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मां ने कहा, दौड़ बेटी दौड़ ...तो दमक उठी बदलाव की 'ज्योति' Bhagalpur News

किसान परिवार में पैदा हुई ज्योति का यहां तक पहुंचने का सफर बहुत आसान नहीं था। वह सपनों के साथ छटपटा रही थी उस समय इलाके में अपराध काफी बढ़ा हुआ था।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 25 Oct 2019 09:56 AM (IST)Updated: Fri, 25 Oct 2019 09:56 AM (IST)
मां ने कहा, दौड़ बेटी दौड़ ...तो दमक उठी बदलाव की 'ज्योति' Bhagalpur News
मां ने कहा, दौड़ बेटी दौड़ ...तो दमक उठी बदलाव की 'ज्योति' Bhagalpur News

भागलपुर [मिथिलेश कुमार]। एक पिता के कदम कुछ देर के लिए ठिठक गए, पर मां के आत्मविश्वास ने दृढ़ संकल्प के साथ कहा-दौड़ बेटी दौड़! फिर क्या था, ज्योति ने दौड़ लगाई तो बदलाव की 'ज्योति' दमक उठी। राष्ट्रीय कबड्डी चैंपियनशिप में भाग लेने वाली भागलपुर की पहली महिला खिलाड़ी होने का सम्मान अपने नाम दर्ज कर लिया।

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मां ने एक बेटी के अंदर की दबी प्रतिभा और जुनून को हवा देने का साहस जुटाया तो फिर इस लीक पर दूसरी लड़कियां भी चल पड़ीं। आज हरियो और आसपास के गांवों में ऐसी दर्जनों बेटियां बेखौफ दौड़ लगा रही हैं।

किसान परिवार में पैदा हुई ज्योति का यहां तक पहुंचने का सफर बहुत आसान नहीं था। वह सपनों के साथ छटपटा रही थी, उस समय इलाके में अपराध काफी बढ़ा हुआ था। खेलकूद तो दूर, लड़कियां पढऩे के लिए भी घरों से बाहर कम ही निकल पाती थीं। ज्योति ने इन बंदिशों को तोडऩे की कोशिश की। उसके पिता व्यास सिंह के लिए भी बेटी की इच्छा को पूरा करना कठिन था, लेकिन संकल्प देख उन्होंने भी हिम्मत जुटाई।

ज्योति जब पहली बार खेल के मैदान पर उतरी तो समाज के लोगों की प्रत्यक्ष-परोक्ष आपत्ति भी झेलनी पड़ी। उन्हें नसीहत भी दी। पिता थोड़े बेबस थे, पर मां कल्पना सिंह बेटी के साथ डटी हुईं। फिर क्या था, पूरा परिवार उसके सपनों के साथ खड़ा हो गया। ज्योति ने भी पलट कर नहीं देखा। बिहपुर प्रखंड से निकल कर जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर तक अपनी सफलता का परचम लहराया।

ज्योति कहती हैं कि अपने सपनों के लिए मुझे पूरे समाज से जूझना पड़ा। सीनियर महिला नेशनल खेलने के बाद जब गांव का नाम सुर्खियों में आया तब अन्य लड़कियां भी इस राह पर चल पड़ीं। कल जो आपत्ति जताते थे, आज वे भी भी अपनी बेटियों को खेल के मैदान में भेज रहे। यह एक बड़ा सामाजिक बदलाव है। बस एक बात का अफसोस है। हमारा सरकारी सिस्टम इतना कमजोर है कि लड़कियों के संघर्ष को प्रोत्साहित करने के बजाए उसे उलझा देता है। ज्योति एक निजी स्कूल में खेल शिक्षिका हैं। वे आज भी लड़कियों को खेल के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं, ताकि उन्होंने जो झेला वह किसी दूसरी लड़की को नहीं झेलना पड़े।

ज्योति की उपलब्धियां

- 2009 में हिमाचल प्रदेश में अंडर-19 स्कूली कबड्डी प्रतियोगिता में भाग लिया।

- 2010 व 2013 के महिला खेल महोत्सव में भाग लिया।

- 2014 में केरल में जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में भाग लिया।

- 2016 में पटना में हुए सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में भाग लिया।

- चार बार लगातार विश्वविद्यालय कबड्डी प्रतियोगिता में भाग लिया।


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