भागलपुर जेल : कभी समाज में दहशत फैलाने वाले अब तबला और गिटार पर कर रहे रियाज Bhagalpur News
गांधी जयंती स्वतंत्रता दिवस गणतंत्र दिवस के अवसर पर कैदी म्युजिकल ग्रुप जेल में प्रस्तुति देगा। नृत्य-संगीत की प्रस्तुति देने वाले इस म्युजिकल ग्रुप ने गीतों का संग्रह कर रखा है।
भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। कभी हाथ में बंदूक थाम कर समाज में दहशत फैलाने वाले कुख्यात अपराधी अब पियानो, ड्रम, कंगो, गिटार, बेंजो, नाल व तबला पर अपनी अंगुलियों को लयबद्ध कर रहे हैं। ये बदलाव की कहानी शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा में देखने को मिल रही है। यहां उम्र कैद की सजा काट रहे एक दर्जन से अधिक कैदी हर दिन सुबह शाम संगीत की महफिल जमाए रहते हैं। साथ ही उनलोगों ने जेल के अंदर ही अपना म्युजिकल ग्रुप भी बना लिया है। पियानो, गिटार, नाल, ड्रम, कंगो, ताशा, झाल, हारमोनियम बजाने में माहिर ये कैदी तासापार्टी पर भी देशभक्ति धुन, रमगढिय़ा धुन निकालने में भी उस्ताद हैं। इन कैदियों के जीवन में इस सकारात्मक बदलाव के लिए जेल प्रशासन ने पहल किया है। ये कैदी अब अपने म्युजिकल ग्रुप के जरिए कला की प्रस्तुति दूसरी जेलों में भी देने को बेताब हैं।
दूसरे जेलों में प्रस्तुति के लिए मुख्यालय से मांगी जाएगी अनुमति
शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा के अधीक्षक रूपक कुमार ने कैदियों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति में दिलचस्पी को देखते हुए कारा मुख्यालय को प्रस्ताव भेजा है। प्रथम चरण में उम्र कैदियों के इस म्युजिकल ग्रुप को सूबे के दूसरी जेलों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति देने की मंजूरी मांगी गई है। दूसरे चरण में दूसरे राज्य के जेलों में कैदियों के म्युजिकल ग्रुप प्रस्तुति देने की अनुमति मांगी गई है। दरअसल, कारा उपाधीक्षक राकेश कुमार सिंह ने विशेष केंद्रीय कारा में कुछ कैदियों में हुनर को देखते हुए वहां खुद का कैदी बैंड तैयार कराया था। कारा अधीक्षक रूपक कुमार ने उनके इस उपलब्धि को देखते हुए शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा में योगदान देने के बाद यहां भी ऐसे कैदियों को तराशने का जिम्मा दिया था। उसमें जेल प्रशासन को कामयाबी भी मिली। म्युजिकल ग्रुप तैयार भी हुआ।
गांधी जयंती, स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस समेत अन्य त्योहारों पर देंगे प्रस्तुति
गांधी जयंती, स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस सहित अन्य समारोह व त्योहारों के अवसर पर कैदी म्युजिकल ग्रुप जेल में प्रस्तुति देगा। नृत्य-संगीत की प्रस्तुति देने वाले इस म्युजिकल ग्रुप ने देशभक्ति गीतों का संग्रह कर रखा है। पियानो, गिटार, नाल, ड्रम, कंगो, ताशा, झाल, हारमोनियम बजाने में माहिर हैं ये कैदी तासापार्टी पर भी देशभक्ति धुन, रमगढिय़ा धुन निकालने में भी उस्ताद हैं। जेल प्रशासन ने उन्हें सारे वाद्य यंत्र मुहैया करा रखे हैं।
इन कैदियों की दिलचस्पी से आया सलाखों के पीछे बदलाव
बिरजू यादव : बेगूसराय निवासी इस कैदी को 1994 में हुई हत्या में उम्रकैद मिली।
मंटू सिंह : गया निवासी इस कैदी को 1998 में हुई हत्या में उम्रकैदी मिली।
कुंदन तांती :बांका निवासी इस कैदी को 2013 में हुई हत्या में उम्रकैद मिली।
संजय यादव :बांका निवासी इस कैदी को 2015 में हुई हत्या में उम्रकैद मिली।
बमबम सिंह : बेगूसराय निवासी इस कैदी को 2004 में हुई हत्या में उम्रकैद मिली।
चिंटू सिंह : समस्तीपुर निवासी इस कैदी को 2006 में हुए अपहरण और हत्या में उम्रकैद मिली।
मनोज दास :भागलपुर निवासी इस कैदी को 2010 में हुई हत्या में उम्रकैद मिली।
छोटन सिंह : बांका निवासी इस कैदी को 2013 में हुई हत्या में उम्रकैदी मिली।
जीतू उर्फ तीतू मांझी : बांका निवासी इस कैदी को 2011 में हुई हत्या में उम्रकैद मिली। इनके अलावा बेगूसराय निवासी अपहरण में सात साल की सजा काट रहे मनोज नट, खगडिय़ा निवासी दहेज हत्या में दस साल की कैद काट रहे धर्मवीर शर्मा, कोर्ट मार्शल में दस साल की सजा काट रहे बांका निवासी अमरेश तिवारी, हत्या मामले में विचाराधीन कैदी भागलपुर निवासी सुधाकर झा, फुच्ची लाल मांझी भी शामिल हैं। इनमें अमरेश ड्रम बजाने में माहिर है। चिंटू कंगो बजाने में सिद्धहस्त। सुधाकर तबला में उस्ताद। धर्मवीर गायकी में प्रवीण तो मनोज पियानो बजाने में माहिर।