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लोरिक महोत्सव: नीतू नवगीत की लोकगीतों की बारिश में भींगे शहरवासी Supaul News

बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका नीतू नवगीत ने लोरिका महोत्‍सव के अंतिम दिन कार्यक्रम की शुरूआत गणेश वंदना मंगल के दाता भगवान बिगड़ी बनाई...से की । दर्शक भावविभोर हो उठे।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Wed, 19 Feb 2020 09:12 AM (IST)Updated: Wed, 19 Feb 2020 09:12 AM (IST)
लोरिक महोत्सव: नीतू नवगीत की लोकगीतों की बारिश में भींगे शहरवासी Supaul News
लोरिक महोत्सव: नीतू नवगीत की लोकगीतों की बारिश में भींगे शहरवासी Supaul News

सुपौल, जेएनएन। लोरिक धाम के हरदी दुर्गास्थान परिसर में आयोजित वीर लोरिक महोत्सव के तीसरे और अंतिम दिन बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका डॉ नीतू कुमारी नवगीत और उनके साथियों ने बिहार के पारंपरिक लोकगीतों की शानदार प्रस्तुति करके लोगों का दिल जीत लिया। लोक गायिका नीतू नवगीत ने कार्यक्रम की शुरुआत गणेश वंदना मंगल के दाता भगवान बिगड़ी बनाई...से की । फिर देवी मां की महिमा गान करते हुए नीतू नवगीत ने लाली चुनरिया शोभे हो शोभे लाली टिकुलिया मैया के शोभे लाल रंगवा हो शोभे लाली चुनरिया गीत पेश किया।

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उन्होंने पिपरा के पतवा फुनुगिया डोले रे ननदी, वैसे डोले जियरा हमार, हमरा आम अमरैया बड़ा नीक लागेला, सैया तोहरी मड़ईया बड़ा नीक लागेला, कौने रंगे वृंदा हो बनवा, कौने रंगे यमुना, कौने रंग बृजबाला कन्हैया खेलत हो अंगना जैसे पारंपरिक लोकगीतों को सुना कर माहौल में मस्ती का रस घोल दिया। इनकी गीतों की बारिश में शहरवासी गोते लगाते रहे। अभी वो रुकी नहीं थी। फिर फिर नीतू ने नए एल्बम से एक होली गीत नाहीं अइले सजनवा फागुन में पेश किया जिस पर श्रोता सराबोर हो गए। गोरिया बूटीदार कहवां रंगबले चुनरिया फागुन में गीत पेश किया जिस पर लोग झूम उठे।

कार्यक्रम के दौरान नीतू नवगीत ने कहा कि वीर लोरिक एक दिव्य व्यक्तित्व के स्वामी रहे हैं, जिन्होंने मानव जीवन की गरिमा को स्थापित करने तथा शोषण और दमन पर आधारित राज व्यवस्था की समाप्ति के लिए अपनी शक्ति का उपयोग किया। लोक गाथाओं में वीर लोरिक और मंजरी का प्रेम एक ऐसा दृष्टांत है जिस पर जितना लिखा जाए,जितने गीत गाए गए कम हैं । नवगीतिका लोक रसधार के कलाकारों खुशबू, निधि, श्रीपर्णा, अरुण कुमार, देव कुमार, मुन्ना जी और सुनील ने जट जटिन नृत्य, मोरंग नृत्य और पारंपरिक झिझिया नृत्य पेश करके लोगों को रिझाया। नीतू कुमारी नवगीत ने कहा कि बिहार के पारंपरिक लोकगीतों को गाकर उन्हें सुकून मिलता है। अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाना हम सबकी जिम्मेदारी है।

अपने नए एलबम के बारे में उस कहा कि उनके द्वारा गाया गया होली गीत नहीं अईले सजनवा फगुआ में यूट्यूब और फेसबुक पर काफी लोकप्रिय हो रहा है। टी-सीरीज के हमार भोजपुरी चैनल से जारी इस गीत को फेसबुक पर ढाई लाख से अधिक लोग देख चुके हैं। यह गीत यूट्यूब पर भी लोकप्रिय हो गया है और 20000 से अधिक लोगों ने उसे वहां देखा है। गीत के वीडियो का निर्देशन प्रसिद्ध निर्देशक दीपश्रेष्ठ ने किया है। इस गीत को लिखा है बिरेंद्र पांडे ने और संगीत से सजाया है राजेश केसरी ने।

गायिका नीतू कुमारी नवगीत में बताया कि पिछले साल होली में उन्होंने दो गीत कान्हा मारे गुलाल से रंग बरसे राधा के गाल से और कान्हा होलिया में रंग बरसईब कि ना,कान्हा अंगुलीगली पकड़ कर नचईब कि ना रिलीज किए थे जिसे श्रोताओं ने काफी पसंद किए। जिलाधिकारी महेंद्र कुमार ने नवगीत को शॉल और मेमेंटो देकर सम्मानित किए। समारोह में उन्हें सुनने के लिए हजारों की संख्या में लोग पहुंचे।


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