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बियाडा की जमीन पर भू स्वामियों का है कब्जा, लहलहा रहीं फसलें

कहलगांव में स्थित बियाडा की जमीन पर उद्योग लगाने आये उद्यमी यहां के माहौल को देखते हुए लाचार हो वापस लौट गए है, यही नहीं जमा की गई सिक्योरिटी रकम भी वापस लौटा लिए हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Wed, 21 Nov 2018 06:23 PM (IST)Updated: Wed, 21 Nov 2018 06:23 PM (IST)
बियाडा की जमीन पर भू स्वामियों का है कब्जा, लहलहा रहीं फसलें

भागलपुर [विजय कुमार विजय]। राज्य सरकार बाहरी निवेशकों को बिहार में उद्योग लगाने और सुरक्षा एवं अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की बात कहते है परंतु बिहार के ही कहलगांव में स्थित बियाडा की जमीन पर उद्योग लगाने आये उद्यमी यहां के माहौल को देखते हुए लाचार हो वापस लौट गए है, यही नहीं जमा की गई सिक्योरिटी रकम भी बापस लौटा लिए हैं। अब तो यहां उद्यमी आने भी तैयार नही हैं। कहलगांव में एनटीपीसी को लेकर उद्योग की स्थापना के लिए दो दशक पूर्व ही बिहार इंडस्ट्रियल एरिया डपलपमेंट प्राधिकार बियाडा के द्वारा बभनगामा, कुतुबपुर, अलीपुर, विशनपुर, हब्बीपुर, लोगाई मौजा में करीब एक हजार एकड़ जमीन अर्जित किया है। अर्जित जमीन पर उद्योग लगने के वजाय किसान खेती कर रहे हैं फसल लहलहा रही है।

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जमीन अभी भी भू विस्थापितों के ही अधीन है

यही नही कुछ जगहों की जमीन का मिट्टी खुदाई कर ईंट भट्टे के पास बेच दिया गया है। जमीन पर आज तक बियाडा दखल कब्जा नहीं कर पाया है। जमीन अभी भी भू विस्थापितों के ही अधीन है। यही नहीं अंचल में भी बियाडा अर्जित जमीन का दाखिल खारीज अपने नाम नही करा पाया है। अंचल के जमाबन्दी और खतियान में किसानों यानी भूस्वामियों का ही नाम दर्ज है। बियाडा द्वारा अंचल को सिर्फ जमीन की सूची उपलब्ध कराया था इसपर भूस्वामियों के नाम राजस्व रसीद कटने पर रोक लगा दिया गया है। दाखिल खारिज नही होने पर अंचल को उक्त जमीन का राजस्व भी नहीं मिल रहा है। बियाडा अपने नाम जमीन कराने के लिए अंचल में कागजात क्यो नहीं प्रस्तुत कर रहे हैं। क्यो मौन साधे हुए हैं। यहां बियाडा में करीब एक दर्जन निवेशक जमीन लीज पर लेकर उद्योग स्थापित करने के लिए तैयार हुए थे।

70 प्रतिशत चाहरदिवारी का काम पूरा 

बियाडा ने अर्जित जमीन की घेराबंदी चाहर दिवारी भी देने लगे थे करीब 70 प्रतिशत चाहरदिवारी का काम भी पूरा हो गया था। टेक्सटाइल पार्क ने 150 एकड़, हैंडलूम पार्क ने 25 एकड़, आधुनिक पावर नेच्युरल रिसोर्सेज ने 300 एकड़, स्टार सेंच्युरी सीमेंट फेक्ट्री ने 60 एकड़, ग्रीन वैली सीमेंट कम्पनी ने 30 एकड़, सर्वोत्तम इंफ्रास्ट्रक्चर, अशोक मेडिकल कॉलेज आदि ने जमीन लीज पर ली थी। निवेशकों द्वारा जब काम शुरू करने की प्रक्रिया प्रारंभ की तो स्थानीय लोगों ने विरोध शुरू कर दिया। नागरिक सह किसान मजदूर संघर्ष समिति की बैनर तले कुछ लोग इक्का हो कर नौकरी, रोजगार, बढ़ी हुई दर पर मुआवजा आदि की मांग को लेकर आंदोलन करने लगे। स्टार सीमेंट फैक्ट्री वाले तो पूरी तैयारी के साथ आये थे।

मापी के वक्त जमकर हुआ विरोध, मारपीट

पहले तो प्रशासन भी कम्पनी वाले की मदद कर रहा था। लेकिन जब बियाडा से जमीन का सीमांकन कर देने कहा तो जमीन मापी के वक्त जमकर विरोध हुआ मारपीट कर भगा दिया गया, उस वक्त पुलिस मूकदर्शक बनी रही। प्रशासन के साथ भू विस्थापित की कई बार बैठक भी हुई थी परंतु आंदोलनकारी बात मानने तैयार ही नही थे। वर्ष 2011 से 13 तक आंदोलन चलते रहा। उस वक्त के जिलाधिकारी ने बढ़ी हुई दर पर मुआव़जा देने की बात कहा था इससे आंदोलनकारी को और बल मिल गया था। स्टार सीमेंट फैक्ट्री के प्रबंधन द्वारा भूमि पूजन के समय जमकर मारपीट की घटना हुई थी पुलिस पर पथराव भी हुआ था पुलिस ने भी लाठीचार्ज किया था। पुलिस एवं कम्पनी की ओर से आंदोलन की अगुआई कर रहे ओमप्रकाश यादव, रणधीर यादव सहित दर्जनों लोगों पर 18 मुकदमा दर्ज किया गया था। इस घटना के बाद राजनीति रंग पकड़ लिया था।

माहौल देखकर उद्यमियों ने बदला इरादा 

प्रशासन और राज्य सरकार भी चुप्पी साध ली। जबकि अनेकों भू विस्थापित और इलाके के लोग यह उद्योग स्थापना के पक्षधर थे। यहां के माहौल को देख उद्यमियों ने उद्योग स्थापना का इरादा त्याग कर बियाडा से अपना जमा राशि वापस ले लिया। अब तो कोई निवेशक यहां वियाडा के तरफ उद्योग स्थापना का सोच भी नही रहे है। बियाडा कि चाहरदीवारी भी तोड़ कर ईंट और छड़ चुराकर ली गई है। बीच-बीच के कुछ हिस्से में क्षतिग्रस्त चाहरदीवारी बचा हुआ है। यह सही है कि यहां की जमीन काफी उपजाऊ है यहां उद्योग के लिए बियाडा को जमीन अर्जित नही करना चाहिए था। यह भी सही है कि यहां उद्योग स्थापित होने से इलाके की तकदीर बदल जाती क्षेत्र का काफी विकास होता।


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