Move to Jagran APP

भागलपुर जेल... 24 बैरक 22 सौ बंदी, कैसे रखेंगे दो गज दूरी, सांसत में है जेल प्रशासन

भागलपुर जेल प्रशासन के लिए कोविड नियमों का पालन करान चुनौती बन गया है। यहां पर 24 बैरक में करीब 22 सौ से ज्‍यादा कैदी बंद हैं। ऐसे में इन कैदियों को दो गज की शारीरिक दूरी का पालन कराना मुश्किल हो रहा है।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Fri, 16 Apr 2021 09:55 AM (IST)Updated: Fri, 16 Apr 2021 09:55 AM (IST)
भागलपुर जेल... 24 बैरक 22 सौ बंदी, कैसे रखेंगे दो गज दूरी, सांसत में है जेल प्रशासन
भागलपुर जेल प्रशासन के लिए कोविड नियमों का पालन करान चुनौती बन गया है।

 जागरण संवाददाता, भागलपुर। कोरोना के बढ़ते प्रसार को देखते हुए जेल की बैरक में रहने वाले बंदियों को कोरोना गाइडलाइंस का पालन करना काफी मुश्किलों भरा होगा। सैनिटाइजेशन, मास्क लगाने और कोरोना को दूर रखने के लिए अपने खान-पान और स्वच्छता का पालन तो बंदी कर ले रहे हैं लेकिन बंदियों से भरे वार्ड में दो गज की दूरी का पालन आखिर कैसे कर सकेंगे। शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा में 24 बैरक हैं। उन बैरकों में रहने वाले बंदियों की संख्या 21 सौ 95 हैं। ऐसे में छह खंड में बंटे शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा के 24 बंदी वार्डों में एक वार्ड में 60- 70 बंदियों को रखा जाता है। एक वार्ड में यदि 40 बंदी भी बंद रखे जाएं तो भी उनके बीच दो गज की शारीरिक दूरी बनाए रखना व्यवहार रूप से संभव नहीं होगा।

loksabha election banner

जेल प्रशासन कोरोना की रोकथाम के लिए सभी फौरी उपाय किए हैं। जेल आइजी मिथिलेश मिश्रा ने अब जेलों में नये बंदियों को सीधे प्रवेश पर रोक लगा दी है। इसके लिए भागलपुर, बांका समेत सूबे के सभी जेलों में सीधे नए बंदियों का प्रवेश न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद नहीं हो उन्होंने 20 जेलों की व्यवस्था की है। भागलपुर-बांका क्षेत्र के लिए मुंगेर में पिछले साल की तरह इस बार भी व्यवस्था की गई है। जहां 14 दिनों तक नए बंदियों को क्वारंटीन रखा जाएगा। फिर उन्हें उनके जेलों में भेजा जाएगा। वहां से जेल आने के बाद भी उस जेल में भी उन्हें पहले आगंतुक बंदी वार्ड में निगरानी में रखा जाएगा। यानी जेल प्रशासन कोरोना के फैलाव को रोकने की तैयारी कर रखी है। इतनी सधी तैयारी के बाद भी पिछले साल यहां की जेलों में बंदी कोरोना संक्रमित हुए थे। विशेष केंद्रीय कारा में बंदियों के रखने की क्षमता 3288 की है जहां अभी 1689 बंदी ही हैं। हालांकि शारीरिक दूरी का पालन वहां भी कराना मुश्किल भरा है। वहां के जेल अधीक्षक मनोज कुमार कोरोना की रोकथाम के सभी उपाय कर रखे हैं फिर भी इसके प्रसार को देखते हुए जेल प्रशासन पूरी तरह सतर्क है।

खाद्य समेत अन्य आपूर्तिकर्ताओं की होती है आवाजाही

जेल के अंदर खाद्य सामग्री पहुंचाने वाली गाडिय़ों और उसे ढुलाई करने वाले मजदूरों, निर्माण मजदूर, ठेकेदारों से आए मजदूरों की आवाजाही होती है जिनमें एक भी कोरोना संक्रमित हुए तो उनसे कोरोना के प्रसार का खतरा बना रहता है। इन मजदूरों से जेल कर्मियों की तलाशी के दौरान नजदीक होने और अंदर प्रवेश करने के बाद उनका भ्रमणशील रहना कोरोना के खतरे को बढ़ाता है।

वर्ष 2020 में कोरोना से आतंकित था जेल प्रशासन

कोरोना संक्रमण के तेजी से प्रसार से जेल प्रशासन इस बार भी सांसत में पड़ गया है। सतर्कता और दहशत ऐसा कि जेल अधीक्षक अपने आवास पर जेल के अंदर से आए किसी कॉल पर दहशत में आ जा रहे हैं कि कहीं कोरोना विस्फोट की तो सूचना नहीं है। वर्ष 2020 में कोरोना का दंश शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा और विशेष केंद्रीय कारा प्रशासन को दहशत में ला दिया था। जबकि जेल प्रशासन कोरोना को रोकने के लिए पिछली बार ही सुरक्षा के सभी फौरी उपाय उपलब्ध रखे थे। शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा के अधीक्षक संजय कुमार चौधरी और उपाधीक्षक राकेश कुमार ङ्क्षसह ने तो पिछले साल कोरोना से बचाव को लेकर एक मॉक ड्रिल भी कराया था। जिसका वीडियो फुटेज इतना वायरल हुआ था कि 2020 में जेल अधीक्षक फोन रिसीव करते-करते परेशान हो गए थे। लेकिन मॉक ड्रिल ने बंदियों और उनके स्वजनों और जेलकर्मियों को कोरोना से लडऩे का हौसला भी दिया था।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.