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जेएलएनएमसीएच में मेडिकल कचरे के बीच हो रहा नवजात का इलाज

जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) में मेडिकल कचरे के बीच नवजात का इलाज किया जा रहा है। बदबू के बीच बच्चों को रखे जाने से उनकी जान पर खतरा भी हो सकता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Oct 2021 02:14 AM (IST)Updated: Sat, 09 Oct 2021 02:14 AM (IST)
जेएलएनएमसीएच में मेडिकल कचरे के बीच हो रहा नवजात का इलाज
जेएलएनएमसीएच में मेडिकल कचरे के बीच हो रहा नवजात का इलाज

भागलपुर। जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) में मेडिकल कचरे के बीच नवजात का इलाज किया जा रहा है। बदबू के बीच बच्चों को रखे जाने से उनकी जान पर खतरा भी हो सकता है।

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सफाई कर्मियों की हड़ताल चौथे दिन भी जारी रहने से पूरे अस्पताल में मेडिकल कचरे का अंबार लग गया है। हालांकि देर शाम अधीक्षक से वार्ता के बाद वे काम पर लौटने को सहमत हो गए, पर सफाई अभी भी शुरू नहीं हो पाई है।

गंदगी के बीच फर्श पर लेटी रही प्रसूता

जिन प्रसूताओं को बेड नहीं मिला था वे आब्स गायनी विभाग में फर्श पर गंदगी के बीच लेटी हुई थीं। उनका मासूम बच्चा भी उन्हीं के साथ था।

पूरे दिन करनी होगी सफाई

अस्पताल की ठीक तरह से सफाई करने में पूरा दिन लग जाएगा। विभिन्न विभागों में जमा कई क्विंटल कचरे को उठाने के बाद ही मरीजों को राहत मिलेगी।

दो दिनों से बदबूयुक्त वातावरण में सांस ले रहे बच्चे

आब्स गायनी विभाग में दो दिनों से नवजात दुर्गंधयुक्त वातावरण में सांस ले रहा है। बाथरूम सहित बरामदे पर मेडिकल कचरा फैला हुआ है। इंडोर मेडिसीन विभाग, सर्जरी विभाग, हड्डी विभाग में मरीजों को चढ़ाई गई स्लाइन की बोलत, खून सनी गाज-पट्टी भी बरामदे पर फैली हुई है। इसकी वजह से मरीजों का चलना भी मुश्किल हो गया है। मेडिसिन एवं अन्य विभागों के बाथरूम में पानी जमा हो गया है। पूरे अस्पताल की स्थिति नारकीय बनी हुई है।

गंदगी की वजह से छोड़ दिया अस्पताल

गंदगी की वजह से मेडिसीन और इमरजेंसी विभाग में भर्ती कई मरीज बिना पूर्ण इलाज कराए ही दूसरी जगह चले गए। जिन मरीजों की स्थिति गंभीर है वे चाहते हुए भी नहीं जा पा रहे हैं। एक मरीज के स्वजन अभिषेक ने कहा कि मरीज को लेकर कहां जाएंगे, स्थिति खराब है। गंदगी के बीच रहकर इलाज करवाना विवशता है।

10 से 15 किलो कचरा ही किया जा रहा नष्ट

सिनर्जी वेस्ट मैनेजमेंट द्वारा अस्पताल से प्रतिदिन 40 से 50 किलो मेडिकल कचरा नष्ट करने के लिए लाया जाता था। वर्तमान में 10 से 15 किलो ही लाया जा रहा है। जब से सफाई कर्मचारियों ने हड़ताल की है, तब से केवल पैथोलाजी और कोरोना जांच में उपयोग किए गए मेडिकल कचरे का ही निपटारा किया जा रहा है।

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कोट :-

सफाई कर्मचारियों की हड़ताल समाप्त हो गई है। उन्हें जीवन-बीमा का लाभ दिया जाएगा। सबों का ईएसआइ कार्ड बनवाया जाएगा। शनिवार सुबह से अस्पताल की सफाई होगी।

- असीम कुमार दास, अधीक्षक, जेएलएनएमसीएच।


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