Move to Jagran APP

Coronavirus: कोरोना के डर से लौटे प्रवासी, गंगा नदी ने दिया इस तरह सहारा

Katihar coronavirus News update कोरोना वायरस के डर से काफी संख्‍या में प्रवासी कटिहार लौटे। उन्‍हें यहां काफी परेशानी हुई। लेकिन गंगा ने इनके लिए रोजगार के अवसर उपलब्‍ध कराए। गंगा नदी कोरोना में इनके लिए संकटमोचन बना।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Tue, 27 Apr 2021 05:33 PM (IST)Updated: Tue, 27 Apr 2021 05:33 PM (IST)
रोजगार के अभाव में मछली मार कर रहे भरण पोषण।

कटिहार [मनीष कुमार सिंह]। कटिहार के अमदाबाद प्रखंड क्षेत्र में प्रत्येक वर्ष गंगा नदी के बाढ़ व कटाव से बड़ी आबादी प्रभावित होती है। लेकिन यही गंगा कोरोना काल में दूसरे राज्यों से अपने घर लौटे प्रवासी लोगों के लिए आजीविका का सहारा भी बन रही है। गंगा नदी से दर्जनों प्रवासी परिवारों का भरण पोषण हो रहा है। बताते चलें कि जिले का अमदाबाद प्रखंड गंगा एवं महानंदा नदी से घिरा हुआ है। यहां प्रत्येक वर्ष भीषण बाढ़ आती है। साथ ही कटाव से प्रत्येक वर्ष दर्जनों परिवार विस्थापित होते रहे हैं। खासकर गंगा के तांडव से यहां लोग अत्यधिक प्रभावित हैं। प्रत्येक वर्ष गंगा नदी द्वारा बरसात के दिनों में रौद्र रूप धारण करने से त्राहिमाम की स्थिति बनती है। कोरोना संक्रमण के इस दौर में गंगा नदी लोगों के परिवार का भरण पोषण का साधन भी है। दर्जनों ऐसे परिवार हैं जो गंगा नदी में मछली मार कर परिवार का भरण पोषण करने लगे हैं।

loksabha election banner

बड़ी तादाद में लौटे प्रवासी

रोजी रोजगार की तलाश में प्रखंड क्षेत्र से सैकड़ों लोग दूसरे राज्यों में पलायन कर जाते हैं। वैश्विक महामारी कोरोना के कारण महानगरों में भी काम नहीं मिलने एवं सुरक्षित परिवार तक लौटने को लेकर बड़ी संख्या में प्रवासी अपने घर लौटे हैं। ऐसे में बेरोजगारी की समस्या भी यहां भी बढ़ गई है। विभिन्न प्रदेशों से लौटे प्रवासी प्रखंड में कई तरह के कार्य से अपनी जीविका चलाने का प्रयास कर रहे हैं।

गंगा नदी बनी जीविका का साधन

यूं तो गंगा नदी में पूर्व से मछुआरों द्वारा मछली पकड़ कर बाजारों में बेचा जाता है। लेकिन कोरोना काल में गैर मछुआरे भी जीविकोपार्जन के लिए गंगा नदी का सहारा ले रहे हैं। नदी में मछली पकड़ कर अपना जीविकोपार्जन करने में लग गए हैं।

क्या कहते हैं प्रवासी

विभिन्न प्रदेशों से लौटे प्रवासी अशोक चौधरी, प्रमोद चौधरी, अमोल चौधरी, कुमोद मंडल, साबिर अली, उलफत अली, चंदन सिंह आदि लोगों ने बताया कि वे लोग दिल्ली पंजाब हरियाणा में सरिया बांधने का काम करते थे। लेकिन कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच परिवार की चिंता सताने लगी साथ ही सुरक्षित घर पहुंचने की भी चिंता होने लगी । लोगों ने बताया कि वह लोग घर तो पहुंच गए। लेकिन यहां रोजगार की समस्या थी । विगत कुछ दिनों से गंगा नदी में मछली पकड़ने का काम करते हैं। जिन्हें स्थानीय बाजार गोपालपुर चौक, रास मोहन चौक आदि बाजारों में बेचकर अपनी आजीविका चला रहे हैं। बड़ी मछली मिलने पर पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल के बाजार में भी मछली बेचने जाते हैं जहां अच्छी कीमत मिल जाती है एवं परिवार के भरण पोषण हेतु आमदनी हो जाती है। कोरोना महामारी के बीच प्रत्येक वर्ष डुबोने वाली गंगा नदी दर्जनों परिवारों के जीविका का आधार बनी हुई है। गंगा में मछली पकड़कर लोग अपने परिवार का भरण पोषण करने लगे हैं ।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.