated: Tue, 12 Oct 2021 07:33 AM (IST)
ब‍िहार पंचायत चुनाव के दौरान खूब हो रहा प्रचार।

संवाद सूत्र, पुरैनी (मधेपुरा)। पंचायत चुनाव का दौर चल रहा है। लोकतंत्र के इस महापर्व में भाग लेने की होड़ सी है। चुनाव आयोग के निर्देशानुसार जिले के सभी 13 प्रखंडों में द्वितीय चरण से लेकर दस चरणों में चुनाव कराया जा रहा है। इसमें द्वितीय चरण में मधेपुरा व तीसरे चरण में गम्हरिया व घैलाढ़ प्रखंड में चुनाव के साथ मतगणना भी संपन्न हो चुका है। जबकि पुरैनी प्रखंड में दसवें चरण के तहत आठ दिसंबर को चुनाव होना है।

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यहां संभावित प्रत्याशियों द्वारा फिलहाल प्रचार-प्रसार का दौर चल रहा है। प्रशासनिक स्तर से भी चुनाव की तैयारी युद्ध स्तर पर जारी है। ऐसे में गांव-गांव, गली-गली, चौक-चौराहों पर सबकी जुबां पर पंचायत चुनाव की ही चर्चा हो रही है। पंचायत की कमान किसको मिलेगी, कौन सरपंच बनेगा, किसको जिला परिषद की कुर्सी मिलेगी। पंचायत समिति सदस्य का चुनाव जीतकर कौन प्रखंड प्रमुख की कुर्सी पर आसीन होगा। किसको मिलेगा वार्ड सदस्य व पंच पद का ताज। आगे विकास का क्या रूप होगा। दिन हो या रात मतदाताओं के बीच इसी बात को लेकर ही बहस छिड़ी हुई है।

दुर्गापूजा, दीपावाली व छठ जैसे पर्व सर पर है। लेकिन लोकतंत्र के इस महापर्व के आगे सब गौण पड़ता दिख रहा है। ऐसे में चुनावी महापर्व मना रहे लोगों की भीड़ में शामिल संभावित प्रत्याशियों, समर्थकों द्वारा भरपूर आश्वासन का दौर भी चल रहा है। ग्रामीण इलाके में पढ़ें-लिखे युवाओं की सबसे बड़ी समस्या है बेरोजगारी। नौकरी कैसे मिलेगी। रोजगार का साधन कैसे उपलब्ध होगा। गांव में विकास का पैमाना क्या होगा। उद्योग धंधे लगेंगे या नहीं। किसानों की भी अपनी समस्या है। खेती-बाड़ी में क्या सहयोग मिलेगा आदि जैसे ढेर सारे सवाल हैं। अब सरकारी स्तर से पंचायतों को भी पहले की अपेक्षा भरपूर राशि मिल रही है।

ऐसे में विकास की बात का सवाल भी लाजिमी है। रोजगार परक साधन कैसे उपलब्ध हो यह एक बड़ी समस्या ग्रामीण इलाके में मुंह बाए खड़ी है। गांव की सरकार के माध्यम से इन सारी समस्याओं का क्या हल होगा। इस पर भी आमलोग मंथन करने में जुटे हैं। इन सवालों का जवाब भले ही अभी न मिले लेकिन निवर्तमान सहित संभावित प्रत्याशियों द्वारा आश्वासन भरपूर दिया जा रहा है। कमोबेश सभी प्रत्याशियों को ऐसे सवालों से रू-ब-रू होना पड़ रहा है। ऐसे में चुनावी मैदान मारने के फिराक में जुटे संभावित प्रत्याशियों के बीच आम मतदाताओं को आश्वासन का घूंट पिलाने में भी एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ लगी है।


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