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भारतीय रेलवे: स्थापना से अब तक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा मसुदन रेलवे स्टेशन, 2017 में नक्सलियों ने की थी आगजनी

बिहार में नक्सलियों ने सबसे ज्यादा टारगेट भारतीय रेल व्यवस्था पर किया है। लखीसराय जिले के मसुदन रेलवे स्टेशन नक्सलियों के निशाने पर रहा। 2017 में नक्सलियों ने यहां आगजनी की। वहीं ये वो रेलवे स्टेशन है जो स्थापना के बाद से अब तक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है।

By Shivam BajpaiEdited By: Mon, 24 Jan 2022 11:55 AM (IST)
भारतीय रेलवे: स्थापना से अब तक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा मसुदन रेलवे स्टेशन, 2017 में नक्सलियों ने की थी आगजनी
मसुदन रेलवे स्टेशन की स्थिति खस्ताहाल, क्या करें यात्री?

संवाद सूत्र, पीरी बाजार (लखीसराय) : जमालपुर-किऊल रेलखंड पर स्थित मसुदन रेलवे स्टेशन अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। यह स्टेशन पीरी बाजार क्षेत्र के बसौनी, बेनीपुर कसबा, महा एवं पहाड़ी के पीछे बसे नक्सल प्रभावित खुद्दीवन, बरियासन, बलुआही सहित पड़ोसी जिले के कुमारपुर, घटवारी आदि गांव को प्रखंड मुख्यालय एवं जिला मुख्यालय सहित अन्य शहरों से जोडऩे वाला एकमात्र निकटवर्ती विकल्प है। यहां के लोग मसुदन से रेलमार्ग से यात्रा आरंभ एवं समाप्त करते हैं। इस कारण मसुदन स्टेशन की महत्ता अधिक है। निर्माण काल से अब तक मसुदन स्टेशन में कोई खास बदलाव नहीं आया है। निर्माण काल के बाद से यह स्टेशन पुराने भवन में ही संचालित है।

दिसंबर 2017 में स्टेशन को नक्सलियों ने आग के हवाले कर दिया था। इसकी पुन: मरम्मत कराई गई। इस रेलखंड पर दशरथपुर, मसुदन, उरैन, धनौरी का निर्माण लगभग एक ही साथ हुआ था। मसुदन स्टेशन को छोड़ उक्त अन्य स्टेशनों में काफी कुछ बदलाव देखने को मिला, लेकिन यह स्टेशन अब तक विकास की वाट जोह रहा है। पूर्व रेलमंत्री लालू यादव के कार्यकाल में भागलपुर-दानापुर इंटरसिटी का ठहराव दिया गया था जो कि यहां के लोगों को राजधानी पटना से जोडऩे का एकमात्र विकल्प था। कोरोना काल के बाद से उक्त ट्रेन का ठहराव समाप्त कर दिया गया। इससे इस स्टेशन की आय में भी कमी आई है।

स्टेशन पहुंचने की पुलिया जर्जर

मसुदन स्टेशन तक पहुंचने के लिए बनी पुलिया पिछले कई वर्षों से जर्जर है। बावजूद लोगों की पुलिया से होकर आवागमन करना मजबूरी है। ऐसे में कभी किसी के साथ हादसा हो सकता है। यह स्टेशन हाई लेवल प्लेटफार्म से वंचित है। जमालपुर-किऊल रेलखंड पर सभी स्टेशन हाई लेवल प्लेटफार्म से लैस है। लेकिन, मसुदन के यात्री इस सुविधा से वंचित हैं। यात्रा के दौरान महिलाओं, बूढ़े एवं बच्चों को ट्रेन में चढऩे एवं उतरने में काफी परेशानी होती है। इस दौरान दुर्घटना की संभावना बनी रहती है।

पूर्व में भी कई घटनाएं घटित हो चुकी है

हाई लेवल प्लेटफार्म नहीं रहने के कारण यहां बराबर घटनाएं होते रहती है। पूर्व में कई घटनाएं घट चुकी है। हालांकि 18 फरवरी 2020 में प्लेटफार्म निर्माण के लिए भूमि पूजन किया गया था। लेकिन अब तक कार्य शुरू नहीं किया जा सका है

अब तक नहीं बना फुट ओवर ब्रिज

स्टेशन पर फुट ओवरब्रिज के अभाव में रेल ट्रेक पार करना लोगों की मजबूरी है। स्टेशन पर एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म पर जाने के लिए फुट ओवरब्रिज नहीं है। ऐसे में एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म पर जाने के लिए ट्रेक पार करके जाना दुर्घटना से भरा होता है। लोग भय के बीच प्लेटफार्म बदलते हैं। साथ ट्रेन आ जाती है तो ट्रेन चढऩे के वक्त अजीब सी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। लोग एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म पर नहीं जा पाते हैं। कितने लोग छूट भी जाते हैं। इसके साथ दुर्घटना की संभावनाएं प्रबल हो जाती है।

शौचालय में लटक रहा है ताला

स्टेशन पर बने शौचालय में निर्माण काल से ही ताला लटक रहा है। ऐसे में यात्रियों को असुविधा होती है। खासकर महिला यात्रियों के लिए परेशानी और भी बढ़ जाती है। स्टेशन मास्टर परमानंद प्रसाद के अनुसार संवेदक ने शौचालय अभी तक सुपुर्द नहीं किया है। शौचालय के अंदर अभी पानी की व्यवस्था होना बाकी है।

स्टेशन पर पेयजल के लिए चापाकल है विकल्प

मसुदन स्टेशन परिसर में रोशनी की समुचित व्यवस्था की गई है। लेकिन, प्लेटफार्म संख्या दो पर रोशनी की कमी है। स्टेशन पर पेयजल के लिए चापाकल ही एक मात्र विकल्प है। अत्यधिक दबाव के कारण चापाकल हमेशा खराब रहता है। ऐसे में यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। हालांकि सबमर्सेबल लगाया गया है। पेयजल के लिए वाटर बूथ का निर्माण होना प्रस्तावित है।

क्या कहते हैं स्थानीय लोग

स्थानीय संजीव कुमार शैलेश, गोपाल कुमार, निरंजन कुमार, धीरज कुमार के अनुसार एक तरफ सरकार नक्सली प्रभावित इलाकों के विकास के लिए विभिन्न तरह की योजना चला रखी है। विशेष केंद्रीय सहायता योजना से स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क एवं अन्य सुविधाएं मुहैया करा रही है। वहीं दूसरी ओर नक्सल प्रभावित क्षेत्र लाभान्वित होने वाले इस स्टेशन को विकास से वंचित रखा गया है। यहां तक की राजधानी पटना से जोडऩे वाली एक मात्र एक्सप्रेस ट्रेन भागलपुर दानापुर इंटरसिटी ट्रेन के ठहराव को भी समाप्त कर दिया गया है जो कि सरासर गलत है।