राम बहादुर की मूंछ ऐसी की रीझ गई थी अंग्रेजी मेम, मूंछ को संवारने में रोज लगाते हैं आधा घंटा
गृह रक्षक रामबहादुर चौधरी की प्रसिद्धि उनकी मूंछ से काफी मिली है। अब वह किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। कभी टोले-मोहल्ले में भी उनकी पहचान नहीं थी। अब उनकी चर्चा सूबे में होने लगी है। वह मुंगेर के रहने वाले हैं। भागलपुर रेल थाने में इनकी तैनाती है।
भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। रेल थाने में तैनात गृह रक्षक राम बहादुर चौधरी किसी परिचय के मोहताज अब नहीं हैं। इनकी मूंछ ही ऐसी है कि लोग इन्हें मूंछ वाले चौधरी बाबू के नाम से प्रसिद्धी दे दी है। मूंछ भी साढ़े तीन फिट की है जिसे ये बड़े शान से दोनों हाथ से लंबी तानकर दिखाते हैं। पांच फिट सात इंच की कदकाठी के राम बहादुर चौधरी की मूंछ पर मार्गरेट किथ नामक अंगे्रजी मेम ऐसी रीझ गई थी कि अपने साथ ले जाने की जिद पकड़ ली थी। तब मार्गरेट ने कहा था मिस्टर चौधरी, मेरे साथ इंग्लैंड चलो। हम तुम्हें बर्मिंघम पैलेस घुमाएगा। टेम्स नदी दिखाएगा। लेकिन चौधरी ने अंग्रेजी मेम का प्रस्ताव यह कहकर ठुकरा दिया कि हम संग्रामपुर के रामपुर कहुआ गांव के हैं। हम खेती-बारी कर लेंगे पर परदेश नहीं जाएंगे। मार्गरेट योग नगरी मुंगेर से भागलपुर आई थी। वह निराश हो कोलकाता होते वापस अपने देश चली गई।
मूंछ संवारने में गजब की दीवानगी
गृह रक्षक चौधरी को अपनी मूंछ को संवारने की दीवानगी भी गजब की है। रोज शैंपू और तेल से इसकी सेवा करते हैं। सबेरे उठने के बाद नित्य क्रिया से निवृत हो तीन कंघी के साथ आधे घंटे मूंछ संवारने में लगाते हैं। मोटी दांत वाली कंघी से मूंछ को सुलझा लेते हैं। पतली दांत वाली से लंबी तानते फिर महीन कंघी से उसे करीने से मोड़ लेते हैं। मूंछ में शैंपू और कंडीशनर का इस्तेमाल दिन में करते हैं। रात में सोने से पहले मूंछ में तेल लगाना भी नहीं भूलते। चौधरी कहते हैं कि जतन से मूंछ की सेवा करते हैं। यह मेरे शान का प्रतीक है। इसके लिए हमें किसी तरह का भत्ता नहीं मिलता। हमें गिनीज बुक में नाम दर्ज कराने की ललक नहीं लेकिन शान से रोज एक-दो बार इसपर हाथ फेरते हैं तो गजब का सुख मिलता है।
भागलपुर में है तैनाती
मुंगेर जिले के रामपुर कहुआ संग्रामपुर निवासी राम बहादुर चौधरी की तैनाती राजकीय रेल थाना भागलपुर में गृह रक्षक के रूप में है। इसके पूर्व वह नवादा में सेवा दे रहे थे। चौधरी कहते हैं कि 18 साल की उम्र जब थी तब उनके एक साथी ने अपनी एक नख को बढ़ा कर लंबा किया था। वह किसी को छूने नहीं देता था। उसपर नेल पॉलिस लगा कर रखता था। जिसे देख उन्होंने फैसला किया कि वह शान की प्रतीक मूंछ को लंबा कर दिखाएंगे। फिर चौधरी ने जो ठान लिया वह जिद पूरी कर दिखाया। कभी टोले-मोहल्ले के लोग सही से नहीं जानते थे। अब वह पहचान के मोहताज नहीं हैं। अभी साढ़े तीन फिट की मूंछ पर चौधरी रोज शान से ताव मारते हैं।