लड़की आठवीं पास कर गई तो नहीं मिलेगा दूल्हा!, बिहार के इस गांव में पिता की संपत्ति देख की जाती है शादी
बांका में अभी भी 100 से अधिक बस्तियों में बाल-विवाह की कुप्रथा जारी है। यहां दूल्हा नहीं उसके पिता की संपत्ति देख शादी की जाती है। अगर लड़की ज्यादा पढ़ ली तो उसकी शादी नहीं होती। यहां की एक वार्ड सदस्य की शादी सात वर्ष में हुई थी।
डॉ. राहुल कुमार, बांका। 18 की जगह 21 साल में लड़कियों की शादी का प्रस्ताव लोकसभा में पास हो चुका है। बावजूद, बांका जिले की 100 से अधिक चपोता बस्तियों में अधिसंख्य लड़कियां प्राइमरी कक्षा में ही ब्याह दी जा रही हैं। शादी और परिवार का मतलब समझने से पहले ही लड़के भी किशोरावस्था में दुल्हन घर ला चुके होते हैं।
इन गांवों में लड़की के पिता साफ कहते हैं कि लड़की के आठवीं पास करने का इंतजार करेंगे, तब ढूंढने पर भी बेटी के लिए दूल्हा नहीं मिलेगा। यानी, सभी लड़कों की शादी भी 15 साल के आसपास कर दी जाती है। लड़कियों की शादी अब सात-आठ साल से आगे बढ़कर 10 साल तक पहुंची है। यानी शादी की उम्र आते-आते दूल्हा-दुल्हन दो-चार बच्चों को जन्म देकर गृहस्थी की गाड़ी दौड़ा रहे होते हैं। बाराहाट प्रखंड के चचरा, नयानगरी, झपनियां, लौढिय़ा, लखपुरा, हरिपुर, महुआडीह, बौंसी के समीप ललमटिया, श्यामबाजार, गोविंदपुर आदि गांवों में कदम रखते ही बाल-विवाह की कड़वी सच्चाई दिखती है।
सात साल में हो गई थी वार्ड सदस्य की शादी : चचरा गांव की वार्ड सदस्य शकुंतला देवी की शादी सात साल में ही कर दी गई थी। उनके पति गुरु प्रसाद मांझी बताते हैं कि शादी के समय वे 11 साल के थे। वे सफाई देते हैं कि उनके चपोता समाज में शादी अब भी 10 से 15 साल में हो रही है। शादी के बाद बेटी ससुराल में नहीं बसती है। बेटी की आयु 18 साल की होने के बाद ही द्विरागमन कर उसे दूल्हे के घर भेजा जाता है। पुरुषोत्तम मंडल, अशोक मंडल, मुकेश मंडल आदि कहते हैं कि वे लोग भी गैरकानूनी तरीके से बाल-विवाह के पक्षधर नहीं हैं। बावजूद, अगर कोई बेटी की शादी के लिए 18 साल का इंतजार करेगा तो उसे 18 साल का कुंवारा लड़का ही नहीं मिलेगा।
चाइल्ड लाइन रुकवा चुका है पांच दर्जन बाल-विवाह : स्वयंसेवी संस्था चाइल्ड लाइन पिछले पांच साल में पांच दर्जन से अधिक बाल विवाह को पुलिस-प्रशासन की मदद से रुकवा चुका है। चार दिन पूर्व बांका के ही भि_ी गांव में एक लड़की की शादी 12 साल में कर दी गई। उसके पिता पर केस दर्ज कराया गया है। चाइल्ड लाइन के जिला समन्वयक मनोज कुमार सिंह बताते हैं कि रोकने के बाद भी बाल विवाह कराने पर दो लड़कियों के पिता पर बांका थाना में केस दर्ज कराया गया है।
बाल विवाह सामाजिक कुप्रथा तो है ही, स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक है। 10 या 15 साल तक की आयु में लड़की का शरीर मां बनने के लिए तैयार नहीं होता है। किशोरावस्था में शरीर का विकास होता है। इस उम्र में शादी करने से लड़की आजीवन कई तरह की बीमारियों से ग्रसित होगी। मां बनने पर जच्चा-बच्चा दोनों पर खतरा रहता है। - डा. विकास कुमार सिंह, चिकित्सक, सदर अस्पताल