सृजन घोटाला : इनकम टैक्स करनाल सर्किल ने मनोरमा देवी को भेजा नोटिस Bhagalpur News
मनोरमा की मौत 2017 में हो गई है। मनोरमा की मौत के बाद ही सृजन घोटाला का उजागर हुआ था। सृजन घोटाला के उजागर होने के पूर्व से ही मनोरमा की बहू प्रिया अपने पति अमित के साथ फरार हैं।
भागलपुर [जेएनएन]। इनकम टैक्स करनाल सर्किल ने सृजन घोटाले की सूत्रधार मनोरमा देवी को नोटिस भेजा है। यह नोटिस एक शूज कंपनी से हुए व्यापार के संबंध में मांगी गई है। नोटिस सृजन महिला सहयोग समिति लि. सबौर के पते पर भेजा गया है। हालांकि मनोरमा देवी की मौत 2017 में ही हो गई है। मनोरमा की मौत के बाद ही सृजन घोटाला का उजागर हुआ था। सृजन घोटाला के उजागर होने के पूर्व मनोरमा की बहू सृजन की सचिव प्रिया कुमार अपने पति अमित कुमार के साथ फरार हो गई थी। उसका अभी तक कोई अता पता नहीं चल पाया है। कहा जा रहा है कि सृजन घोटाला की मॉनीटङ्क्षरग के लिए तैनात अधिकारी को इनकम टैक्स द्वारा भेजा गया नोटिस मिला है। उनके द्वारा ही नोटिस का जवाब भेजा जाएगा। प्रशासन इस संबंध में सृजन से जुड़े लोगों से पूछताछ कर सकती है।
डीएम ने ऑडिटर को किया ब्लैक लिस्टेड
जिला परिषद का 2007 से 2017 तक ऑडिट करने वाले चार निजी ऑडिटर को डीएम ने किया ब्लैक लिस्टेड कर दिया है। इन पर मामले को छुपाने का आरोप है।
2006 से 2009 के बीच सृजन में गई थी राशि
12 दिसंबर 2006 से 22 अक्टूबर 2009 लक्ष्मी प्रसाद चौहान जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी (सीईओ) थे। इनके कार्यकाल में दो करोड़ से अधिक राशि डायवर्ट हुए। 22 अक्टूबर 2009 से 28 दिसंबर 2012 तक गजानंद मिश्र सीईओ थे। 19 करोड़ 42 लाख चार हजार 150 रुपये बैंक के माध्यम से सृजन के खाते में भेजा गया। 29 दिसंबर 12 से 17 अप्रैल 13 तक प्रभात कुमार सिन्हा सीईओ थे। इनके कार्यकाल में 22 करोड़ 31 लाख 89 हजार 751 रुपये सृजन के खाते में डायवर्ट हुए। 22 अप्रैल 13 से 12 दिसंबर 14 तक राजीव प्रसाद सिंह रंजन थे। इनके कार्यकाल में 23 करोड़ 76 लाख आठ हजार 809 रुपये सृजन के खाते में गए। 13 दिसंबर 14 से तीन अगस्त 15 तक चंद्रशेखर सिंह सीईओ थे। इनके कार्यकाल में 46 करोड़ 48 लाख 93 हजार 559 रुपये जमा हुए। 18 अगस्त 15 से 23 अगस्त 17 तक अमित कुमार सीईओ थे। इनके कार्यकाल में पांच करोड़ 35 लाख 67 हजार रुपये बैंक के माध्यम से सृजन के खाते में जमा हुए।
मनी सूट के लिए मांगा मंतव्य
डीआरडीए ने मनीशूट को लेकर सरकारी अधिवक्ता यानि जीपी से मंतव्य मांगा है। एजी के ऑडिट पर दिए जवाब के आधार पर जीपी यह बताएंगे कि कितनी राशि मनी शूट करने पर खर्च होगी।