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भारतीय स्‍वतंत्रता संग्राम : पत्ता से पेट भरकर जंगली सिंह ने अंग्रेजों से किया था मुकाबला, बिहार के इस सेनानी ने कर दिया कमाल

भारतीय स्‍वतंत्रता संग्राम बिहार के सहरसा के स्‍वतंत्रता सेनानी ने अंग्रेजों से लड़ने के लिए काफी संघर्ष किया है। उन्‍होंने पत्ता से पेट भरकर युद्ध किया है। बिहार के इस सेनानी ने अंग्रेजों से छक्‍के छुड़ा दिए थे।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Mon, 08 Aug 2022 07:46 PM (IST)Updated: Mon, 08 Aug 2022 07:46 PM (IST)
भारतीय स्‍वतंत्रता संग्राम : स्‍वतंत्रता सेनानी जंगली प्रसाद सिंह ने पौत्र ललन सिंह।

संवाद सूत्र, सोनवर्षा राज (सहरसा)। स्वतंत्रता आंदोलन के प्रखर सिपाही रहे कोपा पंचायत के पचाढ़ी गांव के स्व. जंगली प्रसाद सिंह ने पत्ता खाकर और पानी पीकर अंग्रेजों से मुकाबला किया था। आजादी की लड़ाई में कई बार जेल तक गए। उनके पौत्र पूर्व मुखिया ललन कुमार सिंह ने बताया कि जंगली प्रसाद सिंह महात्मा गांधी के सत्य अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा से प्रेरित थे। आजादी के जुनून के दौरान उनके साथी अग्रेजों के गोली का शिकार हो गए। जिसके बाद अग्रेजों से सहयोगी की मौत का बदला लेने पागल का वेश धारण कर अंग्रेज के कैंप की और रुख कर गए। लेकिन गांधी के अहिंसावादी प्रेरणा से उन्होंने अपना मन बदल लिया। फिर स्‍वतंत्रता के कई आंदोलन में हिस्सा लिया।

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आजाद भारत के सपने को लेकर जंगली प्रसाद सिंह को कई बार सलाखों के पीछे ढ़केल दिया गया।

आंदोलन के दौरान जंगली प्रसाद सिंह घर से दूर जमुई जिले के गेंगटामोड जंगल में करीब छह माह छिपकर रहे। इस दौरान भूख मिटाने को लेकर पेड़ के पत्तों को अपना भोजन बनाया। इसी दौरान आंदोलन की रूप रेखा तैयार करने हेतु साथियों का मुंगेर में इकट्ठा होने की सूचना मिली। ऐसे में आंदोलनकारी साथियों के साथ होने वाले मीटिंग में हिस्सा लेने के लिए मुंगेर जाने का फैसला किया। लेकिन रास्ते में गंगा पार करने के दौरान नदी तट स्थित अंग्रेजी पुलिस कैंप होकर गुजरना था। ऐसे में जंगली प्रसाद सिंह ने जान जोखिम में डाल केंप के रास्ते गंगा पार करने का फैसला लिया। वेश बदलकर पुलिस कैंप पार किया। लेकिन आंदोलनकारी होने के शक पर अग्रेजों ने गोली चला दी। जिसके बाद जंगली प्रसाद सिंह अपनी जान बचा नदी में कूद गए। और कई घंटे तैर कर मीटिंग में शामिल हुए।

साथियों की कुर्बानी याद कर भावुक हो जाते थे जंगली प्रसाद

आजादी के बाद झंडोत्तोलन के मौके पर जंगली प्रसाद सिंह देश के लिए मर मिटने वाले महापुरुषों व साथियों को याद कर भावुक हो जाते थे। पौत्र पूर्व मुखिया ललन सिंह बताते है कि दादा निस्वार्थ देश सेवा के लिए समर्पित रहते थे। यही वजह रही कि आजादी बाद कांग्रेस पार्टी की और से 1952 में विधायक का टिकट दिया गया। लेकिन टिकट लेने से मना कर दिये थे। पौत्र ने प्रखंड मुख्यालय स्थित झंडोत्तोलन स्थल पर लगे शिलापट्ट पर स्वतंत्रता सेनानी के लगे शिलापट्ट को बेहतर बनाने का आग्रह किया।


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