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शहर में हादसों को न्योता दे रहे बूढ़े, सूखे और ठूंठ पेड़

सितंबर का महीना शुरू हो गया है और बारिश भी हो रही है। इसका कारण जंगलों का नंगा होना भी है। एक ओर जंगल साफ हो रहे हैं तो दूसरी ओर सड़क किनारे पेड़ों की कटाई भी जारी है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 Sep 2018 03:26 PM (IST)Updated: Thu, 06 Sep 2018 03:26 PM (IST)
शहर में हादसों को न्योता दे रहे बूढ़े, सूखे और ठूंठ पेड़

भागलपुर। सितंबर का महीना शुरू हो गया है और बारिश भी हो रही है। इसका कारण जंगलों का नंगा होना भी है। एक ओर जंगल साफ हो रहे हैं तो दूसरी ओर सड़क किनारे पेड़ों की कटाई भी जारी है। जो कुछ शहर के अंदर या सड़क किनारे पेड़ बच गए हैं, वे सूख रहे हैं या बूढ़े हो चुके हैं। कुछ ठूंठ हो गए हैं और ये कभी भी मुसीबत बनकर गिर सकते हैं। ऐसे में संभलकर चलने की जरूरत है, अन्यथा जान गंवानी पड़ सकती है।

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ऐसे बूढ़े, सूखे और ठूंठ पेड़ों को हटाने को लेकर नगर निगम और वन विभाग गंभीर नहीं हैं। इसका उदाहरण जेल रोड है। यहा आधा दर्जन पेड़ सूख चुके हैं। 20 नवंबर को सूखा पेड़ गिरने से स्कूली बच्चे बाल-बाल बचे थे। पेड़ गिरने से स्कूली वाहन क्षतिग्रस्त हो गया था और चालक जख्मी हो गया था। इस घटना के बाद भी वन विभाग नहीं जगा। पेड़ों की कटाई नहीं हो पा रही है। पिछली बारिश में आयुक्त कार्यालय के बगल में एक पेड़ गिर गया था। हालांकि वह सूखा नहीं था, पूरा हरा-भरा था। लेकिन बारिश से बचने के लिए एक छात्र पेड़ के नीचे खड़ा हो गया था, उसकी मौत हो गई थी। विभागों की लापरवाही का खामियाजा आम आदमी को अपनी जान देकर भुगतना पड़ सकता है। व्यस्त क्षेत्र तिलकामांझी- कचहरी रोड के कई पेड़ बूढ़े हो चुके हैं। अक्सर पेड़ की मोटी डाली टूटकर गिर जाती है। कई लोग घायल हो चुके हैं। गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। तार टूटकर जमीन पर गिर चुका है, लेकिन जर्जर डालियों को नहीं काटा जा रहा है। जहां वन विभाग के अधिकारी रहते हैं, वहां तिलकामांझी-बरारी

रोड के आसपास दर्जनभर से अधिक ऐसे पेड़ हैं, जिसके नीचे की मिट्टी निकाल दी गई है। पेड़ कब जमीन पर आ जाएगा और जानलेवा साबित होगा कहना मुश्किल है। हाल ही एक पेड़ गिरा था, जिसकी चपेट में एक बाइक सवार आया था और उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। घंटों यातायात और बिजली आपूर्ति बाधित रही थी। हर सड़क के किनारे जानलेवा पेड़ दिख जाएंगे। कचहरी चौक किनारे खड़ा विशाल वट वृक्ष पिछले साल गिर गया था। हालांकि इसमें कोई घायल नहीं हुआ था। काटने के दौरान भारी पुलिस की तैनाती की गई थी।

कचहरी रोड में गिर सकता है पेड़

कचहरी चौक से घूरन पीर बाबा चौक तक दोनों किनारे पेड़ हैं। उसके चारों तरफ कंक्रीट बिछा दिए गए हैं। उनका सास लेना भी मुश्किल हो गया है। डीएम कार्यालय के पास तो विशाल पेड़ कभी भी गिर सकता है। इसके अलावा शहर के कई हिस्सों में जर्जर पेड़ देख सकते हैं।

