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''बिहार में फिर से शुरू होगी शराब की बिक्री...'' अब इस चर्चा पर लगा लें पूर्ण विराम

बिहार में दिखा-भारत में दिखेगा... इस कोट और सीएम नीतीश कुमार की तस्वीर के साथ एक पोस्टर तेजी से सुर्खियां बटोर रहा है। कहा जा रहा है कि जदयू 2024 की तैयारी कर रहा है। इधर नई सरकार के बाद शराब बिक्री की चर्चा तब तेज हो गई जब...

By Shivam BajpaiEdited By: Published: Sun, 04 Sep 2022 06:43 PM (IST)Updated: Sun, 04 Sep 2022 06:43 PM (IST)
''बिहार में फिर से शुरू होगी शराब की बिक्री...'' अब इस चर्चा पर लगा लें पूर्ण विराम
बिहार में शराबंबदी कानून सफल बनाने की नई कवायद।

आनलाइन डेस्क, भागलपुर: मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग ने 31 जुलाई के बाद एंटी लिकर टास्क फेर्स को उपलब्ध कराए गए 400 वाहनों को वापस ले लिया। इधर, सत्तारूढ़ दल जदयू ने बीजेपी का साथ छोड़कर राजद-कांग्रेस और वामदलों से हाथ मिला नई सरकार बना ली। इसके बाद पर शराब के चहेतों ने चर्चा का बाजार गर्म कर दिया। चर्चा हुई कि शराबबंदी पर टारगेट करने वाले दल राजद और हम अब एक साथ हैं, तो शायद बिहार में फिर से इसकी बिक्री शुरू हो जाए। इस बाबत इंटरनेट मीडिया पर तो मानों शराब की खबरें ऐसी छलकी कि सच में ये हो ही जाएगा। यूट्यूब पर कई 'लोकल' चैनल और इनके रिपोर्टर ने सबकुछ लोकल कर दिया।

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मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग ने जैसे ही वाहनों को वापस लिया, तब यह सवाल उठने लगा कि मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट 'शराब मुक्त बिहार' पर ग्रहण लग सकता है। लेकिन मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने इसके लिए रास्ता निकाल ही लिया। उन्होंने एंटी लिकर टास्क फोर्स को प्रभावी बनाने के लिए चिन्हित थानों में ऐसे कर्मियों को पदास्थापित करने का निर्देश दिया गया है। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित कमेटी पूरे मामलों पर नजर रखेगी।

'बिहार में दिखा, भारत में दिखेगा'

इन दिनों जदयू का एक पोस्टर तेजी के साथ सुर्खियां बटोर रहा है। सीएम नीतीश कुमार की तस्वीर के साथ इस पोस्टर में लिखा है, 'बिहार में दिखा, भारत में दिखेगा'। क्या दिखेगा? नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट... जो बिहार में तेजी के साथ क्रियान्वित किए गए हैं। राजनीतिक गलियारे में चर्चा तेज है कि विपक्ष की ओर से नीतीश कुमार ही पीएम कैंडिडेट के रूप में 2024 के चुनावी मैदान में होंगे। ऐसे में ये साफ है कि फिलहाल तो बिहार में शराबबंदी कानून कतई नहीं हटेगा। जब तक कानून नहीं हटेगा, तब तक बिहार में शराब बिक्री तो क्या, इसका सेवन करने वालों पर भी कार्रवाई होती रहेगी। तो चर्चा का बाजार यहीं से थम जाता है। 

अब एसपी तय करेंगे टारगेट

पहले एलटीएफ के जिम्मे तीन से चार थाने हुआ करते थे। शराबबंदी के लिए 400 वाहन उपलब्ध कराए गए थे। वाहनों के रख-रखाव, किराया और तेल में करोड़ों रुपये प्रतिमाह खर्च किए जा रहे थे। खर्च के हिसाब से उपलब्धि हासिल नहीं हो पा रही थी। परिणाम स्वरूप विभाग ने वाहनों को वापस ले लिया। वाहन वापस लेने के बाद तस्करों व शराबियों के विरुद्ध कार्रवाई में कुछ दिनों के लिए कमी भी आई। इस स्थिति से निपटने के लिए मद्य निषेध विभाग के अपर सचिव केके पाठक ने नया रास्ता ढूंढा है। जिलाधिकारी को उन्होंने निर्देशित किया कि वैसे थानों को चिन्हित करें, जो शराबबंदी के लिए महत्वपूर्ण हैं। चिन्हित थानों में ही एंटी लिकर टास्क फोर्स के कर्मियों को पदास्थापित किया जाए। अवश्यकता पड़ने पर ऐसे कर्मियों को मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग द्वारा वाहन मुहैया कराया जाएगा। 

मामले पर नजर रखने के लिए जिलास्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक कमेटी भी गठित होगी। कमेटी में एसपी मद्य निषेध के अधीक्षक के अलावा जिलाधिकारी चाहे तो किसी अन्य पदाधिकारी को भी आमंत्रित कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि एंटी लिकर टास्क फोर्स उतनी ही संख्या में चिन्हित थानों में रखी जाए, जो पूर्व पदास्थापित रहे। यदि जिले के वरीय अधिकारी बल की संख्या बढ़ाना चाहते हैं तो स्वयं इसका अपने स्तर से मूल्यांकन करें। एसपी को ये जिम्मेदारी सौंपी गई है कि इस कार्य में तेज तर्रार एवं बेहतर पुलिस पदाधिकारियों को रखा जाए। इन जवानों और पदाधिकारियों की सक्रियता दियारा एवं टाल क्षेत्रों में भी बनी रहे। राष्ट्रीय उच्चपथ पर भी निगरानी रख सकें। सबसे महत्वपूर्ण तथ्य ये है कि प्रत्येक थाने को गिरफ्तारी के लिए लक्ष्य निर्धारित किया जाए और ये भी सुनिश्चित हो कि शराबबंदी के लिए शराबियों एवं कारोबारियों की धर-पकड़ प्रतिदिन हो। की गई कार्रवाई से मद्य निषेध विभाग के उप आयुक्त को अवगत कराया जाए। हर दिन इसकी रिपोर्ट फाइल हो।


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