12 घंटे में तैयार किया सीमा के लिए पैर, छह इंजीनियरों ने की मेहनत, दौड़ने लगी बिहार की छात्रा
पैर गंवाया हौसला नहीं जमुई की सीमा का हौसला कम नहींं है। एक पैर कट जाने के बावजूद भी उसने हिम्मत नहीं हारी। आज उसके इसी हौसले को देखकर सभी लोग सहयोग के लिए आगे आ चुके हैं। सीमा को पढ़ाने की जिम्मेदारी उठा रहे हैं।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। हादसे में जमुई की बिटिया सीमा ने अपना एक पैर तो गंवा दिया, पर हौसला नहीं। उसने अपने सपनों को मरने नहीं दिया। वह प्रतिदिन एक पैर पर ही कूद-कूद कर एक किलोमीटर दूर स्कूल जाती थी। एक पैर के सहारे कूद-कूद कर स्कूल जाती सीमा की तस्वीर इंटरनेट मीडिया पर वायरल होने के बाद देश-दुनिया में सीमा के जज्बे की तारीफ हो रही थी।
सीमा की मदद के लिए फिल्म अभिनेता सोनू सूद, मंत्री अशोक चौधरी, सुमित सिंह सहित कई लोग सामने आए। सीमा ने कहा कि वह पढ़- लिखकर शिक्षिका बनना चाहती है। सीमा के सपनों में रंग भरने और उसकी पीड़ा कम करने की पहल बिहार शिक्षा परियोजना द्वारा भागलपुर में संचालित कृत्रिम अंग एवं अवयव निर्माण केंद्र के कर्मियों ने की। 25 मई को जानकारी मिलते ही केंद्र के पीओई (पेस्थोटेटिक्स एंड आर्थोटेटिक्स इंजीनियर) की टीम ने सर्व शिक्षा अभियान के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी देवेंद्र नारायण पंडित से संपर्क किया।
टीम के सदस्य सुमन कुमार ने कहा कि हमलोग सीमा के लिए कृत्रिम पैर का निर्माण करेंगे। डीपीओ ने कहा कि आपलोग कितने समय में सीमा के लिए कृत्रिम पैर का निर्माण कर सकते हैं। पीओई की टीम ने कहा कि पैर की माप आने के 24 घंटे के अंदर हमलोग काम पूरा कर देंगे। इसके बाद जमुई से संपर्क कर सीमा के पैर की माप भागलपुर लाई गई।
26 मई की सुबह से छह पीओई की टीम ने कृत्रिम पैर निर्माण का कार्य शुरू किया। सुमन कुमार, मुकेश कुमार, रंजीत झा, शालिनी, अरविंद कुमार, प्रवीण कुमार आदि ने सुबह से लेकर रात 12 बजे तक बिना रुके, बिना थके कृत्रिम पैर बनाने की मुहिम में जुटे रहे, ताकि सीमा अपने सपनों को पूरा करने के लिए सरपट दौड़ लगा सके। सुमन ने कहा कि कई बार बिजली कट जाने के कारण थोड़ी परेशानी हुई। आखिरकार 26 मई की रात 12 बजे कृत्रिम पैर बनकर तैयार हो गया। 27 मई को टीम ने जमुई पहुंचकर सीमा को दूसरा पैर लगा दिया गया।
सुमन ने बताया कि भागलपुर में संचालित कृत्रिम अंग एवं अवयव निर्माण केंद्र से भागलपुर, बांका, मुंगेर, खगडिय़ा, बेगूसराय, जमुई, लखीसराय और शेखपुरा जिला जुड़े हुए हैं। अभी तक केंद्र से 15 सौ से अधिक बच्चों को केंद्र से लाभ दिया गया है।