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सुनो, सुनो, सुनो... बिहार में खेतों में पराली जलाया तो अब खैर नहीं, एक भी सरकारी योजना का नहीं ले सकेंगे लाभ

खेतों में पराली जलाने वाले किसानों को बड़ी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। ऐसे किसानों को सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित रहना पड़ सकता है। साथ ही विभिन्‍न विभागों की ओर से किसानों को इसके लिए जागरूक भी किया जाएगा।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Sat, 06 Nov 2021 08:32 AM (IST)Updated: Sat, 06 Nov 2021 08:32 AM (IST)
सुनो, सुनो, सुनो... बिहार में खेतों में पराली जलाया तो अब खैर नहीं, एक भी सरकारी योजना का नहीं ले सकेंगे लाभ
खेतों में पराली जलाने वाले किसानों को बड़ी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। खेतों में फसलों के अवशेष जलाने से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए शुक्रवार को समीक्षा भवन में डीएम सुब्रत कुमार सेन की अध्यक्षता में अंतरविभागीय कार्य समूह की बैठक हुई। जिला कृषि पदाधिकारी ने कहा कि किसानों में यह गलत धारणा है कि खेतों में फसलों का अवशेष जलाने से खर-पतवार नष्ट हो जाते हैं और कीट खत्म हो जाते हैं। सच्चाई इसके ठीक उलट है।

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खेतों में फसलों के अवशेष जलाने से मिट्टी के पोषक तत्व, कार्बनिक पदार्थ के नष्ट होने के साथ लाभकारी जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। एक टन पुआल जलाने से 60 किलोग्राम कार्बन मोनो आक्साइड, 1460 किलोग्राम कार्बन डायआक्साइड, 199 किलोग्राम राख, दो किलोग्राम सल्फर डायआक्साइड सहित अन्य हानिकारक कण निकलते हैं। इससे सांस लेने, आंख, नाक एवं गला की समस्या उत्पन्न होती है। जिला कृषि पदाधिकारी ने कहा कि जिला में पराली जलाने की परंपरा नहीं है। यहां अधिकांश किसान फसल के अवशेष का उपयोग पशु चारा के रूप में करते हैं।

डीएम सुब्रत कुमार सेन ने कहा कि कोई किसान अपने खेत में पराली जलाते हैं, तो उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करें। डीएम ने जिला कृषि पदाधिकारी को निर्देश देते हुए कहा कि ऐसे किसानों का तीन वर्ष तक के लिए निबंधन रद करें। उन्हें किसी योजना का लाभ नहीं दें। डीएम ने कहा कि कृषि विभाग के सभी कृषि समन्वयक और किसान सलाहकार क्षेत्र में भ्रमणशील रह कर किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में जानकारी दें।

इसमें लापरवाही बरतने वाले कृषि समन्वयक और किसान सलाहकार के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए। वहीं, किसान चौपाल लगा कर किसानों को फसल अवशेष जलाने के बदले वर्मी कंपोस्ट बनाने,

मल्चिंग विधि से खेती करने, हैप्पीसीडर के माध्यम से गेंहूं की बुआई करने के लिए प्रेरित करने के निर्देश दिए गए। हार्वेस्टर वाले किसान अगर बिना फसल प्रबंधन से संबंधित यंत्रों के बगैर कटनी करते पकड़े जाते हैं, तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई करें। वहीं, कृषि विज्ञान केंद्र सबौर के अधिकारियों को भी रोडियो जिंगल के माध्यम से फसल अवशेष प्रबंधन के लिए किसानों को जागरूक करने के निर्देश दिए। इस अवसर पर एडीएम, जिला शिक्षा पदाधिकारी, पंचायती राज पदाधिकारी आदि मौजूद थे।

इन विभागों को यह मिली जिम्मेवारी

स्वास्थ्य विभाग : सभी एएनएम और आशा कार्यकर्ता फसल अवशेष जलाने से मनुष्य के स्वास्थ्य पर पडऩे वाले प्रतिकूल प्रभाव के लिए आम लोगों को जागरूक करेंगे।

वन एवं पर्यावरण विभाग : वन एवं पर्यावरण विभाग भी लोगों को जागरूक करेगा।

शिक्षा विभाग : छात्र-छात्राओं के बीच वाद विवाद और चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन

सहकारिता विभाग : पैक्स अध्यक्षों के माध्यम से किसानों को जागरूक किया जाएगा।

पंचायती राज विभाग : पंचायत प्रतिनिधि और पंचायत सेवकों को किसानों को जागरूक करने की जिम्मेवारी सौंपेंगे।

ग्रामीण विकास : जीविका दीदी एवं मनरेगा कर्मियों द्वारा किसानों को जागरूक किया जाएगा।  


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