Makar Sankranti 2021: पुण्यकाल सुबह 8 बजकर 18 मिनट से, सूर्य हो जाएगा उत्तरायण, जानिए... इस दिन का महत्व, क्यों करते हैं लोग उपासना
Makar Sankranti 2021 महापुण्यकाल आठ बजकर 30 मिनट से 10 बजकर 17 मिनट तक रहेगा। पौष मास के शुक्ल पक्ष को मनाया जाता है मकर संक्रांति। इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। इसी दिन से सूर्य उत्तरायण (उत्तर की ओर चलना) हो जाता है।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। इस वर्ष 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। स्नान, दान, जप, तप, यज्ञ, अनुष्ठान और हवन के लिए पुण्यकाल सुबह आठ बजकर 18 मिनट से शुरू होकर संध्या पर्यत्न रहेगा। महापुण्यकाल आठ बजकर 30 मिनट से 10 बजकर 17 मिनट तक रहेगा। पौष मास के शुक्ल पक्ष को मकर संक्रांति मनाई जाती है। इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। इसी दिन से सूर्य उत्तरायण (उत्तर की ओर चलना) हो जाता है।
ज्योतिषाचार्य कमला पति त्रिपाठी 'प्रमोद' के अनुसार मकर संक्रांति का पर्व ब्रह्मा, विष्णु, महेश, गणेश, आद्यशक्ति और सूर्य की आराधना एवं उपासना का पावन व्रत है, जो तन-मन-आत्मा को शक्ति प्रदान करता है। इसके प्रभाव से प्राणी की आत्मा शुद्ध होती है। संकल्प शक्ति बढ़ती है। ज्ञान तंतु विकसित होते हैं।
पुराणों के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य अपने पुत्र शनि के घर एक महीने के लिए जाते हैं। हालांकि ज्योतिषीय दृष्टि से सूर्य और शनि का तालमेल संभव नहीं, लेकिन इस दिन सूर्य खुद अपने पुत्र के घर जाते हैं। इसलिए पुराणों में यह दिन पिता-पुत्र के संबंधों में निकटता की शुरुआत के रूप में देखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु ने असुरों का अंत करके युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी। उन्होंने सभी असुरों के सिरों को मंदार पर्वत में दबा दिया था। इसलिए यह दिन बुराइयों और नकारात्मकता को खत्म करने का दिन भी माना जाता है। इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तपर्ण आदि धाॢमक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। इस दिन किया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है। इसी दिन गंगा नदी के किनारे माघ मेला या गंगा स्नान का आयोजन किया जाता है। कुंभ के पहले स्नान की शुरुआत भी इसी दिन होती है। मकर संक्रांति के दिन घी और कंबल के दान का भी विशेष महत्व है। इस त्योहार का संबंध ऋतु परिवर्तन और कृषि से भी है। इस दिन से दिन एवं रात दोनों बराबर होते हैं। मकर संक्रांति के बाद नदियों में वाष्पन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, जिससे शरीर के अंदर की बीमारियां दूर हो जाती हैं। इस मौसम में तिल और गुड़ खाना काफी फायदेमंद होता है। यह शरीर को गर्म रखता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि उत्तरायण में सूर्य के ताप शीत को कम करता है।
मकर संक्रांति पर उपासना का विशेष महत्व
मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। सूर्य के एक राशि से दूसरी में प्रवेश करने को संक्रांति कहते हैं। मकर संक्रांति में 'मकर' शब्द मकर राशि को इंगित करता है, जबकि 'संक्रांतिÓ का अर्थ संक्रमण अर्थात प्रवेश करना है। चूंकि सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसलिए इस समय को 'मकर संक्रांति' कहा जाता है। जब सूर्यदेव अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश करते हैं, तब उसे 'मकर संक्रांति' कहा जाता है। जब सूर्य की गति उत्तरायण होती है, तो कहा जाता है कि उस समय से सूर्य की किरणों से अमृत की बरसात होने लगती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम प्रयाग में सभी देवी-देवता अपना स्वरूप बदलकर स्नान करने आते हैं। इस अवसर पर गंगा स्नान व दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
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खिचड़ी खाने के लाभ
मकर संक्रांति के दिन प्रसाद के रूप में खिचड़ी खायी जाती है। खिचड़ी स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी है। खिचड़ी का सेवन करने से पाचन क्रिया सुचारु रूप से संचालित होने लगती है। खिचड़ी मटर और अदरक मिलाकर बनाएं तो शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है। यह शरीर के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। साथ ही बैक्टीरिया से भी लडऩे में मदद करती है। इस मौसम में चलने वाली सर्द हवाओं से लोगो को अनेक प्रकार की बीमारिया हो जाती है, इसलिए प्रसाद के रूप में खिचड़ी, तिल और गुड़ से बनी हुई मिठाई खाने का प्रचलन है। तिल और गुड़ से बनी मिठाई खाने से शरीर के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। तिल में कॉपर, मैग्नीशियम, ट्राइयोफान, आयरन, मैग्नीज, कैल्शियम, फास्फोरस, जिंक, विटामिन बी 1 और रेशे प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। एक चौथाई कप या 36 ग्राम तिल के बीज से 206 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। यह गठिया रोग के लिए अत्यंत लाभकारी है।
दो दिन नहीं चलेंगी प्राइवेट नाव
मकर संक्रांति के मौके पर प्राइवेट नावों के परिचालन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। 14 व 15 जनवरी को प्राइवेट नाव का परिचालन नहीं होगा। इस आशय का आदेश अनुमंडल दंडाधिकारी आशीष नारायण ने मंगलवार को जारी किया है। जारी आदेश में अनुमंडल दंडाधिकारी ने कहा है कि मकर संक्रांति पर श्रद्धालु द्वारा स्नान व दान करने की परंपरा है। श्रद्धालु एक घाट से दूसरे घाट व छारण नाव पर सवार होकर जाते हैं। इससे दुर्घटना की संभावना रहती है। कभी-कभी दुर्घटना के कारण जान-माल की क्षति होती है। खतरनाक घाटों एवं गहरे पानी में स्नान व पूजा करने शांति व विधि व्यवस्था के भंग होने और गंभीर आपदा की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। खतरनाक घाटों एवं गहरे पानी में स्नान व पूजा करने पर रोक लगा दी गई है। इन क्षेत्रों में निषेधाज्ञा जारी कर दी गई है। बीडीओ, सीओ और संबंधित थानाध्यक्ष को आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए कहा गया है। अगर कहीं किसी प्रकार दुर्घटना होती है तो संबंधित थानाध्यक्ष को दोषी ठहराया जाएगा। आदेश का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।