कोरोना का डर समाप्त
सरकारी कार्यालयों से अब कोरोना का डर समाप्त हो गया है। बीमार कर्मचारी स्वस्थ होकर काम पर लौट आए हैं।
भागलपुर, [नवनीत मिश्र]। सरकारी कार्यालयों से अब कोरोना का डर समाप्त हो गया है। बीमार कर्मचारी भी स्वस्थ होकर कार्यालय आने लगे हैं। इनका भय भी समाप्त हो गया है। कार्यालय में सभी आपस में हंस-बोल रहे हैं। कह रहे हैं अब कोरोना वायरस नहीं है। समाहरणालय परिसर में थर्मल स्क्रीनिंग बंद हो गई है। हाथ धोकर कार्यालय जाने की परंपरा समाप्त हो गई है। समाहरणालय परिसर में आने-जाने में कोई रोक-टोक भी नहीं है। साहब के सहयोगी काम को तेज गति देने के लिए आपस में बैठक भी करने लगे हैं। कोर्ट लगाकर सुनवाई शुरू हो गई है। हालांकि सुनवाई के दौरान शारीरिक दूरी का पूरी तरह पालन किया जा रहा है। सिर्फ काला कोट वाले को ही अंदर जाने की अनुमति है। पक्ष और विपक्ष को कक्ष के बाहर इंतजार करने के लिए कहा गया है। साहब का भी कोर्ट लगने लगा है। सप्ताह में तीन दिन सुनवाई हो रही है। मास्क रोक रहा ऑक्सीजन
जयप्रकाश उद्यान, सैंडिस कंपाउंड और लाजपत पार्क आमलोगों के लिए खुल गया है। लोगों की चहलकदमी बढ़ गई है। लोग यहां वर्षो से शुद्ध हवा के बीच स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए आ रहे हैं। यहां लोगों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिलता है। लॉकडाउन के दौरान इन जगहों को सील कर दिया गया था। आठ जून से सैर-सपाटे के लिए जयप्रकाश उद्यान, सैंडिस कंपाउंड और लाजपत पार्क को खोल दिया गया है। लोग फिर से सेहत बनाने के लिए घर से निकलने लगे हैं। सुबह चार बजे से ही लोग स्वास्थ्य लाभ के लिए निकलने लगते हैं। टहलने के दौरान भी मास्क लगाए रखते हैं। इस कारण भरपूर ऑक्सीजन की जगह खुद का छोड़ा कार्बन डायऑक्साइड भी ले रहे हैं। मास्क के कारण भरपूर ऑक्सीजन शरीर को नहीं मिल पा रहा है। लोग टहलकर पसीना तो बहा रहे हैं, लेकिन खुली हवा का आनंद नहीं ले पा रहे हैं। क्रेन नहीं खरीदना है
विक्रमशिला सेतु पर रोज जाम लग रहा है। यह समस्या एक अरसे से बनी हुई है। इसको लेकर साहब के स्तर से कई योजनाएं बनीं। कई बार पटना वाले साहबों के पास प्रस्ताव भेजा गया, लेकिन पिछले दस वर्षो में एक क्रेन तक नहीं खरीदा जा सका है। रोज खाकी वर्दी वाले कहते हैं, सेतु पर ओवरलोड ट्रक खराब हो गया। ऐसा सुनते-सुनते साहब और बड़े साहब के कान पक चुके हैं। इसके बावजूद ओवरलोड ट्रक को हटाने के लिए क्रेन की खरीदारी नहीं हो रही है। साहब कई बार कह चुके हैं कि क्रेन खरीदने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। लेकिन प्रस्ताव कहां अटक गया है, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। क्रेन नहीं रहने से लोगों को रोज जाम से दो-चार होना पड़ रहा है। ट्रक खराब होने पर सेतु पर 40 घंटे तक जाम लग जाता है। इस दौरान लोग भूख-प्यास से परेशान रहते हैं। साहब की जिम्मेदारी बढ़ी
डीआरडीए वाले एक साहब की जिम्मेदारी बढ़ती ही जा रही है। हाल ही में साहब दो नई जिम्मेदारी दी गई है। नल-जल का काम भी साहब के खाते में गया है। उन्हें जगदीशपुर प्रखंड के कामकाज का भी जिम्मा सौंपा गया। प्रखंड में कौन-कौन से विकास कार्य चल रहे हैं, यह देखने का भी जिम्मा का ही है। साहब को पहले से ही कानून का जिम्मा मिला हुआ है। मनरेगा, पौधारोपण, जल संरक्षण, बैंक से जुड़े कार्य आदि कार्यो की देखरेख साहब को ही करनी पड़ रही है। अब नल-जल और गली-नाली के मानीटरिग की जिम्मेदारी साहब को दे दी गई है। इस कारण साहब के टेबल पर फाइलों की भी संख्या बढ़ गई है। काम का दायरा भी बढ़ गया है। सो साहब को सुस्ताने तक का मौका नहीं मिल पा रहा है। साहब के कमरे में इन दिनों सोफा से लेकर कुर्सी तक खाली नहीं दिख रहा है।