World Women's Day : खेती के बल पर महिलाओं ने बदल दी विशनपुर गांव की तस्वीर Bhagalpur news
World Womens Day आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है। आइए इस मौके पर नारी सशक्तिकरण की दिशा में अपनी सोच बदलें और महिलाओं को उनका वाजिब स्थान दिलाने के वाहक बनें।
भागलपुर [अमरेंद्र कुमार तिवारी]। कल तक घर के चौखट के अंदर रहने वाली नारायणपुर प्रखंड के विशनपुर गांव की दो सौ महिलाओं ने खेती-किसानी का गुर सीख गांव की तस्वीर बदल दी। जो खेत बंजर पड़ी रहती आज वहां बाजार मांग के अनुरुप फसलें उगाई जा रहा है। उत्पाद का बेहतर बाजार मूल्य मिल रहा है और हर घर में समृद्धि की धार बह रही है। इस कार्य में घर के पुरुष भी उनके उत्पाद को बाजार ले जाकर बेचने में सहयोग कर रहे हैं।
कहते हैं किसी कार्य को करने की जज्बा हो और उसके लिए ईमानदार प्रयास हो तो सफलता के मार्ग में कोई भी रोड़ा बाधक नहीं बन पाता है। कुछ ऐसा ही कर दिखाई है नारायणपुर प्रखंड के विशनपुर गांव दो सौ महिला किसानों ने।
गांव की महिलाओं को यह दिशा दिखाने का काम वंदना देवी ने की। वंदना ने खेती-किसानी और गो पालन कर सिर्फ स्वयं को ही आर्थिक रूप से सबल नहीं बनाई, बल्कि उसने अपने गांव की महिला किसानों की 10 समूह बनाई। समूह में 200 महिलाओं को जोड़ी। उस समूह को कृषि प्रद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आत्मा) भागलपुर से निबंधित कराई।
फिर समूह से जुड़ी सभी महिलाओं को चौपाल लगाकर उन्हें एक प्रशिक्षक की तरह खेती किसानी का गुर सिखाई। आज वह सभी महिलाएं 10 से 15 हजार रुपये मासिक कमा कर आत्मनिर्भर बन गई है। वंदना कहती है कि इन तमाम कार्यो में आत्मा भागलपुर के एपीडी प्रभात कुमार सिंह का सक्रिय सहयोग मिला।
घर परिवार का मिला सहयोग, कमा रही 25 हजार रुपये तक प्रतिमाह
वंदना बताती है कि इस कार्य में पति समेत घर परिवार के लोगों का भी सभी महिलाओं को सहयोग मिला। खेती की तकनीकी ज्ञान बढ़ाने के लिए आत्मा भागलपुर की ओर से झारखंड की राजधानी रांची भेजा गया था, वहां जाकर तकनीकी और मौसमी खेती का और ज्ञान बढ़ा।
बाजार मांग के अनुरुप कर रही खेती
अब गांव की महिलाएं समय के अनुरुप बेहतर बाजार मूल्य देने वाली फसलों की खेती कर ध्यान दे रही है और प्रतिमाह 20 से 25 हजार रुपये कमा रही है। यहां की महिलाएं 10-10 कट्ठे में हरी मटर, टमाटर, फूलगोभी, ब्रोकली और बसंती मक्का की खेती सफलता पूर्वक कर रही है। वंदना बताती है कि गोभी जहां बाजार मूल्य गिरने से 10 से 15 रुपये किलो तक बिकने लगता है वहीं बाजार में उपभोक्ताओं के लिए ब्रोकली नया होने के कारण प्रति फूल 15 से 20 रुपये तक बिक जाता है। बसंती भुट्टा का भी बाजार मूल्य अधिक मिलता है। इसमें मिठास अधिक होने के कारण लोग इसे चाव से खाते हैं। पका कर बेचने से शुरूआती दौर में एक भुट्टा की कीमत 10 रुपये तक मिल जाता है।
समूह की कई महिलाएं गौ और बकरी पालक का भी कर रही है करोबार
अब समूह की महिलाएं पैसा कमाने का खुद भी तरीका ढूंढ रही है। दो दर्जन से अधिक समूह की महिलाएं गौ एवं बकरी पालन कर उसका उपयोग अपने जीवन में एटीएम की तरह करके खुशहाल जीवन जी रहे हैं।