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इंडियन सॉफ्ट शेल्ड प्रजाति के कछुओं तस्करों की नजर

गंगा में पाए जाने वाले इंडियन सॉफ्ट शेल्ड प्रजाति के कछुओं पर तस्कारों की नजर ।

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 09:10 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 09:10 PM (IST)
इंडियन सॉफ्ट शेल्ड प्रजाति के कछुओं तस्करों की नजर
इंडियन सॉफ्ट शेल्ड प्रजाति के कछुओं तस्करों की नजर

पूर्णिया (शैलेश)। गंगा में पाए जाने वाले इंडियन सॉफ्ट शेल्ड प्रजाति के कछुओं की हड्डी और कवच से शक्तिव‌र्द्धक दवा बनाने की बात सामने आई है। इसके मांस की भी मुंहमांगी कीमत मिलती है। इस कारण अंतरराष्ट्रीय तस्करों की इसपर गिद्धदृष्टि लगी हुई है। तस्करी कर इन कछुओं को बांग्लादेश, मलेशिया, चीन और थाईलैंड भेजा जाता है।

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:- बिहार, यूपी, बंगाल, असम आदि राज्यों में फैला है जाल : कछुआ का मांस निकालने के बाद हड्डी व कवच से शक्तिव‌र्द्धक दवा बनाई जाती है। इसके लिए गंगा में पाए जाने वाले कछुओं को बेहतर माना जाता है। कछुओं की तस्करी का जाल बिहार, यूपी, बंगाल, असम आदि राज्यों में फैला है। तस्करों द्वारा यहां से कछुओं की तस्करी कर बांग्लादेश, थाईलैंड, मलेशिया और चीन आदि देशों में इसे भेजा जाता है। :- महिलाएं भी तस्करी में शामिल : कछुओं की तस्करी में महिलाएं भी शामिल हैं। तस्करी में शामिल लोग कछुओं को एक से दूसरी जगह पहुंचाने का काम करते हैं। इन लोगों को इस काम के लिए मजदूरी मिलती है। :- वाइल्ड लाइफ ट्रैफिकिंग करेगी नेटवर्क को ध्वस्त : हाल में ही पूर्णिया में असम और बंगाल ले जाने के दौरान कछुओं की बड़ी खेप पकड़ी गई। वन विभाग ने भारत सरकार द्वारा संचालित वाइल्ड लाइफ ट्रैफिकिंग टीम से मामले की जांच का अनुरोध किया। टीम के सदस्य गिरफ्तार तस्करों से जानकारी हासिल कर गिरोह का नेटवर्क ध्वस्त करने में जुटे हैं। :- 337 कछुओं के साथ 10 तस्करों की हुई गिरफ्तारी : पूर्णिया में इंडियन सॉफ्ट शेल्ड प्रजाति के कछुओं की दो खेप पकड़ी गई। इनमें 337 कछुए बरामद हुए। इन कछुओं का वजन दो से लेकर 30 किलोग्राम तक था। इस काम में शामिल 10 तस्करों को गिरफ्तार किया गया। तस्करों ने बताया कि गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) से उन्हें पिकअप वैन के माध्यम से कछुओं को दालकोला (पश्चिम बंगाल) पहुंचाने को कहा गया था।

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गंगा बेसिन में पाए जाने वाले सॉफ्ट शेल्ड कछुओं के कवच और हड्डियों से शक्तिव‌र्द्धक दवा बनाए जाने की बात सामने आ रही है। इसके मांस की भी मुंहमांगी कीमत मिलती है। इसलिए इनकी तस्करी हो रही है।

- मिहिर झा

डीएफओ, पूर्णिया


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