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न हल्ला न हुड़दंग, जमकर उड़े रंग

जिले में होली का त्योहार शांतिपूर्वक एवं उल्लास के साथ मनाया गया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 15 Mar 2017 02:11 AM (IST)Updated: Wed, 15 Mar 2017 02:11 AM (IST)
न हल्ला न हुड़दंग, जमकर उड़े रंग
न हल्ला न हुड़दंग, जमकर उड़े रंग

भागलपुर । जिले में होली का त्योहार शांतिपूर्वक एवं उल्लास के साथ मनाया गया। बिना किसी विघ्न-बाधा के लोगों ने एक दूसरे को रंग-गुलाल लगाए। शायद यह शराबबंदी का असर था कि इस बार न तो कहीं हंगामा हुआ न ही कोई बड़ी दुर्घटना।

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कहीं फूलों की होली तो कहीं जमकर उड़े गुलाल

कहीं फूलों की होली खेली गई तो कहीं जमकर गुलाल उड़ाए गए। रंगों से सराबोर लोगों ने एक दूसरे से गले मिलकर बधाइयां दीं। इस दौरान लोगों ने पुआ-पकवान के साथ लजीज व्यजनों का भी खूब लुत्फ उठाया।

सादगी के साथ मनाया जश्न

शराबबंदी कानून लागू होने के बाद पहली होली शांतिपूर्वक गुजरी। लोगों ने सादगी के साथ होली का जश्न मनाया। सड़कों पर नशे में धुत्त हो हुड़दंग मचाते लोग इस बार कहीं नजर नहीं आए। हालांकि शराब के लिए लोग जुगाड़ करते जरूर दिखे पर प्रशासन भी सजगता के कारण कहीं कोई व्यवधान नहीं पड़ा।

किया होलिका दहन

होली के एक दिन पहले यानी रविवार की रात लोगों ने होलिका दहन किया। दूसरे दिन रंग-गुलाल के साथ शुरू हुई होली की धमाचौकड़ी। सोमवार को लोगों ने जमकर रंगों का त्योहार मनाया।

जमकर हुआ धुरखेल

गांवों में तो होलिका दहन से एक दिन पूर्व दिन में धुरखेल खेलने की परंपरा है। ढोल की थाप और होली के गीतों के बीच दिन भर लोगों ने एक दूसरे पर धूल-कीचड़ डाले और खूब हुड़दंग मचाया। हालांकि शहरों में अब यह परंपरा कम होती जा रही है। यहां धुरखेल प्रतीकात्मक ही खेला जाता है। लेकिन रंग-गुलाल जमकर उड़े।

सुबह होते ही निकली टोली

सुबह से ही गली-गली में बच्चों की टोली रंग भरी पिचकारी लेकर निकले और एक दूसरे पर रंग डालना शुरू कर दिया। बच्चों की पिचकारी से निकले रंगों ने बड़ों का भी मन रंग दिया। फिर गली से निकलकर होली सड़कों पर आ गई और क्या बच्चे, क्या बूढ़े सभी रंगों में नहा गए। रंग ने छोटे-बड़े, गरीब-अमीर सबों का भेद खत्म कर दिया। जो भी जिधर से गुजरा बिना रंगे वापस नहीं लौट पाया। रंग, कीचड़ जो भी मिल गया उसीसे स्वागत करने लगे। इतने रंग बरसे कि शहर की मुख्य सड़कों से लेकर गलियां तक रंगीन नजर आने लगी। शहर में दोपहर तक यह दौर चला तो गांवों में शाम तक। दोपहर के बाद लोगों ने रंग छोड़ गुलाल का पैकेट पकड़ लिया और इसके साथ ही शुरू हुआ खिलाने-पिलाने और बधाइयों का दौर। सुंदर, धवल कपड़ों में सज-धज कर लोग एक दूसरे को अबीर लगाकर बधाई देने और आशीर्वाद लेने लगे। खासकर बच्चों का उत्साह तो देखते ही बनता था। परंपरा के अनुसार छोटे बड़ों को पैर पर गुलाल देकर उनसे आशीर्वाद ले रहे थे तो बड़े तिलक लगाकर बधाइयों दे रहे थे। इसके साथ ही होली के पकवान का भी लोग लुत्फ उठाने लगे।

दोनों धर्मो के लोग मिले गले

भागलपुर में ¨हदू मुस्लिम सदा से एक साथ रहते व त्योहार मनाते आए हैं। सो परंपरा के अनुसार इस बार भी दोनों ही धर्मो के लोगों ने होली पर एक दूसरे के गले मिलकर बधाइयां दी। मोबाइल, इंटरनेट पर भी दो दिनों तक होली के बधाई संदेश आते रहे। शहर से लेकर गांव तक हर जगह शांतिपूर्ण तरीके से होली का पावन त्योहार संपन्न हो गया।


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