शहीद स्मारक की उपेक्षा, शासन प्रशासन को इनके सम्मान की नहीं हे चिंता
शहीद स्मारक के जीर्णोद्धार करने की तरफ कोई पहल नहीं किया जाता है। लिहाजा स्मारक का धीरे- धीरे अस्तित्व मिटता जा रहा है। इस दिशा में शासन प्रशासन के लोगों की कोई नजर नहीं है। शहीदों के स्वजनों ने भी इसकी आवाज बुलंद की थी।
जागरण संवाददाता, बांका । प्रखंड मुख्यालय स्थित शहीद स्मारक मौजूदा समय में खंडहर में तब्दील हो गया है। स्थानीय प्रशासन या किसी भी जनप्रतिनिधियों द्वारा स्मारक के जीर्णोद्धार कार्य करने की तरफ कोई पहल नहीं किया जाता है। लिहाजा स्मारक का धीरे- धीरे अस्तित्व मिटता जा रहा है। स्मारक बनगामा चुहटिया गांव के शहीद यमुना सिंह, आद्या सिंह एवं गुदर सिंह की शहादत की याद में बना है। तीनों वीर सपूतों ने अंग्रेजी हुकूमत का बगावत करते हुए बेलहर थाना को आग के हवाले कर दिया था। उनके साहस को आज भी सलाम करते है। उन्हें देख आगबबूला हुए अंग्रेज सिपाहियों ने शहीदों के सीने को गोलियों से छलनी कर दिया था। भारत माता के वीर सपुताें ने सीने पर गोली खाना पसंद किया लेकिन उनके सामने उन्होंने सर झुकाना पसंद नहीं किया।
भागने के क्रम में हुए थे शहीद
भागने के क्रम में वे वीर स्मारक स्थल पर ही शहीद हो गए थे। वीर सपूतों के शहादत को सलाम करने और उन्केहें जीवन पर्यंत याद करने के लिए शहीद स्मारक का निर्माण किया गया था। तीन वर्ष पूर्व शहीद स्मारक के जीर्णोद्धार को लेकर स्वतंत्रता सेनानी के आश्रितों ने अपनी आवाज बुलंद किया था। शहीदों के सम्मान को बरकरार रखने के लिए स्मारक की घेराबंदी सहित अन्य कार्य के लिए स्थानीय प्रशासन से मांग किया था, तत्कालीन बीडीओ एवं वहां उपस्थित जनप्रतिनिधियों ने स्मारक के जीर्णोद्धार करने का आश्वासन भी दिया था। पर आज तक स्मारक का जीर्णोद्वार नहीं हो पाया। फिर से सभी ने शहीदों को भूल गए। उनका स्मारक यथावत स्थिति में रह गया। उनके त्याग और बलिदान से हमें विरासत में आजादी मिली है।
इधर, स्मारक की साफ सफाई कांग्रेस प्रखंड अध्यक्ष परमानंद मिश्र द्वारा कराया गया है। प्रशिक्षु बीडीओ अजय कुमार ने बताया कि स्मारक के जीर्णोद्धार कार्य को कराने का प्रयास बेहतर ढंग से किया जाएगा। शहीदों का सम्मान करना हम सब का परम धर्म है।