लोकल फॉर वोकल : लेमन ग्रास की खेती कर अजीत आत्मनिर्भरता के बने मिसाल
बांका के अमरपुर प्रखंड निवासी आजीत कुमार झा आज युवाओं के लिए प्रेरणाश्रोत बन गए हैं। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत के निर्माण और स्थानीय उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए लेमन ग्रास की खेती की है। जिससे ना सिर्फ उनको बल्कि अन्य लोगों को भी रोजगार मिल रहा है।
बांका, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकल फॉर वोकल के नारे को जिले के अमरपुर प्रखंड के राजपुर गांव निवासी युवा किसान अजीत कुमार झा साकार करते नजर आ रहे हैं। युवा किसान लेमन ग्रासा की खेती कर ना केवल अपने सपने को साकार करने में लगे है। वे आसपास के गांवों के युवाओं को भी लेमन ग्रास की खेती करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
वर्ष 2016 में बीसीए की डिग्री के बाद अजीत घर पर बेरोजगार बैठा था। इसके बाद उन्होंने अपने मामा के कहने पर गांव में ही जमीन लीज लेकर कुल सात एकड़ में लेमन ग्रास की खेती शुरू की। खेती की शुरूआत में कई लोगों ने उन्हें खेती न कर बाहर जाने की सलाह दी। इसके बावजूद वे अपने फैसले पर अडिग रहे। आज इनके खेतों में लहलाते लेमन ग्रास से उनके शिखर की कहानी बयां कर रही है।
अजीत बताते हैं कि शुरूआती के दिनों में लेमन ग्रास से तेल निकालने की मशीन नहीं होने से काफी नुकसान हुआ। चार माह में कटने वाला फसल छह माह में काटना पड़ा। इससे काफी नुकसान हुआ। इसके बाद इन्होंने अपने घर पर लेमन ग्रास से तेल निकालने वाली मशीन लगा ली। इससे उनकी आमदनी बढ़ गई। इससे वे चार लाख रुपया प्रति वर्ष कमाई कर हरे हैं। लेमन ग्रास की खेती प्रशिक्षण इन्होंने लखनऊ एवं कोलकाता से ली हैं।
ऑनलाइन के माध्यम से करते हैं कारोबार
अजीत बताते हैं कि अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए उन्होंने ऑनलाइन के माध्यम से लेमन ग्रास स्लिप एवं तेल की बिक्री शुरू की है। इसके लिए उन्होंने एबीएस इंटरप्राइजेज नाम से कंपनी बनाई है। बताया कि इसके माध्यम से धनबाद से एक लाख स्लिप का ऑडर मिला था। इसे कुछ दिन पहले भेजा गया है। वहीं कोलकाता से दस लीटर तेल का ऑडर मिला है। जिसे दस दिसंबर तक भेजना है। इसके अलावे वे जिले के कई प्रखंडों में 50 पैसे प्रति स्लिप की बिक्री करते हैं।
जिले के किसान लेमन ग्रास की खेती कर कम लागत पर अच्छी आमदनी कर सकते हैं। विभिन्न हिस्से में पथरीली भूमि होने के कारण वहां अच्छी खेती नहीं होती। ऐसे खेतों में लेमन ग्रास लगाकर किसान अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं। - विष्णुदेव कुमार रंजन, जिला कृषि पदाधिकारी, बांका