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किशनगंज: बंद पड़े हैं सरकारी नलकूप, बहादुरगंज में किसानों को सिंचाई में हो रही परेशानी

किशनगंज में सरकारी नलकूप बंद रहने से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बहादुरगंज में रख-रखाव व समुचित व्यवस्था के अभाव में अधिकांश सरकारी स्टेट बोरिंग खराब व बंद पड़ा है। इसकी ठीक से रखरखाव को लेकर...

By Abhishek KumarEdited By: Published: Fri, 27 May 2022 05:58 PM (IST)Updated: Fri, 27 May 2022 05:58 PM (IST)
किशनगंज: बंद पड़े हैं सरकारी नलकूप, बहादुरगंज में किसानों को सिंचाई में हो रही परेशानी
किशनगंज में सरकारी नलकूप बंद रहने से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

संवाद सूत्र, बहादुरगंज (किशनगंज)। सरकार कृषि क्षेत्र में किसानों को अधिक से अधिक लाभ देने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करती है। इसके बावजूद सिंचाई की समुचित व्यवस्था के अभाव में यहां के किसान भाग्य भरोसे खेती करने को मजबूर हैं। प्रखंड के कुछेक पंचायत में सिचाई के लिए सरकारी स्टेट बोरिंग भी है। लेकिन रख-रखाव व समुचित व्यवस्था के अभाव में अधिकांश सरकारी स्टेट बोरिंग खराब व बंद पड़ा है। जो अपने उद्धारक का बाट जोह रहा है।

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वर्षों से खराब रहने के कारण धीरे-धीरे किसानों के अंदर सरकारी बोरिंग से सिंचाई को लेकर मायूसी छा रही है। प्रखंड के 85 प्रतिशत आबादी किसी न किसी रूप में खेती पर आश्रित रहने के बावजूद विभिन्न समस्याओं से घिरे किसानों के इस गंभीर समस्याओं को देखने वाला कोई नहीं है। समेसर पंचायत के किसान मिलन कुमार सिन्हा, नरेश कुमार गणेश, अशोक कुमार गणेश, महेन्द्र प्रसाद गणेश, कुंवर सिंह सहित दर्जनों किसानों का कहना है कि पंचायत क्षेत्र में समेसर हाट, झाटीबाड़ी समेसर, विलासी व तकिया में सरकारी स्टेट बोरिंग है। चार -चार बोरिंग रहने के बावजूद कुव्यवस्था के कारण सभी बंद पड़ा है।

यह स्टेट बोरिंग आज मात्र शोभा की वस्तु बन कर रह गई है। क्षेत्र के किसानों का कहना माने तो इन बंद पड़े बोरिंग को चालू करने के लिए प्रशासनिक आला अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधियों तक फरियाद किया गया है, लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान देने की जरूरत महसूस नहीं की। फलस्वरूप सभी स्टेट बोरिंग धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील होते जा रहा है। वहीं मशीनों में भी जंग लग कर खराब होता जा रहा है। जनता हाट निवासी मिलन कुमार सिन्हा व तकिया गांव निवासी नरेश कुमार गणेश का कहना माने तो मशीन की कुछ खराबी व पानी सप्लाई की फटी पाइप का मरम्मत कर दिया जाए तो यहां के किसानों का भाग्य चमक सकता है।

उधर सरकारी सिंचाई के अभाव में महंगी खाद, बीज व निजी पंप सेट के जरिये सिंचाई करने से किसानों को दिनों दिन खेती से हानि उठाना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर सरकार किसानों के उत्थान के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने की दावा कर रही है। लेकिन प्रशासन व जनप्रतिनिधि इन मूलभूत समस्याओं पर ध्यान न देकर कृषि विभाग खानापूर्ति के नाम पर रुपये खर्च कर रही है। यह हाल सिर्फ समेसर पंचायत में लगे सरकारी स्टेट बोरिंग का ही नहीं है बल्कि प्रखंड के विभिन्न पंचायत में लगे अन्य स्टेट बोरिंग का भी कमोबेश यही हाल है। प्रखण्ड क्षेत्र के किसानों ने क्षेत्रीय विधायक अंजार नईमी से बंद पड़े सभी सरकारी स्टेट बोरिंग को चालू करने की मांग की है। ताकि किसानों को समुचित सिंचाई की सुविधा मिल सके और खुशहाल जिंदगी जी सके।


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