मधेपुरा ने दिया भारतीय रेल को नई उंचाई, 12000 एचपी इलेक्ट्रिक इंजन इस्तेमाल करने वाला भारत विश्व का छठा देश
मधेपुरा निर्मित हाई स्पीड इलेक्ट्रिक इंजन ने भारत को छह देशों के एलीट ग्रुप में लाकर खड़ा कर दिया है। मधेपुरा में निर्मित इंजन की क्षमता 120 किलोमीटर प्रति घंटा है। इसकी छह हजार टन ढुलाई की है क्षमता है। यहां 13 वर्षो में 800 इंजन का निर्माण होना है।
मधेपुरा [राकेश रंजन] । मधेपुरा ने भारतीय रेल को नई ऊंचाई दी है। यहां निर्मित इलेक्ट्रिक रेल इंजन ने भारत को विश्व के छठे ऐसे देश के एलीट ग्रुप में शामिल कर दिया है जिनके पास 12,000 हॉर्स पावर की हाई स्पीड इलेक्ट्रिक इंजन है। भारत से पहले चीन, फ्रांस, जर्मनी, रूस व स्वीडन ही इतने ऊंचे क्षमता के इलेक्ट्रिक इंजन का इस्तेमाल कर रही थी। मधेपुरा निर्मित इलेक्ट्रिक रेल इंजन अब तक भारतीय रेलवे के ट्रैक पर दो मिलियन का सफर पूरा कर चुकी है। फ्रांस की एल्सटॉम व भारतीय रेलवे की संयुक्त साझेदारी वाली कंपनी के द्वारा 13 वर्षों में 800 इंजन का निर्माण करना है। चालू वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक 75 रेल इंजन का निर्माण पूरा करना है। अब तक 50 इंजन की आपूर्ति भारतीय रेल को की जा चुकी है। यह इंजन छह हजार टन वजनी मालगाडिय़ों को अधिकतम 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ले जा सकने में सक्षम है।
हर वर्ष 100 इंजन बनाने का है लक्ष्य
चालू वित्तीय वर्ष यानी 2020-21 की समाप्ति तक एल्सटॉम ने 75 रेल इंजन निर्माण का लक्ष्य रखा है। इसके बाद आगामी वित्तीय वर्षों से प्रतिवर्ष 100 इंजनों का निर्माण कर भारतीय रेलवे को सौंपी जाएगी। अब तक 50 इंजन का निर्माण कर रेलवे को सौंपी भी जा चुकी है। तैयार किए गए इंजनों का इस्तेमाल भारतीय रेलवे फिलहाल माल ढुलाई के लिए फ्रेट ट्रेनों में कर रही है। आगे से देश में माल ढुलाई के लिए अलग से बनाई जा रही फ्रेट कॉरिडोर में इन इंजनों का इस्तेमाल होगा। भारतीय रेलवे दो डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण कर रही है। ईस्ट एंड वेस्ट डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का तेजी से निर्माण हो रहा है। फ्रेट कॉरिडोर के तैयार हो जाने के बाद वर्तमान रेल ट्रैक पर मालगाड़ी का परिचालन बंद कर दिया जाएगा। फ्रेट कॉरिडोर पर मालगाडिय़ों का परिचालन प्रारंभ होने के कारण वर्तमान ट्रैक से मालगाडिय़ों का लोड कम हो जाएगा।
18 मई को रेलवे ने किया था पहला इस्तेमाल
मधेपुरा निर्मित रेल इंजन का पहला इस्तेमाल भारतीय रेल ने 18 मई 2020 को किया था। रेल मंत्रालय, डीआरडीओ व सीआरएस की अनुमति के बाद इसका इस्तेमाल प्रारंभ किया गया था। भारतीय रेल ने इस इंजन का पहला इस्तेमाल मुगलसराय जंक्शन से लेकर शिवपुरी तक किया था। देश और भारतीय रेल के लिए यह इतनी बड़ी उपलब्धि थी कि खुद रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट््वीट कर व अन्य सोशल मीडिया पर यह जानकारी स्वंय दी थी।
10 अप्रैल 2018 को पीएम ने किया था राष्ट्र को समर्पित
10 अप्रैल 2018 को पीएम नरेंद्र मोदी ने इंजन कारखाना को राष्ट्र को समर्पित किया था। पीएम ने पश्चिम चंपारण में आयोजित एक कार्यक्रम से वीडियो कॉन्फ्रेंङ्क्षसग के माध्यम से पहले इंजन को हरी झंडी दिखाई थी। पीएम ने अपने संबोधन में कहा था कि दुनियां में बहुत कम ऐसे देश हैं जो इतने शक्तिशाली इंजन का इस्तेमाल करते हैं। इस इंजन से रेल के माल ढुलाई परिवहन की गति दुगुनी हो जाएगी।