खेती-किसानी में करें तकनीक का इस्तेमाल, आमदनी होगी दोगुनी; जानिए विधि Bhagalpur News
यांत्रिकीकरण का मतलब खेती-बारी में आने वाले खर्च को यंत्र के माध्यम से कम करना और समय पर कृषि कार्य पूरा करना है। जिससे लागत भी कम और उत्पादन भी ज्यादा।
भागलपुर, जेएनएन। पहले हल से खेती होती थी। जुताई, बोवाई, दौनी और ढोलाई का काम श्रमसाध्य होता था। समय भी ज्यादा लगता था। आज तकनीक आधारित खेती का समय है। बाजार में 15 एचपी का पावर का टिलर और ट्रैक्टर आ गए हैं, जो जुताई, बोवाई, थ्रेसिंग, ढोलाई, पावर स्प्रे और पटवन आदि आसानी से हो जाता है। बावजूद इसके किसान अपना साधन न रख कर भाड़े के कृषि यंत्रों पर आश्रित हैं। जिस दिन किसान तकनीकी आधारित खेती करने लगेंगे समय पर खेती होने लगेगी। कम लागत पर अधिक उत्पादन होगा और आमदनी भी दोगुनी हो जाएगी। यांत्रिकीकरण का मतलब खेती-बारी में आने वाले खर्च को यंत्र के माध्यम से कम करना और समय पर कृषि कार्य पूरा करना है। उक्त बातें दैनिक जागरण के लोकप्रिय कार्यक्रम खेती-बारी में कृषि विज्ञान केंद्र सबौर के विज्ञानी इंजीनियर पंकज कुमार ने कही। उन्होंने फोन के माध्यमों से पाठकों की समस्याओं का समाधान भी किया। पाठकों द्वारा पूछे गए सवाल और सुझाए गए उपाय कुछ इस प्रकार हैं।
ट्रैक्टर में सीएनजी (गैस) का उपयोग कर सकते है या नहीं। - अजय कुमार, शिवनारायणपुर
-ट्रैक्टर वही रखें जो सहजता से काम में आए। अगर आप सीएजी लगवाएंगे तो अभी यहां उसका कोई मैकेनिक नहीं है। एक बार तकनीकी खराबी आ जाने पर मरम्मत कराने में परेशानी होगी।
मशरूम बैग में बेहतर नमी बनाए रखने के लिए पानी कैसे दें। - सोनी देवी किसनपुर
- मशरूम के प्लास्टिक बैग में छोटा-छोटा छेद कर लें। एक दो बार मशरूम तोड़ाई के बाद बैग के प्लास्टिक को हटा दें। तब स्प्रे मशीन में फ्लैट फेन या कट नॉलेज का प्रयोग कर स्प्रे करें।
3. कंबाइंड हार्वेस्टर से फसल कटाई किए गए खेतों में पराली के बीच किस मशीन से फसलों की बोवाई करें। - अमन कुमार लखीसराय
-हैप्पी सीडर मशीन में एक फाल के आगे साफ्ट पर तीन ब्लेड लगे होते हैं। इसके सहारे मशीन पर पराली फंसती है। उस पराली को काटकर लाइन से लाइन के बीच में फैला देता है। इससे खेतों में फसलों की बोवाई आसानी से हो जाती है। यह खेतों की नमी को भी संरक्षित करता है। इसके लिए डबल क्लच ट्रैक्टर का उपयोग आवश्यक है।
कंबाइंड हार्वेस्टर से गिरी हुई पराली को उठाने के लिए कौन से कृषि यंत्र का उपयोग बेहतर होगा। - मु. गुलफान, सुल्तानगंज
-खेतों में गिरी पराली को उठाने के लिए स्ट्रा बेलर मशीन बाजार में उपलब्ध है। इस मशीन के माध्यम से पराली का वर्गाकार और आयताकार गठ्ठर बना सकते हैं। इसे अपने घरों में भंडारित करके मवेशी चारा के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। इस मशीन की कार्य क्षमता प्रतिघंटा 0.6 एकड़ है। बाजार में इसकी कीमत चार से साढ़े आठ लाख रुपये तक है। इस मशीन पर 75 फीसद तक अनुदान है। इसे संचालित करने के लिए डबल क्लच ट्रैक्टर की आवश्यकता होगी।
मौसम आधारित फसलचक्र आवश्यक
अब तक लोग फसल चक्र का मतलब धान के बाद चना और फिर गेहूं और मक्का की खेती समझते थे, लेकिन वास्तव में फसल चक्र समय आधारित होना चाहिए। तभी खेती किसानी से व्यापक लाभ संभव है। तीन फसल लेने वाली जमीन में मौसम अनुकूल खेती करने से लाभ ही लाभ होगा। इस तरह का फसल चक्र अपनाने से उत्पादन लागत के अनुपात में आमदनी दोगुने से अधिक होगा।
इन बातों का रखें ध्यान
- धान की सीधी बोवाई इन क्लाइंट प्लेट वाली प्लांटर के उपयोग से मई से जून के बीच करें।
-15 से 30 नवंबर के बीच जीरो टिलर-हैप्पी सिडर के प्रयोग से करीब 25 से 35 फीसद नमी के बीच बिना जुताई गेहूं की बोवाई करें।
-मार्च के अंतिम सप्ताह से अप्रैल के प्रथम सप्ताह में मूंग की बोवाई हल्की सिंचाई देने के बाद बिना जुताई जीरो टिलेज से करें।
तकनीक और फसल चक्र आधारित खेती के फायदे
-20 से 25 फीसद तक की वृद्धि होगी उत्पादन में
-25 से 30 फीसद तक पानी की बचत होगी
- 25 लीटर डीजल की बचत प्रति एकड़ में होगी
-25 लीटर डीजल के बचत से 65 किलोग्राम कार्बन डाइआक्साइड का उत्र्सजन कम होगा, प्रदूषण कम होगा
- मिट्टी स्वस्थ और टिकाऊ खेती होगी।
- जल, जीवन और खेतों की हरियाली भी बनी रहेगी।