वसंत गोष्ठी : चेहरे पर मुस्कुराहट, ठहाकों की आवाज के बीच पल बना यादगार Bhagalpur news
वसंत गोष्ठी सह अखिल भारतीय कवि सम्मेलन होली के अवसर पर मारवाड़ी पाठशाला में कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। संचालन शशिकांत यादव ने किया। अमन अक्षर की कविताओं की काफी प्रशंसा हुई।
भागलपुर, जेएनएन। मारवाड़ी पाठशाला का प्रांगण होली की रंग में रंगा रहा। मौका था 59वां मित्र वसंत गोष्ठी सह अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का। जिसमें कवियों ने फागुन के रस में श्रोताओं को डूबो दिया। कविता की पिचकारी से रंग निकला तो सभी लोटपोट हो गए। कभी हंसी की बारिश हो रही थी, कहीं गजल अंगड़ाई ले रही थी, कहीं गीत सावन के झूले पर झूल रहा था। कभी इश्क का रंग गाढ़ा हो रहा था, तो कभी क्रांति के बोल फूट रहे थे। कभी सरहदों पर तनाव का मंजर दिखा तो कभी ईश्वर की वंदना। सुबह से जहां बारिश की संभावना दिख रही थी। पर, कवियों को देख मौसम भी खुशगवार हो गया। एक ओर आसमान में तारे टिमटिमा रहे थे तो दूसरी ओर काव्य की दुनियां के सितारों से मंच रोशन हो रहा था। अपने चहेते कवियों को सुनने के लिए सात बजे से ही ही लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो गया। इंदौर से पहुंची शृंगार रस की कवि डॉ.भुवन मोहिनी ने मां सरस्वती की वंदना मां तू संवार दे...से कार्यक्रम की शुरुआत की। सम्मेलन की जिम्मेदारी वीर रस के कवि शशिकांत यादव को सौंपा गया। इससे पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन मेयर सीमा साहा, डिप्टी मेयर राजेश वर्मा, राजीव कांत मिश्रा, अध्यक्ष अश्विनी जोशी मोंटी, शंभू खेतान ने दीप जलाकर किया। कविवर रमेश चंद्र मिश्र 'अंगार' के चित्र पर पुष्प चढ़ाए गए। अतिथियों का स्वागत जगदीश चंद्र मिश्र ने किया। अध्यक्ष, संयोजक पंकज बजाज और सह स्वागताध्यक्ष नीतिन भुवानेका ने की भूमिका अहम रहा।
शिवसेना फंसी रे अबकी पवार की चाल में
मुंबई से पहली बार भागलपुर पहुंचे हास्य रस के कवि सुरेश मिश्रा ने माइक पकड़ते ही सभी का हंसाना शुरू कर दिया। राजनीतिक गलियारे से कई कविताओं को परोसा। कवि ने शिव सेना फंसी रे अबकी पवार की चाल में...प्रस्तुत की तो सभी ठहाके लगाने लगे। अन्ना का खास खांस-खांस कर सीएम बन गया। अभी हंसाने का दौर शुरू ही हुआ था कि कवियों ने वाड्रा की हो एंट्री या केजरीवाल की एंट्री सब टन, टन, टन। इसरो और मिसरो (मिश्रा) से सबको खतरा है। जिस तरह माइक और वाइफ में कई अंतर हैं, वैसे ही इसरो और मिसरो को देश की जरूरत बताया। कोरोना वायरस से घबराने की जरूरत नहीं, हमारे मोदी जी सब ठीक कर देंगे...।
जेमनी ने जमा दी महफिल
दिल्ली से पहुंचे हास्य कवि अरुण जेमनी ने अपनी कविता से महफिल ही जमा दी। सियासत की चुटकी ली तो 21वीं सदी में लोगों के हाथों से फिसलते जा रहे संस्कार के प्रति लोगों को चेताया। जबलपुर के सुदीप भोला की कविता... आई कैसी बेहयाई, दरिंदों ने दो महीने की बच्ची तड़पाई...। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर एक से एक कविताएं पढ़ी। बिहार की राजनीति और पुलिस व्यवस्था पर खूब चुटकी ली।
अपनी गजलों से किया मदहोश
कवयित्री योगिता चौहान की बारी का इंतजार श्रोता बेसब्री से कर रहे थे। कवयित्री ने तेरी हर बात पर जां फिदा हो गई आजा कर ले यतन एक मुलाकात का, मिलके शिकवे गिले सारे कर ले खत्म। तिनके में बिखर कर हम मिलेंगे, जाते जाते तुम नहीं आई तुम्हारी यादें सौ सौ बार आई, की प्रस्तुत की।
रहीम से लालू फिर मायावती और मोदी
कवि सम्मेलन में बाबा राम रहीम से लेकर योगी, लालू तक। सुरेंद्र यादवेंद्र ने कहा नाच रही थी लाल टेन बुझ गया मेरे हवा के झोके से, भाजपा के फूंक दिया हाय रे धोखे से...पर सभी ने खूब चुटकी ली। इंदौर से आए गीत रस के कवि अमन अक्षर ने कई तीखे बाण छोड़ें।
सारा जग है प्रेरणा
'सारा जग है प्रेरणा प्रभाव सिर्फ राम है भाव सूचियाँ बहुत हैं, भाव सिर्फ राम है', जैसे ही यह कविता युवा कवि अमन अक्षर ने शुरू की लोगों की तालियां काफी देर तक बजती रही। इसी कविता की जैसे ही उन्होंने यह पंक्तियां 'सीता आग में न जली, राम जल में जल गए' पढ़ी, श्रोताओं ने खड़े होकर उनकी हौसला अफजाई की।
ऐसा बंधा समां, जमे रह गए पैर
हास्य, शृंगार, वीर रस, गीत, गजलें और शायरी ने ऐसा समां बांधा कि श्रोता अपने जगह पर जम से गए थे। हंसने हंसाने का सिलसिला सुबह चार बजे तक चला। कवियों ने जहां अपने व्यंग के तरकस से सरकार और सत्ता पर तीर छोड़े तो देशप्रेम और नारी सशक्तीकरण के साथ कवियों के व्यंग ने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। वर्तमान सरकार से प्रशासन और राष्ट्रीय मुद्दे पर एक से एक कविताएं प्रस्तुत की। कवियों ने व्यंग्य बाण और कटाक्ष के साथ वीर रस की कविताओं से लोगों को भरपूर मनोरंजन किया।