हैलो... मैं बैंक मैनेजर बोल रही हूं, वाले कॉल से रहें सावधान; नहीं तो आपको हो सकती है परेशानी Bhagalpur News
भागलपुर में साइबर अपराध की घटनाओं में काफी वृद्धि हो गई है। हर माह तीन दर्जन से ज्यादा प्राथमिकी दर्ज की जाती है। लेकिन पुलिसिया जांच का कोई परिणाम सामने नहीं आता है।
भागलपुर, जेएनएन। हैलो... मैं बैंक मैनेजर बोल रही हूं, आपके बैंक की कुछ गोपनीय जानकारी चाहिए अन्यथा आपका खाता और एटीएम बंद हो जाएगा...। इस तरह मोबाइल पर यदि सुरीली आवाज में फोन आए तो तत्काल सतर्क हो जाएं, क्योंकि कोई भी बैंक अधिकारी अपने ग्राहकों से गोपनीय जानकारी फोन पर नहीं मांगते हैं। ये शातिर ठग हैं। जो अपनी मधुर आवाज से भोले भाले लोगों से गोपनीय जानकारी उगलवा लेते हैं। कुछ लोग ठगों के झांसे में आ कर आसानी से उन्हें गोपनीय जानकारी शेयर कर देते हैं। जानकारी लीक होते ही उनके खाते से रुपये गायब हो जाते हैं।
हर माह तीन दर्जन से ज्यादा मामले हो रहे हैं दर्ज
साइबर ठगी की घटनाएं हाल के दिनों में बढ़ी हैं। जिले में औसतन साइबर ठगी के तीन दर्जन से ज्यादा केस दर्ज हो रहे हैं। शिकार होने वाले ज्यादातर लोग पढ़े लिखे हैं। वहीं दूसरी ओर तकनीक के अभाव में पुलिस के लिए ठगी के मामले सिरदर्द बनते जा रहे हैं। ऐसे मामले बरारी, तिलकामांझी, कोतवाली, जोगसर इलाके में ज्यादा दर्ज होते हैं।
अक्सर एटीएम और खाता बंद होने की बात कह आते हैं कॉल
साइबर ठगी के शिकार ज्यादातर लोगों ने बताया कि कॉल करने वाले उन्हें खाता या एटीएम बंद हो जाने की जानकारी पहले देते हैं। यह सुनते ही लोगों पर मानसिक रूप से दबाव बन जाता है और पीन कोड आदि की जानकारी ठगों से साझा कर देते हैं। इसके कुछ देर बात खाते से रुपये गायब हो जाते हैं।
जानकारी रखें गुप्त
कभी भी इस तरह के फोन आपके मोबाइल पर आएं तो उन्हें कतई अपनी गोपनीय जानकारी ना दें। कुछ परेशानी वे बताएं तो सीधे अपने बैंक से इस संबंध में संपर्क करें ताकि साइबर ठग आपकी जानकारी का फायदा ना उठा सके। इसके लिए बैंकों ने भी निर्देश जारी किया है।
बदलते रहें पिन नंबर और पासवर्ड
साइबर ठगों से बचाव के लिए अपने एटीएम, क्रेडिट कार्ड, ऑनलाइन बैंकिंग समेत अन्य लेनदेन के ऑनलाइन माध्यम का पासवर्ड बदलते रहें। पासवर्ड बनाने के बाद उसे गोपनीय तरीके से रखें। अन्यथा कोई भी आपकी जानकारी का गलत फायदा उठा सकता है।
साइबर ठग कर रहे परेशान, पुलिस को नहीं मिल रहा निदान
इन दिनों जिले के लोग साइबर ठगों के फोन कॉल से परेशान हैं। हर दिन नए नए नंबरों से लोगों के निजी और व्यवसायिक नंबरों पर फोन आ रहे हैं। साइबर ठग खुद को किसी बैंक का मैनेजर या अन्य अधिकारी बताते हैं। ये लोग साइबर ठग गिरोह के शातिर होते हैं, जो अलग-अलग राज्यों में बैठकर ठग गिरोह का संचालन करते हैं। इन फर्जी फोन कॉल ने पुलिस का सिरदर्द बढ़ा दिया है। हर दिन थानों व पुलिस चौकी में ऐसी शिकायतें आती हैं, जिसमें फोन करने वाला खुद को मैनेजर बता बैंक की गोपनीय जानकारी मांगते हैं।
हर बार नंबर अलग-अलग नंबर से आता है कॉल
हर बार अलग अलग नंबरों से फोन आने के कारण पुलिस के लिए यह सिरदर्द बना हुआ है। ऐसे मामलों में ज्यादा शिकायतकर्ता थानों या पुलिस चौकी में केस दर्ज नहीं कराते हैं और ना ही लिखित शिकायत करते हैं। वहीं, दूसरी तरफ ऐसे मामलों में पुलिस भी केस दर्ज करने में आनाकानी करती है। इस वजह से ऐसे नंबरों से फोन करने वाले साइबर ठगों तक पुलिस नहीं पहुंच सकती है।
जानकारी शेयर करते ही खाते से गायब हो जाते हैं रुपये
