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TMBU में जलवायु परिवर्तन पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार, प्रकृति से जुड़कर ही खेती होगी टिकाऊ Bhagalpur News

जलवायु परिवर्तन की वजह से कृषि में आए बदलाव को चुनौती के रूप में लेने की जरूरत है। इसी कड़ी में यह अंतरराष्ट्रीय सेमिनार आयोजित है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Wed, 26 Feb 2020 04:37 PM (IST)Updated: Wed, 26 Feb 2020 04:42 PM (IST)
TMBU में जलवायु परिवर्तन पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार, प्रकृति से जुड़कर ही खेती होगी टिकाऊ Bhagalpur News

भागलपुर, जेएनएन। जलवायु परिवर्तन का सर्वाधिक प्रभाव खेती किसानी पर देखने को मिल रहा है। इससे निपटने के लिए ऐसे शोधों को बढ़ावा देने की जरूरत है जो प्रकृति के अनुकूल हो। उसके साथ समन्वय बनाकर चले। तभी टिकाऊ खेती सफल हो पाएगी। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के वनस्पति विभाग में जलवायु परिवर्तन को लेकर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में यह बात निकलकर सामने आई।

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मुख्य वक्ता आलिया विश्वविद्यालय कोलकाता के प्रो. बीएन चक्रवर्ती ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन से जलवायु परिवर्तन हो रहा है। बाढ़, सुखाड़, मिट्टी का अम्लीय होना और तापमान का बढऩा इसी का दुष्परिणाम है। खेती किसानी को टिकाऊ बनाने के लिए प्लांट ग्रोथ प्रमोटिंग राइजोबैक्टीरिया जैसे सूक्ष्म जीवाणु का प्रयोग करने की जरूरत है। यह प्रकृति के साथ समन्वय बनाकर काम करता है। हंगरी से आए वैज्ञानिक गेबोर टरकेली ने कृषि में रसायनिक खाद एवं कीटनाशी दवा के प्रयोग को बेहद खतरनाक बताया। कहा यूरोप में कीटनाशी का प्रयोग न्यूनतम रूप में किया जाता है। वहां सरकार ने इस पर सख्त पाबंदी लगा दी है। श्रीलंका के यूनिवर्सिटी रूहाना से आए प्रो. समन अभयसिंगे ने कहा कि कृषि को टिकाऊ बनाने के लिए समेकित प्रबंधन आवश्यक है। टीएमबीयू के प्रतिकुलपति प्रो. रामयतन प्रसाद ने कहा कि खेती में अत्यधिक रसायनों के प्रयोग से पौधों की सहन शक्ति कम हो रही है। जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते समेकित प्रबंधन समय की मांग है।

विभागाध्यक्ष प्रो. एलसी साहा ने कृषि और जलवायु परिवर्तन को एक दूसरे का पूरक बताया।

सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए टीएमबीयू के कुलपति प्रो. अवध किशोर राय ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की वजह से कृषि में आए बदलाव को चुनौती के रूप में लेने की जरूरत है। इसी कड़ी में यह अंतरराष्ट्रीय सेमिनार आयोजित है। इसके पूर्व सेमिनार का शुभारंभ आगत सभी अतिथियों द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया।

संगीत विभाग के छात्र-छात्राओं ने कुलगीत और स्वागत गान से अतिथियों का सम्मान किया। विभागाध्यक्ष ने अतिथियों का स्वागत किया। संयोजक प्रो. एचके चौरसिया ने सेमिनार के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। इसके बाद अतिथियों द्वारा सोविनियर का लोकार्पण किया गया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम सचिव डॉ. विवेक कुमार सिंह ने द्वारा किया गया। मौके पर बड़ी संख्या में विभागीय शिक्षक, शोधार्थी और छात्र-छात्राएं उपस्थित थी।


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