Lockdown 4 : साइकिल लेकर निकल पड़े 13 सौ किलोमीटर के सफर पर, व्यथा सुनकर हुए भावुक
Lockdown 4 कोरोना वायरस से बचने और इसके प्रसार को रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लगा है। इस दौरान कुछ प्रवासी साइकिल से अपने राज्य पहुंच रहे हैं। उनकी व्यथा भी कम नहीं है।
भागलपुर [बलराम मिश्र]। कोरोना का खौफ और खाने के लाले। सो, साइकिल लेकर ही घर की ओर निकल पड़े, मानों वह दिल्ली से बहुत दूर नहीं हो। लेकिन दूरी तो करीब 13 सौ किलोमीटर की थी। देर रात पांच ऐसे ही प्रवासी साइकिल से भागलपुर पहुंचे। उन्हें अपने घर झारखंड के राजमहल जाना था। इनमें उत्तम, सोहन, सोमेर, समर और विवेक शामिल थे। उनलोगों की व्यथा दिल दहला देने वाली थी। उन्होंने बताया कि वे लोग जैसे-तैसे 14 दिनों में भागलपुर पहुंचे।
उत्तम व सोहन ने बताया कि वे लोग दिल्ली में लाजपतनगर इलाके में एक दुकान में काम करते थे। वहां कोरोना का संक्रमण फैलते ही उनलोगों का रोजगार छिन गया। सारी जमा पूंजी खत्म हो गई। पास में बचा राशन भी समाप्त हो गया। कुछ दिनों तक तो आसपास से जुगाड़ कर पेट भरा, लेकिन स्थिति विकट हो गई तो घर लौटने का फैसला किया। श्रमिक ट्रेन चलने के बाद वे लोग रजिस्ट्रेशन के लिए गए, लेकिन वहां वेटिंग और लंबी लाइन देखकर वापस लौट आए। फिर साइकिल से ही चलने का फैसला किया। इन पांच प्रवासियों में शामिल विवेक वहां ऑटो चलाते थे। साइकिल खरीदने के पैसे भी नहीं थे और ऑटो कहां रखते। इसे बेचकर ही साइकिल खरीद ली। बाद बाकी पैसा रास्ते में काम आया। इनलोगों ने घर से निकलने से पहले कम से कम सामान पैक किया। इसके बाद राजमहल के लिए निकल गए।
उत्तम ने बताया कि उनलोगों ने दिल्ली से निकलते समय सोचा भी नहीं था कि सही-सलामत घर तक पहुंच जाएंगे। लेकिन रास्ते में कई जगहों पर पुलिस ने भोजन-पानी दिया। किसी तरह खाते-पीते यहां तक पहुंच गए। अब तो घर के बहुत करीब हैं। क्या वे लौटकर वापस जाएंगे? उन्होंने कहा, अभी तो घर भी नहीं पहुंचे हैं। कोई रोजी-रोजगार मिल जाए तो ठीक है, अन्यथा दो-चार महीनों के बाद की स्थिति देखने के बाद विचार करेंगे।