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पश्चिम बंगाल से दिल्ली तक जुड़े हैं मानव तस्करों के तार

बाल तस्करी के मामले में सीमांचल का इलाका ट्रांजिट प्वाइंट बनते जा रहा हैं। मानव तस्करी को लेकर कटिहार रेलवे स्टेशन संवेदनशील है। तस्करों के तार पश्चिम बंगाल से लेकर दिल्ली तक जुड़े हुए हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Apr 2018 01:36 PM (IST)Updated: Thu, 26 Apr 2018 01:36 PM (IST)
पश्चिम बंगाल से दिल्ली तक जुड़े हैं मानव तस्करों के तार
पश्चिम बंगाल से दिल्ली तक जुड़े हैं मानव तस्करों के तार

कटिहार [नीरज कुमार]।

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सीमांचल के जिले बाल तस्करी को लेकर ट्रांजिट प्वाइंट बनते जा रहे हैं। मानव तस्करी को लेकर कटिहार रेलवे स्टेशन संवेदनशील माना जाता है। इन तस्करों के तार पश्चिम बंगाल से लेकर दिल्ली तक जुड़े हुए हैं। प्रमंडल से हर वर्ष सौ बच्चे व बच्चियां मानव तस्करी की शिकार हो रही हैं। बच्चों की ट्रैफि¨कग बालश्रम तथा बच्चियों की शादी के नाम पर हो रही है। कटिहार स्टेशन पर एक माह के दौरान आधा दर्जन बच्चों को दलालों के चंगुल से मुक्त कराया गया है। बेटी बचाओ आंदोलन व ट्रैफि¨कग के विरुद्ध अभियान चलाने वाली संस्था भूमिका विहार द्वारा प्रमंडल के कटिहार, पूर्णिया, अररिया एवं किशनगंज जिले में कराए गए सर्वे में इसका उजागर हुआ है। :- सरकारी आंकड़ों की अलग है कहानी : सरकारी आंकड़ों के मुताबिक लापता बच्चों की संख्या 159 है। संस्था की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पांच वर्ष में पूर्णिया प्रमंडल में बाल मानव तस्करी के 519 मामले सामने आए हैं। किशनगंज जिले में पिछले पांच वर्षो में बाल मानव तस्करी के सबसे अधिक 288 मामले सामने आए हैं। वहीं, पूर्णिया में 85, अररिया में 72 तथा कटिहार में 74 मामले सामने आए हैं। विषम भौगोलिक स्थिति, बाढ़ व कटाव का लाभ उठाकर मानव तस्कर आराम से बच्चों के अभिभावकों को प्रलोभन देकर ट्रैफि¨कग करने में सफल हो रहे हैं। सीमांचल के जिलों में नाबालिग लड़कियों की ट्रैफि¨कग फर्जी शादी के नाम पर हो रही है। बांग्लादेश व नेपाल से भी सीमांचल के रास्ते मानव तस्करी की बात सामने आई है। एसएसबी द्वारा भारत-नेपाल सीमा पर स्वयंसेवी संस्था की मदद से ट्रैफि¨कग को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। :- विभागीय निर्देश का भी नहीं हो रहा पालन : मानव तस्करी के शिकार बच्चों की तलाश को लेकर लापता बच्चों की तस्वीर उनके नाम-पते के साथ सरकारी वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश दिया गया था। साथ ही सभी थानों में थानाध्यक्ष को बाल संरक्षण पदाधिकारी की भूमिका का निर्वहन करने का भी निर्देश था। ऐसा लापता बच्चों की खोजबीन करने को लेकर किया गया था लेकिन, इस निर्देश का पालन नहीं हो पा रहा है। कटिहार में अब तक महज दो दर्जन लापता बच्चों की विवरणी ही वेबसाइट पर अपलोड की जा सकी है।

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केस स्टडी एक

एक माह पूर्व कोढ़ा थाना क्षेत्र में एक नाबालिग लड़की की फर्जी शादी के नाम पर खरीद-फरोख्त का मामला सामने आया था। लड़की का सौदा 25 हजार में तय किया गया। 10 हजार रुपये अग्रिम दलालों द्वारा दिए गए। स्वयंसेवी संस्था भूमिका विहार को जानकारी होने पर संस्था के सदस्यों ने दलालों के चंगुल से लड़की को मुक्त कराया। इस मामले में कोढ़ा थाना में पुलिस की ओर से प्राथमिकी भी दर्ज की गई है। केंद्र सरकार द्वारा मानव व्यापार निरोध को लेकर बनाए गए नये कानून में फर्जी शादी को भी शामिल किया गया है। नया कानून बनने के बाद दलालों के चंगुल से मुक्त कराए जाने का यह बिहार का पहला मामला है।

केस स्टडी दो

कुर्सेला थाना के खेरिया गांव से ढ़ाई वर्ष पूर्व एक नाबालिग लड़की मानव तस्करी की शिकार हुई थी। लड़की को यूपी के सहारनपुर में एक गांव में रखा गया था। लड़की को देह व्यवसाय में धकेलने के लिए सौदा किया जा रहा था। सीआइडी कमजोर वर्ग ने विशेष पुलिस टीम का गठन कर यूपी पुलिस के सहयोग से सहारनपुर से बच्ची को मुक्त कराया था।

केस स्टडी तीन

एक सप्ताह पूर्व रेल सुरक्षा बल द्वारा बाल श्रम के लिए ले जाए जा रहे चार बच्चों को रेल सुरक्षा बल ने दलालों के चंगुल से मुक्त कराया था। छह माह पूर्व ब्यूटी पार्लर में काम दिलाने के नाम पर ले जाई जा रहीं दो लड़कियों को कटिहार स्टेशन पर बरामद किया गया था। इस मामले में एक महिला दलाल को गिरफ्तार किया गया था।

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पिछले पांच वर्षो में सीमांचल क्षेत्र से बाल तस्करी के 519 मामले सामने आए हैं। अधिकांश मामलों में मासूम बच्चियां मानव तस्करों के चंगुल में फंस रही हैं। इस दिशा में ठोस पहल नहीं किए जाने से ट्रैफि¨कग का मामला बढ़ रहा है।

- शिल्पी ¨सह

निदेशक, भूमिका विहार


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