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मालदा रेल मंडल : अरबों के प्रोजेक्ट को एक हजार रुपये की संजीवनी, जानिए... इस रेल लाइन के लिए रेलवे क्‍यों है उदासीन

74.8 किमी सुल्तानगंज-कटोरिया नई रेल लाइन को आम बजट में नहीं मिल सकी पर्याप्त राशि। इस रेल योजना पर सर्वे के नाम खर्च हो चुके हैं नौ करोड़। 2008-09 के रेल बजट में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद ने की थी घोषणा।

By Dilip Kumar shuklaEdited By: Published: Fri, 05 Feb 2021 09:58 AM (IST)Updated: Fri, 05 Feb 2021 09:58 AM (IST)
मालदा रेल मंडल : अरबों के प्रोजेक्ट को एक हजार रुपये की संजीवनी, जानिए... इस रेल लाइन के लिए रेलवे क्‍यों है उदासीन
2020-21 के आम बजट में मिली थी टोकन मनी।

भागलपुर [रजनीश]। मालदा रेल मंडल के सुल्तानगंज-कटोरिया-असरगंज-तारापुर-बेलहर की 74.8 किलोमीटर नई रेल लाइन पर अब तक पटरी बिछाने का काम शुरू नहीं हुआ है। करीब 11 वर्षों से रेलवे इसे सिर्फ बजट में जिंदा रखे हुए है। 2021-22 के आम बजट में दो अरब 88 करोड़ 85 लाख रुपये के प्रोजेक्ट को एक हजार रुपये (टोकन मनी) आवंटित की गई है।

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एक हजार की टोकन मनी देकर जनता को आश्वस्त किया गया है कि इस प्रोजेक्ट पर रेलवे की नजर है। अभी तक रेल मंत्रालय की ओर से इस प्रोजेक्ट के नाम पर नौ करोड़ तीस लाख 94 हजार रुपये खर्च भी किए गए हैं। जमीन का अधिग्रहण तक नहीं हुआ है, जबकि इस नई लाइन के लिए सुल्तानगंज स्टेशन पर अलग से प्लेटफॉर्म बना दिया गया है।

छह सौ एकड़ जमीन की जरूरत : 74.8 किमी लंबी रेल लाइन के लिए रेलवे को करीब छह सौ एकड़ जमीन की जरूरत है। भागलपुर के अलावा मुंगेर और बांका जिले से होकर इस रेल लाइन को गुजरना है। एक वरीय रेल अधिकारी ने बताया कि तीन जिलों में रेल जमीन का अधिग्रहण होना है। इस दिशा में कोई सुगबुगाहट तक नहीं है। असरगंज, कटोरिया, बेलहर, शंभूगंज, फुल्लीडुमर, अमरपुर इलाके के लोग वर्षो से रेल आने की आस लगाए बैठे हैं।

परियोजना के पीछे सियासी पेच : इस नई रेल की घोषणा तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद ने 2008-09 ने की थी। उस वक्त रेल लाइन बिछाने से पहले सर्वे के लिए करोड़ो रुपये का आवंटन भी रेल मंत्रालय की ओर से किया गया था। फिर लालू प्रसाद के हटते ही ममता बनर्जी रेल मंत्री बनीं, तब इस प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। कुल मिलाकर रेल परियोजनाओं की स्वीकृति के बाद भी मंत्रालय के सियासी पेच में पिछले कई वर्षों से इस प्रोजेक्ट पर अड़ंगा लगा हुआ है। एक दशक बाद भी यह पूरा नहीं हो सका है।


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