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Bihar : पड़ेसी देशों को बिजली देगा कटिहार, 300 करोड़ की लागत से तैयार हो रहा सुपर पावर ग्रिड

बिहार के कटिहार जिले में 300 करोड़ की लागत से सुपर पावर ग्रिड का निर्माण किया जा रहा है। बिजली उत्पादन के क्षेत्र में कटिहार अब सीमांचल और बांग्लादेश को विद्युत सप्लाई करने लगेगा। बता दें कि पहले यहां डीजल के जेनरेटर से बिजली उत्पादन होता था।

By Shivam BajpaiEdited By: Published: Tue, 03 Aug 2021 04:08 PM (IST)Updated: Tue, 03 Aug 2021 04:08 PM (IST)
Bihar : पड़ेसी देशों को बिजली देगा कटिहार, 300 करोड़ की लागत से तैयार हो रहा सुपर पावर ग्रिड
कटिहार देगा बांग्लादेश को बिजली, विद्युत उत्पादन में होगा अव्वल।

प्रदीप गुप्ता, संवाद सूत्र, कटिहार। डीजल से संचालित जेनरेटर से बिजली उत्पादन करने वाले कटिहार में अब उच्च क्षमता का पावर ग्रिड कोढ़ा प्रखंड में बनाया जाएगा। 300 करोड़ की लागत से सुपर पावर ग्रिड का निर्माण होने के बाद कोसी, सीमांचल सहित पड़ोसी देश बांग्लादेश को भी इस पावर ग्रिड से बिजली सप्लाई की जाएगी। 1957 में 660 किलोवाट क्षमता वाले डीजल आधारित बिजली घर शहर के बिनोदपुर में स्थापित की गई थी। इस बिजली घर से मार्च 1957 में बिजली उत्पादन व आपूर्ति का काम हुआ था। पूर्णिया जिला मुख्यालय तक बिजली ले जाने के लिए 11 हजार वोल्ट का तार लगाया गया था। इससे कटिहार और पूर्णिया के कुछ खास इलाके में बिजली आपूर्ति की जाती थी।

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द्वितीय पंचवर्षीय योजना में 330 किलोवाट क्षमता वाला बिजली घर किशनगंज एवं 1960 में फारबिसगंज में भी स्थापित की गई। कटिहार से बनमनखी को बिजली आपूर्ति के लिए इस बिजलीघर की क्षमता 25 सौ किलोवाट तक बढ़ाई गयी थी। डीजल आधारित उच्च क्षमता वाले कटिहार बिजली घर में 10 यूनिट लगाए गए थे। इसका मकसद किसी भी समय कम से कम छह यूनिट को चालू रखना था। लोड के अनुसार जरूरत होने पर सभी 10 यूनिट को भी चालू किया जाता था, ताकि उपभोक्ताओं को सुचारू रूप से बिजली की आपूर्ति होती रहे। पावर हाउस परिसर में रखा हाई पावर जेनरेटर आज भी अतीत की यादों को ताजा कराता है।

40 कर्मी की थी पदस्थापना, चलते थे कई उद्योग

जेनरेटर आधारित बिजली घर में 40 कर्मी की पदस्थापना की गई थी। एक यूनिट के संचालन में लगभग 35 से 40 लीटर डीजल प्रति घंटा की खपत होती थी । यहां से मिलने वाली बिजली से कई उद्योग धंधे भी चलते थे। 1987 में डीजल से संचालित पावर हाउस में तकनीकी खराबी आने के बाद इसे बंद कर दिया गया। इसी दौरान बरौनी थर्मल पावर स्टेशन से कटिहार को बिजली आपूर्ति होने लगी। इस स्थिति में थर्मल पावर से आपूर्ति बाधित होने पर जेनरेटर आधारित बिजली घर के कुछ यूनिट के जरिए आपूर्ति की कोशिश होती थी। अधिक लागत व मांग के अनुरुप उत्पादन नहीं होने के कारण धीरे-धीरे इसे बंद कर दिया गया।

बुजुर्गों की जेहन में कैद है यादें

शहर के गामी टोला निवासी जगदीश प्रसाद साह ने बताया कि वह दौर अनोखा था। डीजल संचालित बिजली घर से कटिहार के साथ पूर्णिया तक बिजली आपूर्ति होती थी। 30 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली दी जाती थी। बिजली बिल भी डाकिया द्वारा घर घर पहुंचाया जाता था। बिजली घर के कारण कई उद्योग धंधे स्थापित हुए थे। इस कारण कटिहार को मिनी कोलकाता भी कहा जाता था। स्थानीय बुजुर्गों ने बताया कि कौतुहलवश डीजल से संचालित विद्युत केंद्र देखने लोग यहां आते थे। जेनरेटर आधारित बिजली घर से विकास कार्य को गति मिली थी।


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