जान ले सकते हैं ये पेड़

पेड़ इतने जर्जर और उम्रदराज हो चुके हैं कि इनकी छाव खतरनाक हो सकती है। ये पेड़ इतने कमजोर हो चुके हैं कि हल्की सी हवा भी इनपर भारी पड़ रही है। अगर समय रहते इन पेड़ों को रोड किनारे से हटाया नहीं गया, तो यह खतरनाक पेड़ कई लोगों की जान ले लेंगे।

सास लेने की जगह नहीं

सड़कें बन गईं। पटरी भी बना दी, लेकिन, पटरी पर पेड़ को सास लेने की जगह नहीं दी। लिहाजा, धीरे-धीरे पेड़ सूखते जा रहे हैं। अब वही जर्जर होकर जानलेवा बन गए हैं। सड़कों के किनारे हमने पेड़ के चारों तरफ जगह ही नहीं छोड़ी कि उसे पानी मिल सके। विभागों को भी इससे कोई मतलब नहीं है। यातायात और बिजली के लिए खतरे की घटी

सड़क के किनारे खड़े बूढ़े पेड़ तो मानसून के पहले ही कई बार चेतावनी दे चुके हैं। अभी भी दे रहे हैं। बारिश अभी अपना रूप दिखाया भी नहीं है और शहर में इतने पेड़ गिरे कि इससे ना केवल यातायात, बल्कि शहर में जनजीवन के अन्य पहलू भी प्रभावित हुए हैं। शहर में बिजली और पानी को लेकर आईं तमाम समस्याओं के पीछे का कारण पेड़ों का गिरना ही है। पिछले एक महीन में आधी की वजह से पेड़ गिरे, तार टूटे, लाइन में खराबी आई। इससे शहर में बिजली और पानी को लेकर कई समस्याएं उत्पन्न हुई। ज्ञात हो कि अभी बरसात गति भी नहीं पकड़ी है। इसके पहले ही पेड़ों के गिरने से पूरा शहर इस कदर परेशान है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर तेज बारिश शुरू हुई तो स्थिति क्या होगी।

विभागों की खींचतान के कारण नहीं कट रहे पेड़

वन विभाग जर्जर पेड़ को नहीं काटता है बल्कि, जिसकी संपत्ति है, वहीं, इसको काट सकता है। लेकिन, संबंधित व्यक्ति या विभाग को इसकी अनुमति की जरूरत होती है। अब सवाल है कि विभागों की खींचतान में कोई न कोई बड़ी दुर्घटना का शिकार अक्सर हो जाता है। वन विभाग का दावा है कि आवश्यक परिस्थिति में विभाग जर्जर पेड़ों को काटता है। क्योंकि, पेड़ काटना उसका काम नहीं है, बल्कि पेड़ को चिह्नित कर उसे काटने की अनुमति देने का कार्य है।

हालाकि, वन विभाग का दावा है कि जर्जर पेड़ों को चिह्नित करने के लिए वन विभाग नियत अंतराल पर अभियान चलाते रहता है, ताकि संबंधित व्यक्ति या एजेंसी इन पेड़ों को हटा सके। नियम के तहत बिना अनुमति को पेड़ को न तो काटा जा सकता है और न ही उसका ट्रासपोर्टेशन किया जा सकता है। वन विभाग में आवेदन देकर पेड़ काटने की अनुमति लेना पड़ता है। लेकिन, प्रक्रिया के पेंच में न तो कोई फंसना चाहता है और न ही कोई सूखे पेड़ को काटना चाहता है। यही कारण है कि अक्सर थोड़ी-सी भी आधी और पानी आने पर पेड़ बीच सड़क पर गिर जाता है। इसलिए वन विभाग कार्यालय में भी पेड़ काटने के लिए कम ही आवेदन आते हैं। लेकिन, निजी स्वार्थ के लिए कई पेड़ कट जाते हैं।

पर्यावरण एवं वन विभाग आठ सितंबर से नेशनल एवं स्टेट हाइवे के किनारे खड़े सूखे पेड़ों को कटाने का अभियान चलाएगा। वन विभाग के क्षेत्राधिकार में नेशनल एवं स्टेट हाइवे के किनारे का पेड़ आता है। शहर के पेड़ों पर निगम प्रशासन का अधिकार है।

बीके सिंह, वन क्षेत्र पदाधिकारी, भागलपुर


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