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गंगा की लहरों पर सवार होकर गुजरी लाल बहादुर शास्त्री कार्गो, तो जवां हो उठी व्यवसायियों की उम्मीदें

गंगा में बढ़ेगी मालवाहक जहाजों की आवाजाही। यात्री जहाजों की संख्या भी बढ़ेगी पर्यटन उद्योग और व्यवसाय को मिलेगा बढ़ावा। इंडो-बांग्लादेश प्रोटोकाल पर सहमति के बाद जलमार्ग की बढ़ जाएगी अहमियत। जलमार्ग की विशेषता। सड़क व रेलमार्ग की तुलना में सस्ता सामान के सुरक्षित पहुंचने की गारंटी।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Wed, 09 Feb 2022 10:58 PM (IST)Updated: Wed, 09 Feb 2022 10:58 PM (IST)
गंगा की लहरों पर सवार होकर गुजरी लाल बहादुर शास्त्री कार्गो, तो जवां हो उठी व्यवसायियों की उम्मीदें
भागलपुर के विक्रमशिला सेतु पार करके बरारी पहुंचा लाल बहादुर शास्त्री कार्गो (माल वाहक जहाज)।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। लाल बहादुर शास्त्री कार्गो (माल वाहक जहाज) बुधवार को सिल्क सिटी के बगल से बहने वाली गंगा की लहरों पर सवार होकर भागलपुर के रास्ते गुजरा। पटना से केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनेवाल ने एफसीआइ के 200 टन चावल लदे लालबहादुर शास्त्री कार्गो को रवाना किया, तो गंगा तट पर बसे सिल्क सिटी भागलपुर की उम्मीदें भी परवान चढऩे लगीं। भागलपुर का 50 प्रतिशत व्यवसाय कोलकाता की मंडी पर निर्भर है। ऐसे में कार्गो जहाज भागलपुर से कहलगांव की तरफ बढ़ा, तो स्थानीय व्यवसायियों की उम्मीदें भी जवां हो उठी।

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भागलपुर खाद्यान्न व्यवसायी संघ के उपाध्यक्ष अभिषेक जैन ने कहा कि जल मार्ग से परिवहन की व्यवस्था सुचारू होने के बाद भागलपुर के व्यवसाय को नई संजीवनी मिल जाएगी। कोलकाता से दलहन, तेलहन के साथ ही प्लास्टिक निर्मित उत्पाद आसानी से भागलपुर पहुंच सकेगा। जल मार्ग में किराया कम लगेगा, तो इसका सकारात्मक असर भी व्यवसाय पर पड़ेगा। भागलपुर के वस्त्र भी आसानी से कोलकाता बंदरगाह तक पहुंचाए जा सकेंगे। जहां से विदेशों में भी निर्यात किया जा सकेगा।

मौसम ने रोका कार्गो का रास्ता

भागलपुर टर्मिनल से मिली जानकारी के अनुसार सोमवार की संध्या कार्गो मुंगेर पहुंच गया था। सोमवार की सुबह प्रतिकूल मौसम के कारण कार्गो एक से दो घंटे देर से मुंगेर से खुला। इसके बाद सुल्तानगंज, भागलपुर होते हुए कार्गो कहलगांव की ओर रवाना हुआ। देर शाम कार्गो को केलावाड़ी के समीप रूकना पड़ा।

बढ़ेगी कार्गों की संख्या

गंगा में कार्गों की संख्या बढ़ेगी। इंडो-बंग्लादेश प्रोटोकाल पर दोनों देशों के बीच वार्ता चल रही है। बांग्लादेश में अधिकांश माल की आपूर्ति भारत से ही होती है। ऐसे में दोनों देशों के बीच सहमति बन गई, तो बंग्लादेश को फ्लाइ एश, स्टोन, खाद्यान्न आदि की बड़े पैमाने पर आपूर्ति की जाएगी। इसके बाद गंगा में कार्गो की संख्या कई गुणा बढ़ जाएगी। अभी बंगाल से टाइटन नाइन, जयसागर वार्ज कार्गो आ रहा है, जो बाढ़ तक जाएगा। एनटीपीसी से माल लोड कर शिप वापस बंगाल के लिए लौटेगी।

कोरोना ने जलमार्ग को भी पहुंचाया नुकसान

कोरोना ने जल मार्ग को भी नुकसान पहुंचाया। पहले कोलकाता से एबीएन राजमहल, सुखापा, अलखनंदा, पांडवा सहित दस शिप पर्यटकों को लेकर भागलपुर और मुंगेर तक आती थी। पर्यटक विक्रमशिला सेतु, सिल्क उद्योग, मुंगेर योगाश्रम आदि का भ्रमण करते थे। अब एक बार फिर से यात्री जहाज का परिचालन शीघ्र शुरू होगा। यात्री जहाज का परिचालन शुरू होने से पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।


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