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Bihar : यहां नील और अफीम की खेती करवाते थे अंग्रेज, गवाह हैं काबर की कोठी और कचहरी

इतिहास के पन्नों को अपने गर्भ में समेटे हुए बिहार के कटिहार जिले की काबर पंचायत काफी कुछ बयां करती है। कभी यहां अंग्रेज नील और अफीम की खेती करते थे। यहां बनी कोठी और कचहरी इस बात की गवाह हैं। पढ़ें पूरी खबर...

By Shivam BajpaiEdited By: Published: Tue, 03 Aug 2021 04:37 PM (IST)Updated: Tue, 03 Aug 2021 04:37 PM (IST)
इतिहास को अपने गर्भ में समेटे हुए हैं कटिहार का काबरकोठी गांव।

प्रवीण आनंद, सेमापुर (कटिहार)। बरारी प्रखंड के सेमापुर ओपी क्षेत्र का काबर पंचायत ब्रिटिश काल में भी राजस्व गांव के रूप में जाना जाता था। यह गांव अब भी अंग्रेजी हकूमत की याद दिलाता है। अंग्रेजों ने अधिक राजस्व प्राप्ति के लिए क्षेत्र में नील की खेती शुरु की थी। नील उत्पादन को लेकर यहां फैक्ट्री की भी स्थापना की गई थी। क्षेेत्र में नील की खेती को बढ़ावा देने और लगान वसूली के लिए अंग्रेजों ने कोठी भी बनाई थी। राजस्व वसूली और नील की खेती नहीं करने वाले किसानों को सजा सुनाने के लिए कचहरी भी स्थापित की गई थी।

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नील फैक्ट्री के भगनावशेष आज भी कटिहार के काबर पंचायत में मौजूद हैं। वर्तमान में अंग्रेजों की बनाई गई कोठी में अभय सिंह और उसके स्वर्गीय भाई विनय सिंह का परिवार रहता है। ब्रिटिश काल में बनाई गई कचहरी अब खंडहर में तब्दील हो चुकी है। अंग्रेजों के द्वारा बनाया गया तालााब अब भी काबर में स्थित है। अंग्रेजों ने लगान वसूली के लिए अपने सिपहसलार टीम को जिम्मेदारी सौंपी थी। यहां नील व अफीम की खेती के साथ लगान वसूली कराने का काम किया जाता था।

नील और अफीम की खेती अंग्रेजी हकूमत के समय राजस्व उगाही का मुख्य स्रोत था। स्थानीय बुजुर्ग बताते हैं कि नील की खेती जमीन को बंजर बनाने तथा अफीम की खेती युवाओं को नशे का शिकार बनाने के उद्देश्य से अंग्रेज करते थे। स्वतंत्रता आंदोलन के जोर पकड़ने के बाद यहां नील की खेती किसानों ने बंद कर दी। बाद में चीनी मिल की स्थापना के साथ गन्ने की खेती को बढ़ावा दिया गया। ग्रामीण रणजीत सिंह, अभय सिंह आदि ने बताया कि अंग्रेजों ने लगान वसूली के लिए कोढ़ा व काबर में कोठी की स्थापना की थी। अंग्रेजों द्वारा बनाई गई कोठी के कारण ही गांव का नाम काबरकोठी पड़ा।

बहरहाल, कटिहार के काबरकोठी गांव के लोग आज भी बुनियादी सुविधाओं की राह देख रहे हैं। लोगों का कहना है कि सरकार यहां ध्यान दे तो अच्छे उद्योग धंधे स्थापित हो सकते हैं। गांव के कई लोग पलायन कर के जा चुके हैं। ऐसे में इस दिशा में ध्यान देने की जरूरत है। इतिहास के पन्नों को अपने गर्भ में समेटे हुए कटिहार का ये गांव का


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