IPS शफीउल हक : फिर हुई बड़ी कार्रवाई, 25 नवंबर तक का करना होगा इंतजार, इस तरह कमाई थी करोड़ों की अवैध संपत्ति
आइपीएस पूर्व डीआइजी शफीउल हक का निलबंन अवधि तीसरी बार बढ़ा। मुंगेर में रहते हुए भ्रष्टाचार का लगा था तत्कालीन डीआइजी पर आरोप। एएसआइ और निजी व्यक्ति के जरिए उगाही कराने का है मामला। इसके अलावा भी कई आरोप लगा है।
जागरण संवाददाता, मुंगेर। भ्रष्टाचार मामले में निलंबित मुंगेर के तत्कालीन डीआइजी मु. शफीउल हक पर तीसरी बार कार्रवाई हुई है। सरकार ने डीआइजी के निलंबन की अवधि बढ़ा दी है। गृह विभाग की ओर से जारी आदेश के अनुसार मु. शफीलउल 25 नवंबर 2022 तक सस्पेंड रहेंगे। मु. शफीउल हक 2007 बैच के आइपीएस अधिकारी हैं। इन पर मुंगेर में डीआइजी रहते हुए बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगा था। आरोप यह भी है कि इन्होंने पुलिस अफसरों का आर्थिक तौर पर दोहन किया था। अवैध तरीके से पैसे की बात का पर्दाफाश हुआ था।
डीआइजी के इस गलत काम में एएसआइ मु. उमरान और एक निजी मदद करता था। मु. हक दोनों के जरिए मुंगेर में खूब अवैध कमाई करते थे। इन पर वर्ष 2021 में ही गृह विभाग ने आर्थिक अपराध इकाई के जरिए जांच कराई थी। जांच में मु. शफीउल हक पर लगे आरोप सही पाए गए थे। जांच में मिले ठोस सबूतों के आधार पर ही एक दिसंबर 2021 को सरकार ने निलंबित कर दिया था। पहले निलबंन की अवधि 29 जनवरी 2022 तक के लिए थी, बाद में दूसरी बार बढ़ाकर 29 मई कर दिया गया। अब राज्य सरकार ने तीसरी बाद इनके निलंबन टाइम को बढ़ाया है। गृह विभाग के अनुसार डीआइजी की की तरफ से अब तक कोई ठोस प्रमाण बचाव के लिए नहीं दिया गया है। इस वजह से निलंबन की अविध बढ़ाई गई है।
मनरेगा में राशि गबन का आरोप, ग्रामीणों ने सौंपा आवेदन
धरहरा प्रखंड के आजिमगंज पंचायत में पूर्व मुखिया ने सरकारी योजनाओं में स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से लूटखसोट का मामला प्रकाश में आया है। इस संबंध में स्थानीय ग्रामीण ने •ालिा पदाधिकारी से जांच कर उचित कार्रवाई की गुहार लगाई। ग्रामीण इंद्रदेव राय ने डीएम को दिए आवेदन के माध्यम से बताया कि आजिमगंज पंचायत में वित्तिय वर्ष 16 से 21 तक विभिन्न योजनाओं में सरकारी राशि का जमकर गबन किया गया। उन्होंने बताया कि कुमारपुर गांव स्थित बुढ़ो नाला खुदाई के नाम बदलकर दो वर्षों के भीतर दो मुखिया ने लाखों राशि की निकासी की। कागजी खानापूर्ति में स्थानीय अधिकारी से लेकर कर्मियों ने अहम भूमिका निभाई। पहली बार तत्कालीन मुखिया अजय राय ने 20 पांच 2016 को नाला खुदाई का कार्य सम्पन्न किया। वित्तिय वर्ष 2018-19 में पंचायत के मुखिया योगेंद्र कोड़ा ने योजना का नाम बदलकर बिना कार्य कराए लाखों रुपये की निकासी कर ली। ग्रामीण का आरोप है कि दोनों योजना मनरेगा विभाग से कराई गई। इस संबंध में मनरेगा कार्यक्रम पदाधिकारी सुदीप कुमार ने बताया कि मामला संज्ञान में नहीं आया है। आवेदन मिलने पर जांचोपरांत सख्त कार्रवाई की जाएगी।