Bihar: जिस कोसी-सीमांचल ने देश को दिए दिग्गज नेता, अब उस क्षेत्र के सांसदों को मंत्रिमंडल में नहीं मिली जगह
Bihar Politics कोसी और सीमांचल की धरती राजतिनिक रूप से उर्वर रही है। यहां एक से बढ़ कर एक सांसदों की कर्म और जन्मस्थली है। यहां की राजनीति कोसी की धार की तरह करवट लेती रहती है। पूर्व के 10 राजनीतिक दिगज्जों को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने का मौका मिला। पिछले आम चुनाव में इस इलाके से जदयू के चार और बीजेपी-कांग्रेस के एक-एक सांसद चुने गए थे।
संजय सिंह, भागलपुर। कोसी और सीमांचल की धरती राजतिनिक रूप से उर्वर रही है। यहां एक से बढ़ कर एक सांसदों की कर्म और जन्मस्थली है। यहां की राजनीति कोसी की धार की तरह करवट लेती रहती है। पूर्व के 10 राजनीतिक दिगज्जों को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने का मौका मिला।
विगत 10 वर्षों से इस इलाके का कोई भी सांसद केंद्रीय मंत्रिमडल का सदस्य नहीं बन सका। पिछले आम चुनाव में इस इलाके से जदयू के चार और बीजेपी-कांग्रेस के एक-एक सांसद चुने गए थे। इस लोकसभा चुनाव में इस क्षेत्र का राजनीतिक गणित थोड़ा उलट हो गया।
किशनगंज के अलावा कटिहार और पूर्णिया की सीट पर कांग्रेस और निर्दलीय का कब्जा हो गया। ये दोनों सीटें पूर्व में जदयू के खाते में थीं। राजनीतिक उलट-पुलट के बावजूद यहां के मतदाताओं को लगता था कि इस इलाके का कोई न कोई सांसद केंद्रीय मंत्रिमंडल में जरूर शामिल होगा। मधेपुरा की धरती आजादी के समय ही राजनीतिक रूप से उर्वर रही है।
ये नेता जीते इस क्षेत्र से चुनाव
इस इलाके का प्रतिनिधित्व बीपी मंडल, लालू प्रसाद यादव और शरद यादव सरीखे लोग कर चुके हैं। लालू प्रसाद यादव मधेपुरा और छपरा से एक साथ चुनाव जीते थे। तब उन्होंने मधेपुरा की सीट छोड़ दी और केंद्रीय मंत्रिमडल में रेल मंत्री बन गए। शरद यादव ने भी मध्य प्रदेश से यहां आकर मधेपुरा को अपनी कर्मस्थली बनाया।
वे मधेपुरा से चार बार सांसद रहे। उन्हें भी केंद्रीय मंत्रिमडल में जगह मिली थी। उनके निधन के बाद जदयू के टिकट पर दिनेश चंद्र यादव दूसरी बार मधेपुरा के सांसद बने। उसके पहले वे सहरसा और खगड़िया से भी सांसद रह चुके हैं। उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में अब तक स्थान नहीं मिला।
मधेपुरा के ही बीपी मंडल भले ही केंद्रीय मंत्री नहीं बने हों, पर उन्हें बिहार का मुख्यमंत्री और मंडल कमीशन का चेयरमैन बनने का अवसर मिला। परिसीमन के पहले जब सहरसा लोकसभा क्षेत्र अस्तित्व में था तो सुपौल जिले के बलुआ बाजार निवासी ललित नारायण मिश्र को इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में रेल मंत्री के रूप में जगह मिली। उन्होंने क्षेत्र का खूब विकास किया।
भाजपा ने शाहनवाज हुसैन को उतारा और चुनाव में मिली जीत
समस्तीपुर में उनकी हत्या के बाद उनके छोटे भाई डा. जगन्नाथ मिश्र सक्रिय राजनीति में आए। उन्हें भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के साथ-साथ बिहार का मुख्यमंत्री बनने का अवसर प्राप्त हुआ। इन दोनों भाइयों के अलावा इस इलाके का कोई भी सांसद केंद्रीय मंत्रिमंडल का सदस्य नहीं बन सका। परिसीमन के बाद 2009 में सुपौल लोकसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया।
इस सीट से तीन बार जदयू और एक बार कांग्रेस के सांसद चुने गए, लेकिन किसी को भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। सीमांचल की कटिहार सीट पर इस आम चुनाव में कांग्रेस ने जदयू को पटखनी दे दी। कांग्रेस सांसद के रूप में तारिक अनवर चुने गए।
अनवर भी केंद्रीय मंत्रिमडल के सदस्य रह चुके हैं। इस सीट पर जब भाजपा के सांसद के रूप में निखिल चौधरी चुने गए थे तो उन्हें भी अटल सरकार में मंत्री बनने का मौका मिला था। मुस्लिम बहुल किशनगंज लोकसभा सीट से सीमांचल के गांधी कहे जाने वाले तस्लीमुद्दीन को गृह राज्य मंत्री बनाया गया था।
भाजपा ने प्रयोग के तौर पर शाहनवाज हुसैन को यहां से टिकट दिया था। जब उन्होंने जीत दर्ज कराई तो इनाम के तौर पर उन्हें भी केंद्रीय मंत्रिमडल में जगह मिली थी। किशनगंज के सांसद वरिष्ठ पत्रकार एमजे अकबर भी रहे हैं। एमजे अकबर भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में सदस्य रह चुके हैं। अररिया सीट भी मुस्लिम बाहुल्य है। यहां से तीसरी बार प्रदीप सिंह भाजपा के सांसद चुने गए हैं। उन्हें जीत के लिए मशक्कत करनी पड़ी।
राज्य मंत्रिमंडल में कोसी और सीमांचल के चार सदस्य
सामाजिक और राजनितिक पैठ को मजबूत बनाने के उद्देश्य से कोशी और सीमांचल के चार विधायकों को नीतीश मंत्रिमंडल में जगह मिली है। इनमें से दो भाजपा और दो जदयू कोटे के मंत्री है। सुपौल और छातापुर के विधायक विजेंद्र नारायण और नीरज बबलू राज्य मंत्रिमंडल के सदस्य हैं।
इधर, पूर्णिया की जदयू नेत्री लेसी सिंह भी मंत्री हैं। भाजपा ने किशनगंज निवासी विधान पार्षद दिलीप जायसवाल को मंत्री बनाया है। मंत्री बनाने में क्षेत्रीय और जातीय संतुलन का पूरा ध्यान रखा गया है।
कोसी और सीमांचल का कोई माई-बाप नहीं रह गया है। यह इलाका राजनितिक रूप से काफी उर्वर रहा है। विगत 10 वर्षों से इस इलाके के किसी भी सांसद को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई। - किशोर कुमार मुन्ना, पूर्व विधायक, सहरसा