फोन करने वाले व्यक्ति से बैंक से संबंधित गोपनीय जानकारी साझा करते ही खाते से रुपये गायब हो जाते हैं। खाते से रुपये को कई बार दूसरे खाते में स्थानांतरित कर दिया जाता है तो कई बार ऑनलाइन खरीददारी कर ली जाती है।
सच्चाई पता चलने पर ठग करते हैं गाली-गलौज
साइबर ठगों के फोन करने पर यदि कोई उसकी आवाज पकड़ बरगलाने का प्रयास करता है तो ठग गाली गलौज शुरू कर देता है। पुलिस से शिकायत के बाद भी वे लोग नहीं डरते हैं। उन्हें पुलिस का भी डर नहीं है।
पता सत्यापन करने में आती है परेशानी
साइबर ठग लोगों को फोन करने के लिए फर्जी सिम या दूसरे के नाम के सिम का उपयोग करते हैं। ज्यादातर नंबर झारखंड, उड़ीसा, बंगाल, यूपी के रहते हैं। हर दिन आने वाले नंबरों को ढूंढने के लिए पुलिस को राज्य से बाहर जाना होगा।
चार दिसंबर 2019 : बांका जिले के धोरैय्या निवासी मीणा देवी से बैंक की गोपनीय जानकारी मांग कर 11 हजार रुपये निकाल लिए। उन्होंने तिलकामांझी चौकी में इसकी शिकायत दर्ज कराई थी।
10 जनवरी : टीएनबी लॉ कॉलेज के चतुर्थवर्गीय कर्मचारी धु्रव ठाकुर के दो खातों से साइबर ठगों ने 96 हजार रुपये निकाल लिए। ठगों ने फोन कर खुद को बैंक मैनेजर बताया था।
चार जनवरी 2020: इशाकचक के रामेश्वर लाल से साइबर ठगों ने बैंक मैनेजर बन गोपनीय जानकारी मांगी, लेकिन उन्होंने ठग की आवाज पहचान ली और पुलिस को मौखिक शिकायत की।
सात जनवरी 2020 : सराय निवासी मु. इस्लाम को ठगों ने एटीएम बंद हो जाने की बात कह बैंक से संबंधित जानकारी मांगी, लेकिन उसे इसका पता चल गया। उसने पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराई थी।
12 जनवरी 2020 : खंजरपुर स्थित लॉज में रहने वाले सुमन कुमार को एक फोन आया। फोन करने वाले ने खुद को बैंक अधिकारी बताया, लेकिन उसे पता चल गया। सुमन द्वारा बैंक से संबंधित जानकारी साझा नहीं करने पर ठग ने गाली-गलौज शुरू कर दी।
ऐसे मामलों के लिए साइबर सेल काम कर रही है। ऐसे फोन कॉल आने पर अपनी गोपनीय बैंक जानकारियां कतई शेयर ना करें। साइबर सेल को और भी मजबूत बनाने की कवायद चल रही है। साइबर ठगी के मामलों में कमी लाना पुलिस के लिए नई चुनौती है। इसके लिए प्रयास जारी है। हाल ही में कुछ साइबर ठगी के मामलों में गिरफ्तारियां हुई हैं। साइबर सेल को और भी सुदृढ़ करने को लेकर प्रयास किए जा रहे हैं। - आशीष भारती, एसएसपी भागपलुर
आनलाइन ट्रैक्टर खरीद रहे किसान से 1.09 लाख रुपये की ठगी
साइबर अपराधियों ने पन्नुचक गांव निवासी किसान मुकेश कुमार से एक लाख नौ हजार रुपये ठग लिए। सबौर थाने में दिए आवेदन में मुकेश ने बताया है कि फेस बुक के मार्केट प्लेस पर पुराना ट्रैक्टर खरीदने के लिए उसने कई किस्तों में यह राशि दी थी। एक लाख 40 हजार रुपये में ट्रैक्टर देने का बात हुई थी। दस हजार रुपये देने के बाद ट्रैक्टर देने की बात थी। किस्त वार मोटी राशि ले ली गई और ट्रैक्टर भी नहीं दिया गया। थानेदार अजय कुमार अजनवी ने बताया कि केस दर्ज कर लिया गया है। जांच की जा रही है।
साइबर ठगी में गया पैसा वापस मिला
साइबर ठगी के एक मामले में पुलिस को सफलता हाथ लगी है। एसएसपी आशीष भारती द्वारा संचालित साइबर सेनानी भागलपुर ग्रुप पर 16 सितंबर 2019 को एक शिकायत आई। जिसमें राजीव मिश्रा द्वारा बताया गया कि उनके छोटे भाई सुल्तानगंज, तिलकपुर निवासी दीपक कुमार को फोन कर साइबर ठगों ने ओटीपी ले 20 हजार रुपये खाते से गायब कर दिया। शिकायत मिलते ही एसएसपी ने साइबर सेल को सक्रिय कर जांच शुरू की। तकनीकी जांच में पता चला कि मोबी क्विक पेमेंट गेटवे द्वारा सोने की खरीदारी कर ली गई थी। जानकारी मिलते ही खाते को फ्रीज कराकर अवैध तरीके से ठगी गई राशि को दीपक के खाते में वापस करा दिया गया। यह जानकारी एसएसपी आशीष भारती ने दी।